एक ओर जहां किसानों का रुझान मक्का की ओर बढ़ रहा है, वहीं इस बार मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना भी मुश्किल हो गया है। अधिकांश मंडियों में मक्का की कीमतें एमएसपी से काफी नीचे चल रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को सरकारी खरीद का इंतजार है।
एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को बढ़ावा मिलने से हाल के वर्षों में किसानों को मक्का का बेहतर दाम मिलने लगा था। यही वजह है कि किसानों ने इस साल सोयाबीन और कपास की बजाय मक्का को तरजीह दी। चालू खरीफ सीजन 2024-25 में मक्का का रकबा करीब 12 फीसदी बढ़कर 95 लाख हेक्टेयर से अधिक पहुंच गया है। लेकिन इस बार मक्का की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। इसके पीछे एथेनॉल उत्पादन में चावल अधिक इस्तेमाल और मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी को वजह माना जा रहा है।
कृषि मंत्रालय के Agmarknet पोर्टल के अनुसार, मध्यप्रदेश के देवास, हरदा, खंडवा, खरगोन, सीहोर, शिवपुरी, बड़वानी और होशंगाबाद जिलों की कई मंडियों में मक्का 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल के मॉडल भाव पर खरीदी जा रही है, जबकि सरकार ने मक्का का एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। किसान अपनी उपज व्यापारियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं।
15 अक्टूबर को देवास जिले की खातेगांव मंडी में मक्का का मॉडल भाव 1200 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि हरदा जिले की मंडियों में यह 1250 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज हुआ। खंडवा मंडी में मक्का की खरीद 1200 रुपये के मॉडल भाव पर हुई, वहीं विदिशा मंडी में भाव 1400 रुपये प्रति क्विंटल रहा। शिवपुरी जिले की कोलारस मंडी में मक्का का मॉडल भाव 1140 रुपये तक गिर गया।
राजस्थान की मंडियों में मक्का 1500 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के मॉडल भाव पर बिक रही है, जबकि उत्तर प्रदेश की अधिकांश मंडियों में भी मक्का का मॉडल भाव एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गया है। इस तरह किसानों को प्रति क्विंटल 1000 से 1200 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है जिससे लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही का कहना है कि किसानों ने अच्छे भाव की उम्मीद में मक्का उगाया था। केंद्र सरकार भी मक्का की खेती पर जोर दे रही है, लेकिन अब भाव गिर गए हैं तो सरकार को कोई परवाह नहीं है। राज्य में मक्का की सरकारी खरीद तो दूर, भावांतर योजना का ऐलान भी नहीं हुआ।
इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण किसानों की सोयाबीन और मक्का की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अब एमएसपी न मिलने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि बहुप्रचारित एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के बावजूद किसानों को मक्का का सही मूल्य क्यों नहीं मिल पा रहा है। क्या एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम से जितना लाभ मिलना था, वह मिल चुका है।
मक्का का एमएसपी न मिलने से नाराज मध्यप्रदेश के किसानों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। आरोप है कि व्यापारी नमी बताकर दाम 1000 से 1100 रुपये तक घटा रहे हैं। इससे गुस्साए किसानों ने बुधवार को खंडवा में इंदौर रोड पर चक्का जाम कर दिया।
मक्का की फसल फीड और बायोफ्यूल उद्योग की प्रमुख आवश्यकता बन चुकी है। अगर किसानों को उचित दाम नहीं मिला, तो अगले सीजन में वे मक्का की जगह दूसरी फसलों की ओर रुख करेंगे, जिससे उद्योग भी प्रभावित होंगे।