इफको नैनो उर्वरक नेटवर्क परियोजना सम्मेलन में नैनो उर्वरकों के फायदों और बेहतर नतीजों पर मंथन

इफको ने नैनो उर्वरकों की नेटवर्क परियोजना पर सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें प्रतिष्ठित कृषि विज्ञान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कुलपतियों ने हिस्सा लिया। नैनो उर्वरकों पर आधारित इस बैठक का उद्देश्य उर्वरकों के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास तथा कृषि 2.0 की दिशा में नयी संभावनाओं पर विचार करना था, ताकि देश के किसान अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें

विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक और विपणन सहकारी समिति  इफको ने नैनो उर्वरकों की नेटवर्क परियोजना पर सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें प्रतिष्ठित कृषि विज्ञान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कुलपतियों ने हिस्सा लिया। नैनो उर्वरकों पर आधारित इस बैठक का उद्देश्य उर्वरकों के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास तथा कृषि 2.0 की दिशा में नयी संभावनाओं पर विचार करना था, ताकि देश के किसान अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें । इस सम्मेलन में कई मुख्य संस्थाओं जैसे टीएनएयू, आईसीएआर-क्रीडा, आईएनएसटी मोहाली, वीएनएमकेवी, परभनी, आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर और आईसीएआर-आईएआरआई, पूसा, दिल्ली ने भाग लिया था । इस सम्मेलन के दौरान, एक तकनीकी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इफको नैनो यूरिया तरल के ढांचागत, संरचनागत और कार्यकुशलता के बारे में विस्तार से चर्चा की गई । साथ ही, यह भी बताया गया कि किस प्रकार नैनो नेटवर्किंग परियोजना से फसल और कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुसार इफको नैनो उर्वरकों के बारे में अद्यतन और उत्तम जानकारी प्राप्त होगी ।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने नैनो उर्वरकों के लिए आयोजित इस नेटवर्क बैठक की सराहना की । उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और सीमित संसाधनों के कारण उत्पन्न कृषि की वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए स्वदेशी तकनीकों का विकास करना होगा। उन्होंने इफको की ड्रोन पारिस्थितिकी प्रणाली विकास परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसके प्रयोग से किसान न्यूनतम लागत पर 25 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर फैली पत्तियों पर नैनो उर्वरकों का छिड़काव कर सकेंगे।
टीएनएयू के कुलपति डॉ. वी गीतालक्ष्मी ने विश्वास जताया कि सामान्य उर्वरकों के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य के नुकसान को रोकने के लिए नैनो उर्वरक एक समाधान के रूप में आया है । इस संबंध में टीएनएयू, कोयंबटूर के मुख्य विभागों द्वारा आलेख भी प्रस्तुत किये गये हैं । उन्होंने यह भी बताया कि इफको नैनो उर्वरकों की नेटवर्किंग परियोजना से विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में उगायी जाने वाली फसलों में इफको नैनो उर्वरकों के गुणवत्तायुक्त और विश्वसनीय आंकड़े सामने लाने में मदद मिलेगी ।
डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, सीआरआईडीए ने सीआरआईडीए द्वारा किए गए बहु-स्थान परीक्षणों के आधार पर वर्षा आधारित और शुष्क भूमि वाली फसलों में नैनो यूरिया तरल जैसे नैनो उर्वरकों की उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रदान की। नैनो यूरिया बाजरा फसल की उत्पादकता के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण गतिविधि को बढ़ाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बहु-स्थानों पर पोषक तत्वों के खनन और पोषक तत्वों के संतुलन पर अध्ययन से नैनो उर्वरकों के प्रचार-प्रसार में और मूल्य वृद्धि होगी।


डॉ. इंद्र मणि, कुलपति, वीएनएमकेवी, परभणी ने नैनो यूरिया को व्यापक रूप से अपनाने और नैनो उर्वरकों के साथ ड्रोन प्रौद्योगिकी के संयोजन के लिए इफको नैनोफॉर्मूलेशन हेतु स्थल विशिष्ट एसओपी विकसित करने पर जोर दिया। डॉ. ए.के. शुक्ला, कुलपति, आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर ने सुझाव दिया कि नैनो उर्वरकों के उपयोग के बारे में विभिन्न प्रकार की स्क्रीनिंग से नैनो उर्वरकों की लोकप्रियता और उपयोग बढ़ जाएगा । डॉ. राजीव शुक्ला, जीबीपीयूएटी, पंतनगर और डॉ. अश्विनी कुमार, आईसीएआर-सीएसएसआरआई, करनाल ने साझा किया कि अपने परीक्षणों के माध्यम से उन्होंने पाया है कि बल्क यूरिया के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक की कमी लाना संभव है। नैनो यूरिया का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए पौधों पर नैनो उर्वरकों के प्रयोग की विधि और फसलों की पत्तियों के विकास के संबंध में उचित समझ विकसित करनी होगी। इन परीक्षणों के दौरान यह देखा गया कि नैनो डीएपी के प्रयोग से बीजों के अंकुरण में वृद्धि होती है। इफको किसान ड्रोन सेवाओं को डिजिटल और वास्तविक माध्यमों से प्रदर्शित किया गया। डॉ. एस. पज़ानिवेलन, टीएनएयू ने बताया कि धान में 1800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया स्प्रे से जीएचजी उत्सर्जन में कमी के साथ उपज में 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। श्री योगेन्द्र कुमार, विपणन निदेशक, इफको ने संक्षेप में बताया कि नैनो यूरिया तरल के विकास से वैज्ञानिक क्षेत्र का विस्तार हुआ है जो निश्चित रूप से न केवल भारतीय कृषि, बल्कि विश्व कृषि के लिए एक वरदान होगा। सभी प्रतिभागियों ने किसानों के खेतों में नैनो उर्वरकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन सुविधा युक्त वहां लगी इफको ईवी का दौरा किया और उसकी सराहना की।