दूध और दुग्ध उत्पादों के दाम पर अंकुश के लिए जीएसटी कटौती व आयात जरूरीः डेयरी उद्योग

दूध की कीमतों में बढ़ोतरी और आपूर्ति के मसले को हल करने के डेयरी सहकारी समितियों और कंपनियों ने सरकार से डेयरी उत्पादों पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने के लिए कहा है। इसके साथ ही कई डेयरी सहकारी संघों ने एसएमपी और बटर ऑयल का आयात करने के लिए कहा है। सोमवार को केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में यह बातें सामने आई। सूत्रों के मुताबिक डेयरी उद्योग ने कुछ राज्यों द्वारा डेयरी उत्पादों पर लगाए गये मंडी टैक्स को भी समाप्त करने के लिए कहा

प्रतीकात्मक फोटो

दूध की कीमतों में बढ़ोतरी और आपूर्ति के मसले को हल करने के डेयरी सहकारी समितियों और कंपनियों ने सरकार से डेयरी उत्पादों पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने के लिए कहा है। इसके साथ ही कई डेयरी सहकारी संघों ने एसएमपी और बटर ऑयल का आयात करने के लिए कहा है। सोमवार को केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में यह बातें सामने आई। सूत्रों के मुताबिक डेयरी उद्योग ने कुछ राज्यों द्वारा डेयरी उत्पादों पर लगाए गये मंडी टैक्स को भी समाप्त करने के लिए कहा।

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जीएसटी में कटौती के मुद्दे को पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के पास भेजने की बात कही है। हालांकि वित्त मंत्रालय इस पर फैसला ले नहीं ले सकता है क्योंकि यह मुद्दा जीएसटी काउंसिल के अधीन आता है। वहीं मंडी टैक्स के मसले पर भी राज्यों के साथ बात करने की चर्चा इस बैठक में हुई। घी पर 12 फीसदी जीएसटी लागू है। घी कीमतों में दूध के मुकाबले अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

इस बैठक में रखे गये आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर से दिसंबर, 2022 की तिमाही में दूध की खरीद में तीन फीसदी की गिरावट आई है जबकि मांग में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके चलते मांग और आपूर्ति के बीच अंतर आ गया है। हालांकि जुलाई-सितंबर तिमाही के मुकाबले अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में गिरावट कम रही। वहीं अब लीन सीजन आने वाला है इसलिए दूध की आपूर्ति का घटना तय है।

बैठक में गुजरात कोओपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) और राजस्थान कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) आयात के पक्ष में नहीं थे। वहीं पंजाब, हरियाणा और दक्षिणी राज्यों की सहकारी फेडरेशन ने आयात की वकालत है। हरियाणा ने स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के आयात की भी जरूरत बताई।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि आपूर्ति के मोर्चे पर स्थिति बहुत बेहतर नहीं है इसलिए आयात की स्थिति बन रही है। ऐसे में सरकार को तय करना है कि वह आयात के मामले में क्या फैसला लेती है क्योंकि फैट या एसएमपी आयात को घरेलू डेयरी उद्योग के हितों के प्रतिकूल माना जाएगा। लेकिन कीमतों में आगे बढ़ोतरी न हो और आपूर्ति की भी बेहतर बनी रहे उसके मद्देनजर आयात को टालना काफी मुश्किल होगा। दिलचस्प बात यह है कि चालू साल में भारत ने करीब चार हजार करोड़ रुपये के डेयरी उत्पादों का निर्यात किया है। वहीं वैश्विक बाजार में अभी फैट और एसएमपी की कीमत घरेलू बाजार से कम चल रही है। घरेलू बाजार में एसएमपी की कीमत 330-340 रुपये प्रति किलो के आसपास है।