कश्मीर घाटी के बागवानों के लिए इस मौसम में सबसे बड़ी चिंता सेब की खेप को समय पर मंडियों तक पहुंचाना है। लेकिन पिछले 20 दिनों से कश्मीर घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (एनएच-44) पर लगातार जाम लगा हुआ है। इस जाम में फंसे हजारों ट्रकों में भरे सेब अब सड़क पर ही सड़ने लगे हैं। सड़कों पर सड़ते सेब की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
भारत का लगभग 80 प्रतिशत सेब उत्पादन कश्मीर से होता है। अगस्त के मध्य से, एनएच-44 भारी बारिश और भूस्खलन के कारण लगभग अवरुद्ध है। इस बंद के कारण फलों की खेप जम्मू जाने वाले ट्रकों में ही सड़ रही है। बड़ी मात्रा में सेब को कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
फल व्यवसाय से जुड़े लोगों का अनुमान है कि 14 अगस्त को हाईवे बंद होने के बाद से कश्मीर के किसानों को लगभग 700-750 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था में सेब का महत्वपूर्ण योगदान है और लाखों लोगों की आजीविका इससे जुड़ी है।
परेशान किसान पिछले 20 दिनों से एनएच44 को बहाल करने में सरकार की नाकामी को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सेब का सीजन बहुत छोटा होता है और अगर फल समय पर बाजार तक नहीं पहुंचा तो उसकी कोई कीमत नहीं रह जाती। ट्रकों में भरे कई हजार पेटी सेब खराब हो चुके हैं, जिससे बागवानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।
मंडियों में आपूर्ति प्रभावित
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की मंडियों में कश्मीरी सेब की आपूर्ति प्रभावित हो गई है। कारोबारी भी चिंता जता रहे हैं कि यदि समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ तो कीमतें बढ़ेंगी और उपभोक्ताओं तक गुणवत्तापूर्ण फल नहीं पहुंच पाएंगे।
व्यापारियों को डर है कि हाईवे पर यातायात पूरी तरह से बहाल हो जाने के बाद, अचानक बड़ी मात्रा में सेब स्टॉक निकलने से दिल्ली और अन्य जगहों के थोक बाज़ारों में फलों की आपूर्ति अचानक बढ़ेगी, जिससे कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।
हाईवे खोलने की चुनौती
पिछले एक महीने के दौरान भारी बारिश और बादल फटने से श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे को काफी नुकसान हुआ है। खासकर चेनानी और उधमपुर के बीच तथा राजमार्ग के नाशरी व बनिहाल में भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मसले पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से बात की, जिन्होंने समस्या के समाधान के लिए अगले जल्द ही ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बहाल करने के लिए दो-लेन का अस्थायी डायवर्जन बनाया गया है। इससे यातायात को बहाल करने में कुछ मदद मिली है।