कांग्रेस के चिंतन शिविर से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा की किसान संगठनों के साथ बैठक

उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर के पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में किसान संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। हुड्डा कांग्रेस के चिंतन शिविर में चर्चा के लिए कृषि पर प्रस्ताव तैयार करने वाली समिति के संयोजक हैं। किसानों की राय जानने के लिए ही उन्होंने किसानों के साथ बैठक की। इस बैठक में किसानों ने कृषि लागत कम करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी जैसे तमाम मुद्दों पर भी चर्चा हुई

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बैठक करते किसान नेता

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस चिंतन शिविर से पहले विभिन्न राज्यों के किसानों के साथ चर्चा की है। उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर के पहले दिल्ली में किसान संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान शामिल थे। हुड्डा कांग्रेस के चिंतन शिविर में चर्चा के लिए  कृषि पर प्रस्ताव तैयार करने वाली समिति के संयोजक हैं। किसानों की राय जानने के लिए ही उन्होंने किसानों के साथ बैठक की। इस  बैठक में किसानों ने कृषि  लागत कम करने और  एमएसपी पर कानूनी गारंटी जैसे तमाम मुद्दों पर  भी चर्चा हुई।  गौरतलब है कि राजस्थान के उदयपुर में 13 से 15 मई तक कांग्रेस का चिंतन शिविर होना है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसके संयोजक बनाए गए हैं।

बैठक के बाद हुड्डा ने पत्रकारों को बताया कि सभी किसान इस बात पर सहमत हैं कि खेती को उनके लिए मुनाफे वाला होना चाहिए। इसके लिए स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी तय करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग पर जोर दिया। किसानों ने कहा कि कृषि उत्पादों के आयात और निर्यात के बारे में फैसला लेने के पहले किसानों के हितों का ध्यान रखना जरूरी है। साथ ही इसके लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जो इस संबंध में फैसला लेने के पहले तमाम पहलुओं पर विचार कर फैसला ले। किसान नेताओं ने किसानों के ऊपर बढ़ते कर्ज की समस्या पर सुझाव देने के साथ ही फसल बीमा योजना में सुधार की जरूरत पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने किसानों के ट्रक्टरों समेत जरूरी कृषि उपकरणों पर प्रदूषण संबंधी मानकों से छूट देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि उपकरणों को दूसरे व्यवसायिक वाहनों की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। 

हुड्डा के अनुसार 2009 में उनकी अध्यक्षता में बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने भी इसकी सिफारिश की थी। बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसानों ने भाग लिया।

हुड्डा ने कहा कि सिर्फ एमएसपी का ऐलान काफी नहीं है, इसकी गारंटी का कानून भी बनाना पड़ेगा ताकि हर किसान को एमएसपी मिल सके। किसान नेताओं ने सब्सिडी और मुआवजा लेने में आने वाली दिक्कतों के बारे में भी बताया। किसानों पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने पर भी विचार हुआ। खेती पर आयात-निर्यात नीति के असर पर भी चर्चा हुई।

कांग्रेस की पहल का स्वागत करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और  किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए किसानों के मुद्दों पर चर्चा करना आवश्यक है। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि 2009 में हुड्डा कमेटी ने सरकार को जो सिफारिशें सौंपी थी, उनपर अमल की जरूरत है। एमएसपी के निर्धारण के साथ लागत निर्धारण के तरीके में भी सुधार की जरूरत है। 

किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के बिजली बिल पर विरोध दर्ज कराया। उनकी मांग है कि किसानों को इस बिल से अलग रखा जाए, वर्ना उनके लिए बिजली बहुत महंगी हो जाएगी और अंततः खेती की लागत बढ़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन के चलते कृषि पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी नीतिगत पहल की जरूरत भी बताई।