यूपी चुनावः पहले चरण में गठबंधन के साथ सीधी टक्कर में भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ीं

मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के बीच ही दिखा। अनेक जगहों पर लोग बसपा प्रत्याशियों के नाम तक नहीं बता सके। एक खास बात यह दिखी कि जाट और मुस्लिम वोट नहीं टूट रहे

सरधना, भैंसवाल (थानाभवन) और अजीजपुर (कैराना) से

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान हुआ। शाम तक 60 फीसदी से कुछ ज्यादा वोट डाले गए। हालांकि शाम पांच बजे तक कैराना के अजीजपुर गांव समेत कई जगहों पर मतदाताओं की लंबी कतार दिखी। मतदान के समय रूरल वॉयस ने कई इलाकों का दौरा किया। मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के बीच ही दिखा। अनेक जगहों पर लोग बसपा प्रत्याशियों के नाम तक नहीं बता सके। एक खास बात यह दिखी कि जाट और मुस्लिम वोट नहीं टूट रहे। कुछ दलित मतदाता जरूर भाजपा का समर्थन करते दिखे।

अच्छी बात यह रही कि इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दें तो मतदान के दौरान कहीं तनाव का माहौल नहीं दिखा। कहीं भी पुलिस या प्रशासन को सख्ती करने की नौबत नहीं आई। हां, अनेक जगहों पर लोगों ने वोट कटने की शिकायत जरूर की। उनके नाम वोटर लिस्ट में नहीं थे। लेकिन यह शिकायत सभी पक्ष के लोगों की है।

हाई प्रोफाइल सीटों में मेरठ जिले की सरधना सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक संगीत सोम के लिए चुनौती मुश्किल होती दिख रही है। सोम का यह तीसरा चुनाव है। यहां जाट और मुसलमानों के साथ गुर्जर भी सपा-रालोद गठबंधन का समर्थन करते दिखे। पिछली बार यहां से अतुल प्रधान करीब 24 हजार वोटों से हारे थे। इस बार वे ही गठबंधन के उम्मीदवार हैं। यहां चांदना गांव के जाट किसान अजय कुमार ने बताया कि ज्यादातर जाट प्रधान के पक्ष में हैं। बुढाना सीट के बिटावदा गांव के अशोक सिंह और शामली के सिंभालका गांव के जसवीर सिंह की राय भी यही थी।

शामली जिले के थानाभवन विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों का दौरा करने पर पता चला कि जाट वोट यहां भी नहीं बंट रहे। गांव भैंसवाल निवासी राजबीर सिंह और उदयवीर सिंह ने बताया कि यहां प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा के प्रति मतदाताओं में काफी नाराजगी है। जिला पंचायत सदस्य और स्थानीय रालोद नेता उमेश पंवार ने बताया कि यहां ज्यादातर वोट गठबंधन उम्मीदवार को ही मिल रहे हैं।

शामली सदर में भाजपा और सपा-रालोद, दोनों के जाट प्रत्याशी हैं। शामली शहर में हिंदू कन्या इंटर कॉलेज में बने मतदान केंद्र पर रालोद प्रत्याशी प्रसन्न चौधरी के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस को हल्की सख्ती करनी पड़ी। यहां बड़े गांवों के जाट मतदाता गठबंधन का समर्थन करते दिखे। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा विधायक तेजिंदर निरवाल को जाटों के वोट मिलते नहीं दिखे। लेकिन शहरी इलाकों में व्यापारी वर्ग और दलित वोटों का लाभ उन्हें मिल सकता है। सिवालखास सीट के दबथुआ गांव के रामवीर सिंह ने बताया कि जाट वोटरों ने रालोद प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद को वोट दिया है।

बहुचर्चित और मुस्लिम बहुल कैराना विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह की स्थिति इस बार भी कमजोर लग रही है। मृगांका यहां के बड़े नेता रहे स्व. हुकुम सिंह की बेटी हैं। उनके निवास की बैठक में ही मायूसी दिखी। वहां लोग-बाग भी गिने चुने ही थे। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में वोट डालते दिखे। यहां करीब आठ हजार सिख भी हैं, उनका वोट भी गठबंधन की तरफ था। आमवाली, कमालपुर जैसे जाटों के गांव में रालोद के कारण बहुमत वोट गठबंधन के प्रत्याशी नाहिद हसन को गया है। यहां करीब 20 हजार जाट मतदाता हैं। हालांकि गुर्जर बहुल कंडेला गांव में ज्यादातर मतदाता भाजपा के पक्ष में दिखे।

बसपा को कुछ ही दलित वोट मिल रहे हैं। दलित वोटों पर भाजपा और गठबंधन का भी दावा है। मेरठ कैंट में बसपा प्रत्याशी का बैनर भी दिखा और मेरठ कैंट में सरधना रोड पर कुछ मतदाता बसपा का समर्थन करते भी दिखे। यह सीट रालोद की सबसे कमजोर सीट बताई जा रही है। हालांकि यहां भी जाट मतदाता जयंत चौधरी के नाम पर वोट डाल रहे हैं।