पराली बनी हरियाणा की नई इंडस्ट्री, देश के लिए मिसाल: श्याम सिंह राणा

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने राज्य में पराली प्रबंधन में हुई प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि पराली प्रबंधन अब एक नई इंडस्ट्री बन चुका है। किसान अब फसल अवशेष जलाने की बजाय उससे कमाई कर रहे हैं।

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने राज्य में पराली प्रबंधन में हुई प्रगति की सराहना करते हुए इसे “नई इंडस्ट्री” करार दिया, जिसने किसानों की जिंदगी बदल दी है और टिकाऊ कृषि को नई दिशा दी है।

सोमवार को मीडिया से बातचीत में राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा ने पराली जलाने की समस्या को मुनाफे के अवसर में बदलकर पूरे देश के सामने मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा, “पराली को धुएं नहीं, धन के रूप में देखें। पराली प्रबंधन अब एक नई इंडस्ट्री बन चुका है। किसान अब फसल अवशेष जलाने की बजाय उससे कमाई कर रहे हैं।”

हरियाणा के किसान पराली का उपयोग बायोफ्यूल संयंत्रों, पशु चारे, कम्पोस्ट और पेपर निर्माण में कर रहे हैं। कभी प्रदूषण का कारण मानी जाने वाली पराली अब किसानों के लिए आय का स्थायी स्रोत बन गई है। उन्होंने इस परिवर्तन का श्रेय जनजागरूकता अभियानों, प्रोत्साहन योजनाओं और नई तकनीक को दिया।

कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने पहले चरण में 75,000 एकड़ भूमि के लिए प्रति एकड़ एक पैकेट मुफ्त डिकंपोजर वेटेबल पाउडर वितरित किया है। यह डिकंपोजर फसल अवशेष को पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदल देता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, फफूंदीजनित रोग घटते हैं और रासायनिक खादों के उपयोग में 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी आती है।

पराली प्रबंधन के लिए सहायता

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, हरियाणा में किसानों को सब्सिडी पर 1,882 हैप्पी सीडर और सुपर सीडर मशीनें दी गई हैं, जिनकी मदद से किसान बिना पराली हटाए सीधे गेहूं की बुवाई कर रहे हैं। कई प्रगतिशील किसानों ने प्रति एकड़ 3 से 5 क्विंटल तक गेहूं की पैदावार में वृद्धि दर्ज की है और यूरिया पर काफी बचत हुई है।

पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार प्रति एकड़ Rs 1,200 की सहायता राशि 1.87 लाख किसानों को दे रही है, जिससे 16.31 लाख एकड़ भूमि कवर हो रही है। सरकार भविष्य में इस राशि को और बढ़ाने की योजना बना रही है।

विपक्ष द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए राणा ने दावा किया कि सैनी सरकार की एमएसपी नीति अब देश के लिए एक मॉडल बन चुकी है। इस खरीफ सीजन में अब तक करीब 60 लाख टन धान की खरीद एमएसपी पर की जा चुकी है।

उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के प्रयास

हरियाणा सरकार ने उर्वरक की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए राज्य में उर्वरक वितरण को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा (एमएफएमबी)’ पोर्टल से जोड़ने का ऐलान किया। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि अब हर उर्वरक का बैग सीधे किसान को उसकी फसल के अनुसार मिलेगा। इस पारदर्शिता से न तो उर्वरक की हेरा-फेरी होगी और न ही जमाखोरी। उन्होंने आश्वासन दिया कि हरियाणा में पर्याप्त उर्वरक स्टॉक मौजूद है और राज्य में कोई भी खेत खाद की कमी के कारण खाली नहीं रहेगा।

सरकार ने उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के लिए छापेमारी और निगरानी अभियान शुरू किए हैं, साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि रासायनिक निर्भरता घटाई जा सके।