कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने धान की दो जीनोम-संपादित किस्में विकसित की हैं। आईसीएआर के संस्थानों द्वारा विकसित इन किस्मों में डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1 शामिल हैं। इनमें कमला अधिक उपज और कम समय में तैयार होने वाली किस्म है, जबकि पूसा डीएसटी राइस 1 सूखे और अधिक लवणता का सामना करने में सक्षम हैं। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, भारत विश्व का पहला देश है जिसने जीनोम-संपादित धान की किस्में विकसित की हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स में दोनों जीनोम-संपादित किस्में राष्ट्र को समर्पित की। इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन देश के कृषि इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा। धान की नई किस्में किसानों की आय बढ़ाने, लागत घटाने, पानी की बचत और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में मददगार होंगी।
नई किस्मों के विकास के लिए कृषि वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि ये किस्में किसानों के लिए वरदान साबित होंगी और दूसरी हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेंगी। उन्होंने कहा कि धान की ये किस्में 30% अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं और 20 दिन पहले तैयार हो जाती हैं। इनसे न केवल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारतीय कृषि को सतत विकास की ओर अग्रसर करने और किसानों को समृद्ध बनाने में मील का पत्थर सिद्ध होंगी।
इस अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भारत को विश्व का फूड बास्केट बनाने के ध्येय से काम करना होगा। उन्होंने दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एमएल जाट ने बताया कि दोनों जीन एडिटेड किस्मों के ऑल इंडिया कॉर्डिनेटेड ट्रायल हो चुके हैं और जल्द ही इनके ब्रीडर सीड, फाउंडेशन सीड और सर्टिफाइड सीड का चरण पूरा कर ये किस्में किसानों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इन किस्मों को विकसित कर भारत ने जीनोम एडिटेड किस्मों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और आईएआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि नई किस्मों को जीनोम संपादन की (क्रिस्पर-कैस) तकनीक से विकसित किया गया है, जिससे पौधों के मूल जीन में सूक्ष्म बदलाव किए जाते हैं, लेकिन कोई बाहरी जीन नहीं जोड़ा जाता है। जीनोम एडिटिंग की दो विधियों एसडीएन1 और एसडीएन2 से विकसित सामान्य फसलों को भारत सरकार के जैव सुरक्षा नियमों से मुक्त रखा गया है।
डीआरआर धान 100 (कमला)
आईसीएआर के हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR) ने धान की 'सांबा महसूरी' किस्म में जीनोम एडिटिंग कर नई किस्म डीआरआर धान 100 (कमला) तैयार की है। इसमें साइट डायरेक्टेड न्यूक्लीज 1 (SDN1) प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है जिससे बाली में दानों की संख्या में वृद्धि हुई और उपज लगभग 19 फीसदी बढ़ गई। यह लगभग 20 दिन पहले (130 दिन) में पककर तैयार हो जाती है और अनुकूल परिस्थितियों में 9 टन/हेक्टेयर तक उपज की क्षमता रखती है। कम अवधि के कारण पानी और लागत की बचत होती है। यह किस्म चावल की गुणवत्ता में मूल किस्म यानी सांबा महसूरी जैसी है।
पूसा डीएसटी राइस 1
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (IARI) ने धान की 'एमटीयू1010' किस्म में जीनोम एडिटिंग कर पूसा डीएसटी राइस 1 नाम से एक नई किस्म विकसित की है। यह सूखे का सामना करने और लवणीय व क्षारीय मिट्टी में भी बेहतर उपज देने में सक्षम है। यह सूखा प्रभावित व क्षारीय मिट्टी वाले इलाकों के लिए उपयुक्त है।
कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि इन किस्मों की खेती से देश के लगभग 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 45 लाख टन धान के अतिरिक्त उत्पादन, ग्रीन हाउस गैसों में 20 फीसदी की कमी और 20 दिन पहले तैयार होने के कारण 750 करोड़ घन मीटर सिंचाई जल की बचत हो सकती है।
जीनोम-संपादित फसलों को लेकर छिड़ी लंबी बहस के बाद भारत सरकार ने SDN1 और SDN2 प्रक्रिया से जीन एडिटेड फसलों को सुरक्षित मानते हुए इन्हें बॉयोसेफ्टी गाइडलाइन से छूट दी थी। इस संबंध में 30 मार्च, 2022 को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी।
बॉयोसेफ्टी गाइडलाइन से छूट मिलने से ही जीनोम-संपादित नई किस्मों को विकसित करने का रास्ता खुला है। यह तकनीक देश की खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आईसीएआर द्वारा खाद्यान्न, तिलहन व दलहनों सहित कई फसलों में जीनोम एडिटिंग अनुसंधान आरंभ किए जा चुके हैं।
इस अवसर पर जीनोम-संपादित किस्मों के अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने वर्चुअल जुड़कर विचार व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों को बधाई दी। कार्यक्रम को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, आईसीएआर के उपमहानिदेशक (एक्सटेंशन) डॉ. राजबीर सिंह, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. आर.एम. सुंदरम, आईएआरआई के निदेशक डॉ. सीएच. श्रीनिवास राव ने भी संबोधित किया।