उर्वरकों की उपलब्धता को लेकर संसद में लगी सवालों की झड़ी, सरकार ने माना चीन से घटा डीएपी आयात

देश के 20 से अधिक सांसदों ने उर्वरकों की उपलब्धता के बारे में संसद में सवाल उठाए हैं। कई सांसदों ने उनके राज्य और जिले में उर्वरकों की उपलब्धता और आपूर्ति की जानकारी मांगी।

किसानों को डीएपी और यूरिया जैसे उर्वरक खरीदने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। देश के कई राज्यों से उर्वरकों की किल्लत की खबरें आ रही हैं। इस बीच, संसद के मानसून सत्र में भी यह मुद्दा गूंज रहा है। देश के 20 से अधिक सांसदों ने उर्वरकों की उपलब्धता के बारे में संसद में सवाल उठाए हैं। कई सांसदों ने उनके राज्य और जिले में उर्वरकों की उपलब्धता और आपूर्ति की जानकारी मांगी है।

भारत में यूरिया के बाद दूसरे सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले उर्वरक डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का चीन से आयात तेजी से घटा है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2023-24 में चीन से 22.28 लाख टन डीएपी का आयात हुआ था, जो 2024-25 में घटकर लगभग 8.47 लाख टन रह गया। जुलाई 2025 में चीन से मात्र 97 हजार टन डीएपी का आयात हुआ है।   

चीन ने अक्टूबर 2021 में उर्वरकों के निर्यात से पहले अनिवार्य अतिरिक्त निरीक्षण की शर्त लगा दी थी, जिसके चलते डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की निर्यात प्रक्रिया जटिल हो गई और आपूर्ति बाधित हुई है।

पिछले एक साल के दौरान डीएपी का आयात मूल्य (कॉस्ट एंड फ्रेट प्राइस) में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह से भी उर्वरक कंपनियों के लिए डीएपी का आयात करना मुश्किल हो गया है।

डीएपी की आयात लागत बढ़ी

केंद्रीय मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, डीएपी का कॉस्ट एंड फ्रेट प्राइस अप्रैल, 2024 में 542 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से बढ़कर जुलाई, 2025 में लगभग 800 डॉलर प्रति टन हो गया।

सरकार ने स्पष्ट किया कि फॉस्फेटिक और पोटैशिक (P&K) उर्वरक जैसे डीएपी ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत आते हैं। उर्वरक कंपनियां इनका आयात या निर्माण करने के लिए स्वतंत्र हैं। उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जाने की बात कही गई है।

डीएपी उत्पादन में गिरावट  

लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा ने पिछले पांच वर्ष के दौरान देश में प्रमुख उर्वरकों के उत्पादन के आंकड़े रखे। इन आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन साल के दौरान देश में डीएपी का उत्पादन घटा है। वर्ष 2022-23 में 43.47 लाख टन डीएपी का उत्पादन हुआ था जो 2023-24 में घटकर 42.93 लाख टन रह गया। 2024-25 में भी डीएपी उत्पादन में गिरावट आई और यह 37.69 लाख टन पर आ गया, जो पांच साल पहले हुए डीएपी उत्पादन के स्तर पर है।