‘रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और अवार्ड्स 2025’ में, भारतीय खेती में योगदान देने वाले तीन खास लोगों को कृषि विज्ञान, इंडस्ट्री और खेती में उनके अहम कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। ये अवॉर्ड TAAS के चेयरमैन, पूर्व DARE सचिव और पूर्व DG ICAR पद्मभूषण डॉ. आर.एस. परोदा; भारत सरकार के पूर्व कृषि और खाद्य सचिव टी. नंदकुमार; और DARE सचिव तथा DG ICAR डॉ. एम.एल. जाट ने दिए।
जाने-माने कृषि विज्ञानी डॉ. ए.के. सिंह को बेहतर पैदावार वाली बासमती चावल की किस्में डेवलप करने के लिए सममानित किया गया, जिनसे किसानों की आय बढ़ी। म्हाइको प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र बरवाले को देश में बीज बिजनेस को बढ़ावा देने, कपास की खेती में क्रांति लाने वाली Bt टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के सेाथ टिकाऊ खेती के लिए को बढ़ावा देने के लिए एग्री-कॉर्पोरेट अवॉर्ड मिला। प्रोग्रेसिव फ़ार्मर अवॉर्ड निक्की पिलानिया चौधरी को दिया गया, जो एक युवा एग्रीप्रेन्योर हैं और सस्टेनेबल डेयरी, पॉपलर और क्लाइमेट-स्मार्ट खेती की तकनीकों को बढ़ावा दे रही हैं।
कैटेगरी - एमिनेंट एग्रीकल्चर साइंटिस्ट
डॉ. ए.के. सिंह, पूर्व डायरेक्टर, IARI, पूसा, नई दिल्ली
डॉ. ए.के. सिंह एक जाने-माने rice breeder हैं, जो पिछले 30 सालों से IARI, नई दिल्ली में बासमती चावल की 25 किस्मों के डेवलपमेंट से जुड़े रहे हैं। ये किस्में अभी 20 लाख हेक्टेयर इलाके में उगाई जाती हैं। ये किस्में लाखों बासमती किसानों के लिए खुशहाली लेकर आई है और इनसे देश को हर साल 50,000/- करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आय होती है। दुनिया के जाने-माने जर्नल्स में उनके 250 से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश हुए हैं। उन्होंने दो किताबें भी लिखी हैं। वे INSA, NASI और NAAS के फेलो हैं। उन्हें कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिल चुके हैं। कुछ प्रमुख अवॉर्ड हैं- रफी अहमद किदवई अवॉर्ड, भारत रत्न डॉ. सी. सुब्रमण्यम और नाना जी देशमुख इंटरडिसिप्लिनरी टीम अवॉर्ड, बोरलॉग अवॉर्ड, IARI का बेस्ट टीचर अवॉर्ड, IARI का डॉ. बी.पी. पाल अवॉर्ड, वासविक अवॉर्ड, ओमप्रकाश भसीन अवॉर्ड और डी.एस. बराड़ अवॉर्ड।
कैटेगरी - एग्री-कॉरपोरेट
डॉ. राजेंद्र बरवाले, चेयरमैन, म्हाइको प्राइवेट लिमिटेड

GB पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंत नगर, उत्तराखंड से एग्रीकल्चर ग्रेजुएट और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के एल्युम्नाई, श्री बरवाले को भारत में Bt Cotton टेक्नोलॉजी लाने के लिए जाना जाता है। इस टेक्नोलॉजी ने देश में कॉटन सेक्टर को बदल दिया। उन्होंने हाल के सालों में मलावी, केन्या और नाइजीरिया में Bt Cotton टेक्नोलॉजी और 2013 में बांग्लादेश में Bt बैंगन टेक्नोलॉजी शुरू की। मॉडर्न साइंस का इस्तेमाल करके छोटे किसानों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने में उनके योगदान के लिए उन्हें कई फोरम पर पहचान मिली है। वे फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया, इंटरनेशनल सीड फेडरेशन, स्विट्जरलैंड और कई दूसरे ऑर्गनाइज़ेशन के बोर्ड का हिस्सा हैं। वे एक जाने-माने समाजसेवी भी हैं जो समय-समय पर कई सामाजिक कामों में मदद करते हैं।
कैटेगरी - प्रोग्रेसिव किसान
निक्की पिलानिया चौधरी
दिल्ली यूनिवर्सिटी के मैत्रेयी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट, निक्की ने UK की सरे यूनिवर्सिटी से बिज़नेस इकोनॉमिक्स और फाइनेंस में मास्टर्स किया है। 2022 से, अपने पति गौरव के साथ, वह भारत में डेयरी के माहौल को बदलने में जुटी हैं। निक्की को एक युवा डेयरी किसान/एग्रीप्रेन्योर के तौर पर भारत में डेयरी फार्मिंग सेक्टर के बारे में अपने विचार साझा करने के लिए तीन बार संयुक्त राष्ट्र क फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइज़ेशन (FAO), रोम में बुलाया गया है। वे पॉपलर फार्मिंग के लिए भी जानी जाती हैं। निक्की का रिसर्च पेपर, जिसका टाइटल था, “Poplar Culture on Farmland: Farmer’s Experience from Uttar Pradesh” फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून ने प्रकाशित किया था। निक्की ने खेती में कई ऐसी पहल की हैं जो आर्थिक रूप से फायदेमंद और पर्यावरण के लिए टिकाऊ हैं। वे किसानों के बीच गेहूं में ज़ीरो टिलेज और धान में डायरेक्ट सीडिंग जैसे कंजर्वेशन खेती के तरीकों को बढ़ावा देती हैं।