मध्य प्रदेश में सोयाबीन के लिए भावांतर योजना के रजिस्ट्रेशन शुरू, विपक्ष ने उठाए सवाल

पिछली बार चलाई गई भावांतर योजना की खामियों को देखते हुए, फिर से योजना शुरू करने को लेकर विपक्षी दलों और किसान संगठन कई सवाल उठा रहे हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सोयाबीन किसानों के लिए भावांतर योजना शुरू करने का ऐलान किया है। शुक्रवार 3 अक्टूबर से भावांतर योजना के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मंडी के मॉडल भाव/बिक्री मूल्य के बीच के अंतर की भरपाई की जाएगी। हालांकि, प्रदेश में पिछली बार चलाई गई भावांतर योजना की खामियों को देखते हुए, फिर से योजना शुरू करने को लेकर विपक्षी दलों और किसान संगठन कई सवाल उठा रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज से ही सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए भावांतर योजना के तहत पंजीयन प्रारंभ हो गया है। अब किसानों को अपनी फसल बेचने में किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सोयाबीन मंडी में बेचें, यदि एमएसपी से कम राशि में फसल बिकती है, तो बेची गई फसल की कीमत और एमएसपी के अंतर की राशि यानि भावांतर की राशि अगले 15 दिनों में सीधे किसानों के बैंक खाते में भेज दी जाएगी। 

भावांतर से भाव गिरने की आशंका
पिछली बार, 2017 में मध्य प्रदेश में भावांतर योजना लागू होने के बाद, व्यापारियों ने मिलीभगत कर दाम गिरा दिए और सस्ते भाव पर खरीद कर मुनाफा कमाया। इस साल भी सोयाबीन के दाम एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल से काफी नीचे गिर चुके हैं और किसानों को 3,500–4,000 प्रति क्विंटल के भाव में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। केदार सिरोही का कहना है कि एमएसपी की घोषणा से जहां बाजार भाव बढ़ता है, वहीं भावांतर योजना की घोषणा के बाद बाजार कीमतों में गिरावट आती है, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है।

विपक्ष ने उठाए सवाल
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही का कहना है कि भावांतर योजना से केवल व्यापारियों को फायदा होगा। जब केंद्र सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी तय किया है, तो किसानों को एमएसपी मिलना चाहिए। लेकिन सरकार भावांतर योजना चला रही है। सिरोही के अनुसार, भावांतर योजना में किसानों को केवल मॉडल भाव और एमएसपी का अंतर मिलेगा, जिससे दूरदराज की मंडियों में कम कीमत पर सोयाबीन बेचने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

इस साल अतिवृष्टि और कीटों के हमले ने सोयाबीन की फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार किसानों के नुकसान का सही सर्वे कर राहत पहुंचाने में असफल रही है और अब उपज का एमएसपी भी सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।

लामबंद हो रहे किसान

एक तरफ राज्य सरकार भावांतर योजना लागू करने में जुटी है। वहीं, भावांतर के विरोध में किसान संगठन लामबंद हो रहे हैं। हरदा में आम किसान यूनियन ने ट्रैक्टर रैली निकालकर समर्थन मूल्य पर खरीदी और मुआवजे की मांग की। किसानों का कहना है "अतिवृष्टि और कीटों से फसलें बर्बाद हो गई हैं, और सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी की बजाय भावांतर योजना लागू कर रही है, जिसका फायदा बिचौलियों को होगा। इसी को लेकर आम किसान यूनियन ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है।"

क्षतिपूर्ति का आकलन
यदि मंडी में औसत गुणवत्ता की कृषि उपज का विक्रय मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो लेकिन राज्य सरकार द्वारा घोषित औसत मॉडल भाव से अधिक हो, तो किसान को केवल एमएसपी और वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। यदि मंडी में कृषि उपज का विक्रय मूल्य घोषित औसत मॉडल भाव से भी कम हो, तो किसान को एमएसपी और मॉडल भाव के अंतर की भरपाई प्राप्त होगी।

किसानों का पंजीकरण व सत्यापन

भावांतर योजना के लिए पंजीयन ई-उपार्जन पोर्टल पर होंगे। सोसायटियों में स्थापित केंद्रों, एमपी ऑनलाइन और किसान एप पर भी पंजीकरण हो सकेंगे। प्रदेश के किसानों और उनके रकबे का सत्यापन राजस्व विभाग के माध्यम से किया जाएगा। भावांतर की राशि पंजीकरण के समय दर्ज बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित की जाएगी। पंजीकरण के लिए किसानों को फसल, भूमि दस्तावेज, बैंक खाता और आधार कार्ड जैसी जानकारी प्रस्तुत करनी होगी।