डिजिटल कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 6,000 करोड़ रुपये का बूस्ट, चार राज्यों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा है कि राज्यों द्वारा अपडेटेड अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) के साथ अपनी किसान रजिस्ट्री को तेजी से जोड़ने और योजना वितरण तथा व्यक्तिगत कृषि सेवाओं के लिए डिजिटल डेटासेट का सक्रिय रूप से उपयोग करने की तत्काल जरूरत है।

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा है कि राज्यों द्वारा अपडेटेड अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) के साथ अपनी किसान रजिस्ट्री को तेजी से जोड़ने और योजना वितरण तथा व्यक्तिगत कृषि सेवाओं के लिए डिजिटल डेटासेट का सक्रिय रूप से उपयोग करने की तत्काल जरूरत है। वे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से आयोजित "एग्री स्टैक पर राष्ट्रीय सम्मेलन: डेटा की डिलीवरी में तब्दीली" में बोल रहे थे। इस मौके पर राज्यों की मदद के लिए 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की गई।

कृषि सचिव ने पारदर्शी, किसान-केंद्रित गवर्नेंस के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। इसके अलावा, उन्होंने सटीक पहचान के लिए डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और आधार सीडिंग की बुनियादी भूमिका पर बल दिया। अपने संबोधन में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के मूल्य और आय में गिरावट की चुनौतियों का भी जिक्र किया।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (डिजिटल) प्रमोद कुमार मेहरदा ने एग्री स्टैक के बारे में व्यापक रूप से बताया जिसमें पीएम-किसान, पीएमएफबीवाई, केसीसी जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ किसान आईडी का एकीकरण शामिल है। उन्होंने जियोरेफरेंसिंग, डेटा क्वालिटी और एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (यूएफएसआई) मानकों के पालन के महत्व पर बल दिया। इस सम्मेलन में किसान ऑथराइजेशन सिस्टम और डिजिटल रूप से सत्यापन योग्य प्रमाण पत्र (डीवीसी) जैसी सेवाओं की शुरुआत भी हुई।

इस मौके पर महाराष्ट्र, केरल, बिहार और ओडिशा राज्यों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए। यह गठजोड़ किसान रजिस्ट्री से जुड़े प्रमाणीकरण के जरिए ऋण सेवाओं तक डिजिटल पहुंच को सक्षम करेगा, कागजी कार्रवाई को कम करेगा। देश भर के छोटे और सीमांत किसानों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। 

राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा
इस मौके पर राज्यों की मदद के लिए कुल 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की गई। इनमें किसान रजिस्ट्री (कानूनी उत्तराधिकारी प्रणाली सहित) के लिए 4,000 करोड़ रुपये और पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए।

चीफ नॉलेज ऑफिसर और सलाहकार (CKO&A) के नेतृत्व में हुए तकनीकी सत्रों में राज्य स्तरीय डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, डेटा की गुणवत्ता में फर्क को दूर करने और डीसीएस मानकों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। सटीकता और दक्षता को बेहतर करने के लिए रिमोट सेंसिंग, एआई/एमएल टूल और स्वचालित डेटा सत्यापन तंत्र का उपयोग करने पर जोर दिया गया। एग्री स्टैक के उपयोग पर एक सत्र में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।