आजीविका को बढ़ावा दे रहे 91% माइक्रोफाइनेंस कर्जः सा-धन भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2025

माइक्रो लेंडिंग संस्थान 6.27 करोड़ से अधिक सक्रिय ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहे हैं, जिनका कुल बकाया ऋण 2,38,198 करोड़ रुपये है। इसमें 72,930 करोड़ रुपये का प्रबंधित पोर्टफोलियो भी शामिल है। प्रबंधित पोर्टफोलियो में सबसे अधिक योगदान 53,287 करोड़ रुपये के साथ बिजनेस कॉरस्पोंडेंट का है। माइक्रो लेंडिंग संस्थानों का प्रति उधारकर्ता पर औसतन 38,005 रुपये बकाया है। ऋण के उपयोग से संकेत मिलता है कि लगभग 91% ऋण का उपयोग आय सृजन के उद्देश्यों के लिए किया गया था।

माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का कुल सक्रिय ग्राहक आधार वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में 8.28 करोड़ था। इन ग्राहकों पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का 3,81,225 करोड़ रुपये का ऋण बकाया था। ग्राहक आधार और कर्ज में क्रमशः 13% और 14% की कमी आई है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2025 में दी गई है। इसमें बैंकों, लघु वित्त बैंकों (एसएफबी), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), एनबीएफसी-माइक्रो-फाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) और अन्य संस्थानों के आंकड़े शामिल हैं। स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बैंक लिंकेज में सकारात्मक वृद्धि हुई। इनमें 84.94 लाख एसएचजी के लिए कुल कर्ज 3.04 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। एसएचजी बैंक लिंकेज कार्यक्रम के तहत लगभग 143.3 लाख एसएचजी थे, जिनमें 17.1 करोड़ परिवार जुड़े थे।

सीआरआईएफ हाईमार्क के अनुसार 31 मार्च 2025 तक 13.99 करोड़ लोन एकाउंट थे। बकाया ऋण में विभिन्न संस्थानों की हिस्सेदारी इस प्रकार है- एनबीएफसी-एमएफआई: 1,48,419 करोड़ रुपये (39%), बैंक: 1,24,431 करोड़ रुपये (32%), एसएफबी: 59,817 करोड़ रुपये (16%), एनबीएफसी: 45,042 करोड़ रुपये (12%) और अन्य: 3,516 करोड़ रुपये (1%)। विभिन्न संस्थानों के लोन एकाउंट की हिस्सेदारी इस प्रकार है। एनबीएफसी-एमएफआई: 539 लाख (39%), बैंक: 466 लाख (33%), एसएफबी: 216 लाख (15%), एनबीएफसी: 163 लाख (12%) और अन्य: 15 लाख (1%)।

यह भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2025 नाबार्ड के साथ साझेदारी में सा-धन ने तैयार किया है। रिपोर्ट में शामिल आंकड़े क्रेडिट सूचना कंपनियों के साथ-साथ 203 माइक्रो लेंडिंग संस्थानों (MLI) से सीधे लिए गए हैं, जो देश में 98% से अधिक माइक्रो लेंडिंग व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिपोर्ट में भौगोलिक कवरेज, ग्राहक पहुंच, माइक्रो लेंडिंग संस्थानों की आय, व्यय और लाभप्रदता, उनके वित्तीय अनुपात, ऋण से परे की गतिविधियां शामिल हैं। रिपोर्ट में एसएचजी बैंक लिंकेज, माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की क्रेडिट प्लस गतिविधियों और वित्तपोषण के बीसी (बिजनेस कॉरस्पोंडेंट) मॉडल का भी विवरण दिया गया है।

माइक्रो लेंडिंग संस्थान 6.27 करोड़ से अधिक सक्रिय ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहे हैं, जिनका कुल बकाया ऋण 2,38,198 करोड़ रुपये है। इसमें 72,930 करोड़ रुपये का प्रबंधित पोर्टफोलियो भी शामिल है। प्रबंधित पोर्टफोलियो में सबसे अधिक योगदान 53,287 करोड़ रुपये के साथ बिजनेस कॉरस्पोंडेंट का है। माइक्रो लेंडिंग संस्थानों का प्रति उधारकर्ता पर औसतन 38,005 रुपये बकाया है। ऋण के उपयोग से संकेत मिलता है कि लगभग 91% ऋण का उपयोग आय सृजन के उद्देश्यों के लिए किया गया था।

वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र 37,380 शाखाओं में कार्यरत 3.29 लाख कर्मचारियों के साथ 'फुट ऑन स्ट्रीट' मॉडल बना रहा। इनमें से 64% कर्मचारी फील्ड में थे। माइक्रो लेंडिंग संस्थानों के कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 9% थी। प्रति क्रेडिट अधिकारी सक्रिय उधारकर्ताओं की औसत संख्या में गिरावट देखी गई है और यह 299 रह गई है। ग्राहकों की संख्या में कमी से माइक्रो लेंडिंग संस्थानों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी, हालांकि इससे परिचालन लागत बढ़ जाती है।

एनबीएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई ने मिलकर माइक्रो लेंडिंग संस्थानों के कुल ग्राहक आधार का 86% और बकाया पोर्टफोलियो का 84% योगदान दिया। 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के पोर्टफोलियो आकार वाले माइक्रो लेंडिंग संस्थानों का ग्राहक आधार में 81% और ऋण पोर्टफोलियो में 85% योगदान रहा। सूक्ष्म-वित्तपोषण के लिए शीर्ष पांच राज्य बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक बने रहे।

रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, नाबार्ड के अध्यक्ष, शाजी केवी ने कहा, "माइक्रोफाइनेंस भारत के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की आधारशिला बनकर उभरा है, जिसने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। इसने महिलाओं, छोटे और सीमांत किसानों, कारीगरों और अन्य कमजोर समुदायों को सशक्त बनाया है। लाखों लोगों को समय पर और बिना किसी गिरवी के ऋण प्राप्त हुआ है, जिससे वे स्थायी आजीविका और उद्यम स्थापित करने में सक्षम हुए हैं। भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट माइक्रोफाइनेंस के बारे में हमारी सामूहिक समझ को गहरा करती है और विकसित भारत के हमारे साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में उत्प्रेरक के रूप में इसकी भूमिका को उजागर करती है।"

सा-धन के कार्यकारी निदेशक और सीईओ जिजी मैमन ने कहा, "तनाव बढ़ाने वाला सबसे चर्चित मुद्दा ऋण का अत्यधिक उपयोग है, जो उधार लेने वालों के बढ़ते जोखिम और ऋणदाताओं की बढ़ती संख्या के कारण है। इसे भांपते हुए उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और स्व-नियामक संगठनों ने अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए हैं। इसका पहला सेट जुलाई 2024 में और दूसरा अप्रैल 2025 में जारी किया गया। इनसे ऋण देने पर अंकुश लगा है। इन उपायों के साथ ही एमएफआई को ऋण देने पर लगाए गए अंकुश भी इस क्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि का कारण थे। चालू वित्त वर्ष में स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है, क्योंकि 91% ऋणों का उपयोग आय सृजन के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।"

यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर 2025 को मुंबई में जारी की गई। इस समारोह में बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक पी.आर. राजगोपाल, एचएसबीसी की समावेशी बैंकिंग प्रमुख सोनाली शाहपुरवाला, एचडीएफसी बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष कृष्णन वेंकटेश, भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक गोविंद नारायण गोयल, क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक अजीत वेलोनी और नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी सहित उद्योग जगत के कई दिग्गज शामिल हुए।