सूखा बना वैश्विक आपदा, खाद्य, जल और ऊर्जा संकट चरम पर: यूएन रिपोर्ट

UNCCD की ग्लोबल ड्रॉट हॉटस्पॉट रिपोर्ट ने 2023-25 ​​में सूखे के कारण मानवीय और पारिस्थितिकी संकट का खुलासा किया

Extracting water from a traditional well using a manual pulley system. Credit: Abdallah Khalili / UNCCD

अमेरिका के नेशनल ड्रॉट मिटिगेशन सेंटर (NDMC) और यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) ने सूखे पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें इतिहास में सबसे गंभीर और व्यापक सूखे की घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है। यह रिपोर्ट 2023 से 2025 तक की अवधि के लिए है और यह जलवायु परिवर्तन से प्रेरित सूखे का एक गंभीर विवरण प्रस्तुत करती है। इसके कारण दुनिया भर में खाद्य, जल और ऊर्जा संकट, आर्थिक व्यवधान और बड़े पैमाने पर मानवीय पीड़ा हो रही है।

"2023-2025 में दुनिया भर में सूखे के हॉटस्पॉट" शीर्षक वाली यह रिपोर्ट इंटरनेशनल ड्रॉट रेजिलियंस एलायंस (IDRA) द्वारा समर्थित है। इसमें यह भी बताया गया है कि भारत और थाईलैंड में सूखे की स्थिति ने अमेरिका में चीनी की कीमत में वृद्धि को कैसे बढ़ावा दिया।

UNCCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव ने कहा, "सूखा एक मूक हत्यारा है। यह बढ़ रहा है और तत्काल वैश्विक सहयोग की मांग करता है। जब भोजन, पानी और ऊर्जा एक साथ खत्म होने लगते हैं, तो समाज बिखरने लगता है। यह नई सामान्य स्थिति है जिसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए।" 

एनडीएमसी के संस्थापक निदेशक डॉ. मार्क स्वोबोडा ने स्थिति को "अब तक का सबसे खराब वैश्विक सूखा परिदृश्य" बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह अब अलग-अलग जगहों पर सूखे का मसला नहीं है, बल्कि यह धीमी गति से चलने वाली वैश्विक तबाही है। उन्होंने चेतावनी दी, "कोई भी देश, चाहे उसके पास कितना भी धन या बुनियादी ढांचा क्यों न हो, आत्मसंतुष्ट होने का जोखिम नहीं उठा सकता।"

अफ्रीका: 9 करोड़ लोगों के सामने खाने का संकट
रिपोर्ट में पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका को सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक बताया गया है, जहां 9 करोड़ से अधिक लोग भीषण भूख संकट का सामना कर रहे हैं। दक्षिणी अफ्रीका, जो पहले से ही असुरक्षित है, में ही अगस्त 2024 में लगभग 6.8 करोड़ लोगों को खाद्य सहायता की आवश्यकता पड़ी। जिम्बाब्वे में, मक्का की फसल का नुकसान 70% तक पहुंच गया, मक्का की कीमतें दोगुनी हो गईं और 9,000 मवेशी मारे गए। 

जाम्बिया को जम्बेजी नदी के जल स्तर में भारी कमी के कारण प्रतिदिन 21 घंटे तक बिजली की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा, जिससे जलविद्युत उत्पादन में कमी आई। सोमालिया में 2022 में सूखे से संबंधित 43,000 से अधिक मौतें हुईं, जबकि 2025 की शुरुआत में 44 लाख और लोगों को भूख का खतरा है। इथियोपिया, मलावी और जाम्बिया में भी बार-बार फसल खराब होने से मानवीय चुनौतियां और भी बढ़ गईं।

भूमध्यसागर: स्पेन, तुर्किये में बढ़ी समस्या
स्पेन में लगातार दो वर्षों तक सूखे और अत्यधिक गर्मी के कारण सितंबर 2023 तक जैतून के तेल के उत्पादन में 50% की गिरावट आई, जिससे कीमतें दोगुनी हो गईं। मोरक्को की भेड़ों की आबादी 2016 की तुलना में 38% कम हो गई, जिससे ईद पर उनकी कुर्बानी नहीं देने की शाही अपील की गई। तुर्किये में भूजल कमी के कारण 1,600 से अधिक सिंकहोल बन गए, जिससे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। 

लैटिन अमेरिका: जोखिम में अमेजन
अमेजन बेसिन में सूखे के कारण नदी का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर घट गया, मछलियों और 200 से अधिक लुप्तप्राय नदी डॉल्फिन की सामूहिक मृत्यु हो गई, और दूरदराज के समुदायों के लिए परिवहन और पीने के पानी की कमी हो गई। महत्वपूर्ण वैश्विक व्यापार मार्ग पनामा नहर भी प्रभावित हुई। अक्टूबर 2023 और जनवरी 2024 के बीच इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या 38 से घटकर 24 दैनिक रह गई। इससे शिपमेंट में देरी हुई और वैश्विक कमोडिटी की कीमतें बढ़ गईं।

दक्षिण पूर्व एशिया भी अछूता नहीं 
दक्षिण पूर्व एशिया में, चावल, कॉफी और चीनी उत्पादन में व्यवधान का सामना करना पड़ा। भारत और थाईलैंड में शुष्क परिस्थितियों के कारण उपलब्धता का संकट बढ़ा तो अमेरिका में चीनी की कीमतों में लगभग 9% की वृद्धि हो गई। अल नीनो घटना ने सूखे की स्थिति को और बढ़ा दिया, जिसने पारिस्थितिकी तंत्र और बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया।

सूखे की मानवीय कीमत
महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर पड़े समुदायों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ा। पूर्वी अफ्रीका में, आर्थिक राहत के लिए दहेज के कारण बाल विवाह में वृद्धि हुई। जिम्बाब्वे में भूख और स्वच्छता की कमी के कारण बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर बढ़ गई। अमेजन में महिलाओं को स्वच्छ पानी या चिकित्सा सहायता के बिना बच्चों को जन्म देना पड़ा।

संकट में वन्यजीव और पारिस्थितिकी तंत्र
सूखे ने वन्यजीवों को भी नष्ट किया है। भोजन और पानी की कमी के कारण जिम्बाब्वे के ह्वांगे पार्क में 100 से अधिक हाथी मर गए। बोत्सवाना में दरियाई घोड़े सूखी नदी के किनारों में फंस गए थे। कुछ देशों ने मानव आबादी को खिलाने और पारिस्थितिकी तंत्र को अत्यधिक चराई से रोकने के लिए वन्यजीवों को मार डाला।

रिपोर्ट में विभिन्न देशों से आग्रह किया गया है कि वे वास्तविक समय में सूखे की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश करें, जलग्रहण क्षेत्रों की बहाली जैसे प्रकृति-आधारित समाधान पर काम करें, ऑफ-ग्रिड ऊर्जा और जल प्रौद्योगिकी में सुधार करें और सीमा पार जल संसाधनों पर वैश्विक सहयोग बढ़ाएं।