चालू चीनी पेराई वर्ष 2025-26 की शुरुआत में देरी के बावजूद सीजन का आगाज मजबूती के साथ हुआ है। आमतौर पर गन्ना सीजन की शुरुआत मानसून की विदाई के बाद 1 अक्टूबर से मानी जाती है। लेकिन इस बार गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अक्टूबर-नवंबर तक बारिश हुई, जिसके चलते गन्ना कटाई देर से शुरू हुई।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) की ओर से जारी पहले पखवाड़े की रिपोर्ट के अनुसार, चालू सीजन में 325 मिलों ने पेराई शुरू कर दी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 144 मिलें शुरू हुई थीं।
चालू सीजन में अब तक 128 लाख टन गन्ने की पेराई हुई है जबकि पिछले साल इस अवधि तक 91 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी। चीनी उत्पादन 10.50 लाख टन हो चुका है जो पिछले साल समान अवधि में 7.10 लाख टन था। औसत चीनी रिकवरी दर भी पिछले साल के 7.8 फीसदी की तुलना में इस बार 8.2 फीसदी है।
बेमौसम बरसात से जहां खरीफ की तैयार फसलों को नुकसान पहुंचा, वहीं गन्ने का वजन बढ़ने का अनुमान है। लेकिन खेतों में पानी भरा होने की वजह से गन्ना सीजन की शुरुआत देरी से हुई। महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की कीमतों को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन ने भी पेराई की गति को और प्रभावित किया है। पिछले साल महाराष्ट्र में चुनावों के कारण, सत्र नवंबर के अंत में शुरू हुआ था। इन सबके बावजूद चालू सीजन की स्थिति फिलहाल बेहतर नजर आ रही है।
उत्पादन और निर्यात
नए पेराई सत्र में देरी से शुरुआत के बावजूद, शुगर फेडरेशन वर्ष 2025-26 के लिए 350 लाख टन सकल चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है। महाराष्ट्र में (125 लाख टन), उत्तर प्रदेश में (110 लाख), और कर्नाटक में (70 लाख टन) चीनी उत्पादन की उम्मीद है।
इथेनॉल उत्पादन के लिए अनुमानित 35 लाख शुगर डायवर्जन और लगभग 290 लाख टन की घरेलू खपत के बाद, इस सीजन में 20-25 लाख टन चीनी का सरप्लस रहेगा होगा। सरकार ने जनवरी और अप्रैल 2026 के बीच 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। फेडरेशन ने उम्मीद जताई कि चालू सीजन में आगे चलकर 10 लाख टन चीनी निर्यात की मंजूरी दी जा सकती है।
फेडरेशन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार समय रहते 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देती है तो इससे चीनी मिलों को राहत मिलेगी। पिछले 6 वर्षों से चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में संशोधन न होने और पिछले 3 वर्षों से इथेनॉल की खरीद कीमतों के स्थिर रहने के कारण चीनी मिलें वित्तीय दबाव में हैं।
शुगर एमएसपी और इथेनॉल की कीमतें बढ़ाने की मांग
नेशनल कोऑपरेटिव शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा, "हम किसानों की बेहतर दाम की मांग का समर्थन करते हैं। लेकिन किसानों को भुगतान और बकाया चुकाने के लिए चीनी के एमएसपी और इथेनॉल की कीमतों को बढ़ाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।"
पाटिल ने गन्ना किसानों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक अपनाने का भी आग्रह किया, जिससे पैदावार में 40% तक बढ़ोतरी और लागत 30% कम करने में सफलता मिली है। देश में गन्ने का रकबा 55-57 लाख हेक्टेयर से आगे नहीं बढ़ पा रहा है और उपज 75-77 टन प्रति हेक्टेयर पर स्थिर है। ऐसे में कम लागत पर अधिक गन्ना उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाना जरूरी है।
फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, "हमारे तीन प्रमुख मुद्दे हैं। चीनी के एमएसपी को एक्स-फैक्ट्री कीमतों के अनुरूप बढ़ाना, चीनी-आधारित इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी और चीनी-आधारित इथेनॉल आवंटन में वृद्धि।"