अरहर दाल 200 रुपये किलो के पार, 2015 में पहली बार इस स्तर पर पहुंचा था भाव

अरहर दाल की कीमतों को नियंत्रित रखने की तमाम कोशिशों के बावजूद खुदरा बाजार में भाव 200 रुपये के करीब पहुंच चुका है। वहीं ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोरों पर यह 200 रुपये किलो को पार कर 215-225 रुपये प्रति किलो पर मिल रहा है। इससे पहले अक्टूबर 2015 में अरहर दाल ने यह स्तर छुआ था। जून 2023 के बाद से खुदरा कीमतों में 70-80 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हो चुकी है।  

अरहर दाल की कीमतों को नियंत्रित रखने की तमाम कोशिशों के बावजूद खुदरा बाजार में भाव 200 रुपये के करीब पहुंच चुका है। वहीं ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोरों पर यह 200 रुपये किलो को पार कर 215-225 रुपये प्रति किलो पर मिल रहा है। इससे पहले अक्टूबर 2015 में अरहर दाल ने यह स्तर छुआ था। जून 2023 के बाद से खुदरा कीमतों में 70-80 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हो चुकी है।  

अरहर की कीमतों में तेजी से मूंग, मसूर और चना दाल भी दबाव में आ गए हैं और इनकी खुदरा कीमतें भी बढ़ गई हैं। मसूर दाल की खुदरा कीमत जहां 110-120 रुपये प्रति किलो और चना की 90-100 रुपये किलो पहुंच गई है, वहीं मूंग दाल 130 रुपये किलो के भाव बिक रहा है। अरहर की नई फसल नवंबर से आनी शुरू हो जाएगी। उसके बाद दामों में नरमी आने की संभावना है।

रूरल वॉयस द्वारा अरहर दाल की थोक और खुदरा कीमतों की पड़ताल करने पर पता चला कि मंडियों में अरहर दाल की थोक कीमत 14500-16400 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच चुकी है। जबकि खुदरा बाजार में सामान्य गुणवत्ता वाले अरहर दाल के दाम 180-190 रुपये प्रति किलो हो गए हैं और जल्द ही 200 रुपये किलो पर पहुंच सकते हैं। वहीं बेहतर गुणवत्ता वाले अरहर दाल का भाव 200 रुपये किलो को पार कर गया है। अमेजन, ब्लिंकिट, जियो मार्ट, जेप्टो जैसे ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर्स पर ब्रांडेड अरहर दाल 215-225 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अखिल भारतीय स्तर पर अरहर दाल की औसत खुदरा कीमत 11 अक्टूबर, 2023 को 150.56 रुपये किलो रही जो एक महीने पहले 144.67 रुपये और एक साल पहले 112.03 रुपये प्रति किलो थी।

अरहर की कीमतों में लगातार तेजी की सबसे बड़ी वजह पिछले साल (2023-23) उत्पादन में 7.90 लाख टन की कमी रहना है। चालू खरीफ सीजन (2023-24) में भी उत्पादन घटने की पूरी आशंका है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अरहर की बुवाई का रकबा 2022 के 45.61 लाख हेक्टेयर से घटकर 2023 में 42.92 लाख हेक्टेयर रह गया है। इसका असर उत्पादन पर पड़ना तय है जिससे कीमतें प्रभावित होने की संभावना है। इसे देखते हुए भी भाव में तेजी का दौर बना हुआ है।