जलवायु, राजनीतिक तनाव और नीतियों में अचानक बदलाव से वैश्विक खाद्य उत्पादन में जोखिम: एफएओ रिपोर्ट

मौसम की चरम घटनाओं, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और नीतियों में अचानक बदलाव वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रणालियों के लिए जोखिम पैदा करते हैं और मांग-आपूर्ति संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कारणों से व्यापार और वैश्विक खाद्य सुरक्षा की संभावनाओं को भी कमजोर कर सकते हैं।

मौसम की चरम घटनाओं, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और नीतियों में अचानक बदलाव वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रणालियों के लिए जोखिम पैदा करते हैं और मांग-आपूर्ति संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कारणों से व्यापार और वैश्विक खाद्य सुरक्षा की संभावनाओं को भी कमजोर कर सकते हैं। हालांकि, अधिकांश बुनियादी खाद्य पदार्थों के उत्पादन की संभावनाएं अनुकूल हैं।

एफएओ ने अपने नए फूड आउटलुक (द्विवार्षिक प्रकाशन) में प्रमुख खाद्य पदार्थों के उत्पादन, व्यापार, उपयोग और स्टॉक का पूर्वानुमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि 2023-24 में मोटा अनाज और चावल के व्यापार की मात्रा में गिरावट की उम्मीद है, जबकि ब्राजील और अमेरिका में बुवाई में बढ़ोतरी के कारण वैश्विक मक्का उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है।

इस रिपोर्ट में वनस्पति तेलों और वसा के वैश्विक व्यापार में भी मामूली गिरावट आने की उम्मीद जताई गई है, जबकि इनका वैश्विक उत्पादन और खपत बढ़ने का अनुमान एफएओ ने लगाया है। आगामी वर्ष में चीनी, डेयरी उत्पादों, मांस और मछली के व्यापार की मात्रा में भी गिरावट आने की उम्मीद जताई गई है।

वैश्विक खाद्य आयात बिल

एफएओ ने अपने फूड आउटलुक में कहा है कि 2023 में वैश्विक खाद्य आयात बिल के 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह 2022 की तुलना में लगभग 35.3 अरब अमेरिकी डॉलर (1.8 फीसदी) अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च और उच्च मध्यम आय वाले देशों की वजह से फलों-सब्जियों के साथ पेय पदार्थ और चीनी के आयात बिल में बड़ी वृद्धि होने का अनुमान है। इसके विपरीत कम आय वाले देशों के कुल खाद्य आयात बिल में 11 फीसदी की कमी देखने को मिल सकती है।

संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन ने कहा है कि ये घटनाक्रम अक्सर विश्व मूल्य रुझानों को प्रतिबिंबित करते हैं क्योंकि फलों-सब्जियों और चीनी के लिए अंतरराष्ट्रीय कोटेशन में वृद्धि हुई है, जबकि पशु और वनस्पति तेलों में दौरान गिरावट आई है। फिर भी, वैश्विक खाद्य आयात बिल पर मात्रा के मुताबिक प्रभाव मूल्य अधिक होने का अनुमान है। हालांकि कॉफी, चाय, कोको और मसालों जैसे ज्यादा कीमत वाले या प्रसंस्कृत उत्पादों में वृद्धि होने का अनुमान नहीं है।

अल्प विकसित, विकासशील और उप-सहारा अफ्रीका के देशों द्वारा आयात में कमी किए जाने से इनके खाद्य आयात बिल में आंशिक रूप से गिरावट की उम्मीद है। कमजोर मुद्राओं, बढ़ते कर्ज स्तर और माल ढुलाई की ज्यादा लागत की वजह से भी इनके आयात में कमी आने का अनुमान है क्योंकि इनकी वजह से अंतरराष्ट्रीय खाद्य बाजारों तक पहुंचने की उनकी क्षमता बाधित हो रही है।

यह रिपोर्ट शुद्ध खाद्य आयात करने वाले विकासशील देशों के घरेलू मूल्य विकास पर भी रौशनी डालती है और एफएओ के वैश्विक खाद्य उपभोग मूल्य सूचकांक के रुझानों का विश्लेषण करती है।