हनुमानगढ़ से विवादित एथेनॉल फैक्ट्री मध्यप्रदेश शिफ्ट करने की तैयारी

राजस्थान के हनुमानगढ़ में प्रस्तावित एथेनॉल संयंत्र किसानों के तीखे विरोध और प्रदूषण संबंधी आशंकाओं के बीच राज्य से बाहर शिफ्ट होने की तैयारी चल रही है। हिंसक झड़पों के बाद वहां काम ठप पड़ा है और कंपनी ने संकेत दिए हैं कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर परियोजना को मध्य प्रदेश स्थानांतरित किया जाएगा।

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में प्रस्तावित एथेनॉल संयंत्र को राज्य से बाहर शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। परियोजना से जुड़ी कंपनी की ओर से संकेत हैं कि सभी औपचारिकताएं पूरी होते ही इस संयंत्र को मध्यप्रदेश स्थानांतरित कर दिया जाएगा। किसान विरोध और कानून-व्यवस्था की स्थिति के चलते राज्य में इस परियोजना को आगे बढ़ाना फिलहाल संभव नहीं लग रहा है।

यह संयंत्र चंडीगढ़ की ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हनुमानगढ़ जिले के राठी खेड़ा गांव (टिब्बी तहसील) में लगाया जा रहा था। करीब 400 करोड़ रुपये की लगात से 40 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित यह परियोजना प्रतिदिन 1,320 किलोलीटर अनाज-आधारित एथेनॉल उत्पादन के साथ 40 मेगावाट का बिजली उत्पादन भी करती। कंपनी की योजना स्थानीय स्तर पर उपलब्ध धान, मक्का और पराली का उपयोग करने की थी।

राजस्थान के जल संकट से प्रभावित हनुमानगढ़ क्षेत्र में प्रदूषण सहित कई मुद्दों को लेकर एथेनॉल प्लांट का विरोध किया जा रहा था। फैक्ट्री के खिलाफ किसानों ने बड़ा आंदोलन छेड़ दिया था, जिसके चलते सरकार को भी इस परियोजना से कदम वापस खींचने पड़े। 

एथेनॉल फैक्ट्री को वर्ष 2023 में मंजूरी मिली थी, लेकिन दिसंबर 2025 में यह परियोजना काफी विवादों में आ गई। स्थानीय किसानों ने आशंका जताई कि फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषण और औद्योगिक कचरे से खेतों की उर्वरता और भूजल दूषित हो सकता है। इसके बाद इलाके में विरोध तेज हो गया और कुछ ही हफ्तों में काम रोकना पड़ा।

हालांकि, कंपनी की ओर से किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि संयंत्र में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम और आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण तकनीकें अपनाई जाएंगी, लेकिन फैक्ट्री का विरोध कम नहीं हुआ। मौजूदा हालात में हनुमानगढ़ में इस परियोजना को आगे बढ़ाना संभव नहीं है।

किसानों का विरोध 10 दिसंबर को उस समय उग्र हो गया था, जब टिब्बी में आयोजित महापंचायत में हजारों किसान जुटे। बैठक के बाद प्रदर्शनकारी निर्माण स्थल की ओर बढ़े और बाउंड्री वॉल के कुछ हिस्सों को तोड़ दिया। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के इस्तेमाल से हालात बिगड़ गए, जिसमें किसानों और पुलिसकर्मियों सहित 50 से अधिक लोग घायल हो गए और कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए।

घटना के बाद प्रशासन ने उसी दिन परियोजना का काम रुकवा दिया। इसके बाद 17 दिसंबर को किसान संगठनों ने महापंचायत में आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया और सरकार को 20 दिन का अल्टीमेटम दिया था। 

किसान नेताओं का कहना है कि जब तक परियोजना को औपचारिक रूप से रद्द करने का लिखित आदेश जारी नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वहीं, कंपनी सूत्रों के अनुसार, फैक्ट्री को अब मध्यप्रदेश में लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।