पीएम कृषि सिंचाई योजना में जमरानी बांध परियोजना को शामिल करने की मंजूरी

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास एक बांध के निर्माण की योजना है।

प्रतीकात्मक फोटो

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास एक बांध के निर्माण की योजना है। यह बांध मौजूदा गोला बैराज को अपनी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से पानी देगा जो 1981 में पूरा हुआ था।

इस परियोजना की अनुमानित लागत 2,584.10 करोड़ रुपये है। इसमें से उत्तराखंड को 1,557.18 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता देने को भी मंजूरी दी गई है। इस परियोजना को मार्च 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इन फैसलों को मंजूरी दी गई है।

इस परियोजना से उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में अतिरिक्त 57,065 हेक्टेयर (उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर) भूमि की सिंचाई हो सकेगी है। दो नई फीडर नहरों के निर्माण के अलावा परियोजना के तहत 207 किमी मौजूदा नहरों का नवीनीकरण किया जाना है। परियोजना के तहत 278 किमी पक्के फील्ड चैनल भी क्रियान्वित किए जाने हैं। इसके अलावा, इस परियोजना में 14 मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन के साथ-साथ हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने के पानी के प्रावधान की भी परिकल्पना की गई है जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी।

परियोजना के सिंचाई लाभों का एक बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी होगा। दोनों राज्यों के बीच 2017 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के अनुसार लागत और लाभ साझा किया जाना है। हालांकि, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का लाभ पूरी तरह से उत्तराखंड को ही मिलेगा।

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के तहत आने वाले प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) वर्ष 2015-16 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य खेत पर पानी की पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण पद्धितियों को लागू करना आदि है। भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में 2021-26 के दौरान पीएमकेएसवाई के कार्यान्वयन के लिए 93,068.56 करोड़ रुपये (37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता) को मंजूरी दी थी। पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत अब तक 53 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं और 25.14 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित हुई है।