पेटा विवाद बेवजह, कोविड की दूसरी लहर में दूध किसानों और डेयरी उद्योग की बढ़ी मुश्किल : आर.एस. सोढ़ी , एक्सक्लूसिव विडियो इंटरव्यू

कोविड की दूसरी लहर का दूध किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। मांग घटने से डेयरी उद्योग के पास भी लगातार स्टॉक बढ़ रहा है और इसके चलते कंपनियों की लागत बढ़ रही है। देश के कई हिस्सों में किसानों के लिए दूध के दाम घट गये हैं लेकिन अमूल जैसी सहकारी संस्था जो देश में चालीस लाख से अधिक किसानों से दूध खरीदता है वह अभी भी किसानों को अधिक दाम दे रही है। इस प्रतिकूल दौर में डेयरी उद्योग, किसानों की स्थिति के साथ ही तमाम मसलों पर अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आर. एस. सोढ़ी ने रुरल वॉयस साथ विडियो इंटरव्यू में अपने विचार साझा किये। इस इंटरव्यू में उन्होंने पेटा विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बेवजह बताया

गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आर. एस. सोढ़ी ने रुरल वॉयस के साथ एक विडियो इंटरव्यू में लंबी बातचीत की। इसमें उन्होंने कोविड की दूसरी लहर का दूध किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ने की बात कही। साथ ही कहा कि मांग घटने से डेयरी उद्योग के पास भी लगातार स्टॉक बढ़ रहा है और इसके चलते कंपनियों की लागत बढ़ रही है। देश के कई हिस्सों में किसानों के लिए दूध के दाम घट गये हैं लेकिन अमूल जैसी सहकारी संस्था जो देश में चालीस लाख से अधिक किसानों से दूध खरीदता है वह अभी भी किसानों को अधिक दाम दे रही है। इस प्रतिकूल दौर में डेयरी उद्योग, किसानों की स्थिति के साथ ही तमाम मसलों पर अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आर. एस. सोढ़ी ने रुरल वॉयस के साथ बातचीत की। साथ ही यह भी बताया कि पेटा द्वारा उठाये गये विवाद पर उनका क्या रुख रहा है।

आर. एस. सोढ़ी अमू्ल के मैनेजिंग डायरेक्टर होने के साथ ही देश के डेयरी उद्योग के सबसे अधिक अनुभवी और बड़े नामों में शुमार होते हैं। गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) का पिछले वित्त वर्ष 2020-21 का टर्नओवर 39,250 करोड़ रुपये रहा है जबकि अमूल ब्रांड का टर्नओवर इस दौरान 53 हजार करोड़ रुपये रहा है। रुरल वॉयस के साथ रुरल डायलॉग में सोढ़ी बताते हैं कि गुजरात के किसानों को हर रोज दूध की बिक्री से 150 करोड़ रुपये मिलते हैं। यानी यह राशि हर रोज गुजरात के गांवों की आय के रूप में जाती है। कोविड महामारी की पहली लहर में किसानों को सही कीमत देने के साथ ही अमूल की दुध खरीद की वृद्धि दर 15 फीसदी रही थी। जबकि इस साल कोविड की दूसरी लहर के बावजूद अमूल की दूध खरीद पिछले साल से 13 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इस साल दूध का उत्पादन अधिक नहीं बढ़ने के बावजूद अधिक दूध बिक्री के लिए आ रहा है जबकि दूध उत्पादों की मांग गिरी है। अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे तो दूध किसानोें के लिए दाम घट सकते हैं, वहीं उसका असर दूध उत्पादन पर पड़ सकता है क्योंकि किसानों की दूध उत्पादन लागत बढ़ रही है। उस स्थिति में अगले लीन सीजन में दूध उपभोक्ताओं के लिए भी कीमतों में इजाफा हो सकता है। इस पूरे इंटरव्यू को देखिये, आपको मिलेंगे उन सवालों के जवाब जो दूध किसानों, डेयरी उद्योग, उपभोक्ताओं के लिए और अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले दिनों की स्थिति को साफ करेंगे।