केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में कृषि शिक्षा से संबंधित एक गंभीर विषय को हल करते हुए कृषि के छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी है। देशभर के छात्रों के लिए पात्रता मानदंड एवं विषय समूह को एक समान कर दिया गया है, जिससे 12वीं में बायोलॉजी, रसायन, भौतिकी, गणित या कृषि विषय समूह लेने वाले विद्यार्थी बराबर पात्रता के साथ राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (CUET-ICAR) के जरिये दाखिला ले सकेंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने दिल्ली में मीडिया से चर्चा में बताया कि बीएससी एग्रीकल्चर में प्रवेश में कुछ वर्षों से एक बड़ी समस्या आ रही थी। अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियमों और पात्रता के कारण कृषि से इंटर करने वाले छात्र-छात्राएं पिछड़ जाते थे। इस बारे में पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया के माध्यम से विद्यार्थियों ने समस्या बताई थी। जिस पर उन्होंने तुरंत संज्ञान लिया और आईसीएआर के महानिदेशक डा. मांगी लाल जाट को निर्देशित किया कि वे राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों व उनके कुलपतियों के साथ बातचीत कर इसका त्वरित हल निकालें।
शिवराज सिंह ने बताया कि बीएससी (कृषि) में आईसीएआर सीटें प्रदान करने वाले 50 कृषि विश्वविद्यालयों में से 42 ने ABC (एग्रीकल्चर, बायोलॉजी, केमिस्ट्री) विषय संयोजन को पात्रता मानदंड के रूप में स्वीकार कर लिया है, जिसे आमतौर पर इंटर कृषि के छात्र पढ़ते हैं। इसके अलावा, 3 विश्वविद्यालयों ने PCA (फिजिक्स, केमिस्ट्री, एग्रीकल्चर) संयोजन को भी स्वीकार कर लिया है।
इस प्रयास के तहत 2025-26 में बीएससी (कृषि) में ICAR कोटे के अंतर्गत उपलब्ध 3121 सीटों में से करीब 2700 सीटें (लगभग 85%) इंटर-कृषि विषय वाले छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध होगी। वहीं, शेष 5 विश्वविद्यालयों, जिन्हें अपने बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की स्वीकृति की आवश्यकता है, ने आश्वासन दिया कि वे आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 से 12वीं में कृषि विषय को प्रवेश पात्रता में शामिल करेंगे। इन कुलपतियों से चर्चा जारी है।
शिवराज सिंह ने इस समस्या का समाधान निकालने की दिशा में तत्परता से कार्य करने के लिए आईसीएआर के डीजी और उनकी टीम को बधाई देने के साथ ही कृषि विश्वविद्यालयों-कुलपतियों के सहयोग हेतु उन्हें भी धन्यवाद दिया। इससे अब देश भर के छात्र-छात्राओं के लिए प्रवेश के अवसर सुगम तथा एक समान हो गए हैं। इस व्यवस्था से शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से बीएससी में प्रवेश संबंधित जटिलताएं दूर होकर लगभग तीन हजार विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलेगा।