एशिया में जलवायु संकट गहराया, वैश्विक औसत से दोगुनी गति से बढ़ रहा तापमानः डब्ल्यूएमओ रिपोर्ट

डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के अनुसार एशिया में तापमान वृद्धि वैश्विक औसत से दोगुनी हो चुकी है। रिकॉर्ड गर्मी, समुद्री हीटवेव, ग्लेशियर पिघलना और चरम मौसम ने जीवन और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। संयुक्त अरब अमीरात ने केवल 24 घंटों में 259.5 मिमी बारिश दर्ज की, जो 1949 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से सबसे चरम घटनाओं में से एक है। भारत में, उत्तरी केरल में 30 जुलाई को 48 घंटों में 500 मिमी की अत्यधिक वर्षा के बाद बड़े भूस्खलन हुए, जिसके परिणामस्वरूप 350 से अधिक मौतें हुईं

एशिया में जलवायु संकट गहराया, वैश्विक औसत से दोगुनी गति से बढ़ रहा तापमानः डब्ल्यूएमओ रिपोर्ट

एशिया में तापमान वृद्धि वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दोगुनी गति से हो रही है, जिससे चरम मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं और क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं, पारिस्थितिकी तंत्रों और समाज के विभिन्न वर्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। यह चेतावनी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की “एशिया में जलवायु की स्थिति 2024” रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 एशिया के इतिहास में सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष रहा।  डब्लूएमओ की यह रिपोर्ट आज 23 जून, 2025 को ही जारी की गई है।

1991 से 2024 के बीच तापमान वृद्धि की दर 1961 से 1990 की अवधि की तुलना में लगभग दोगुनी रही। इस वर्ष पूरे क्षेत्र में लंबे समय तक और व्यापक स्तर पर हीटवेव (लू) देखी गईं। रिपोर्ट से पता चलता है कि पूरे महाद्वीप में औसत सतह का तापमान 1991-2020 बेसलाइन से लगभग 1.04 डिग्री सेल्सियस अधिक था। 

भूमि और समुद्र में गर्मी का बढ़ना
एशिया, जिसमें आर्कटिक तक फैला दुनिया का सबसे बड़ा भूभाग है, विशेष रूप से अपने व्यापक भूमि क्षेत्र के कारण महासागरों की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। 2024 में पूरे क्षेत्र में रिकॉर्ड तापमान रहा। जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों में कई बार मासिक तापमान के रिकॉर्ड टूटे। दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व में भी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा। म्यांमार में तापमान 48.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

एशिया के आसपास के महासागरों का भी हाल कुछ बेहतर नहीं रहा। 2024 में समुद्र की सतह का तापमान अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंच गया। WMO की रिपोर्ट कहती है कि तीव्र से लेकर अत्यधिक तीव्रता वाली समुद्री गर्मी (मरीन हीटवेव) की लहरों ने क्षेत्र के अधिकांश जल को प्रभावित किया है। यह 1993 में उपग्रह रिकॉर्ड शुरू होने के बाद सबसे अधिक है। अकेले अगस्त और सितंबर में लगभग 15 मिलियन वर्ग किलोमीटर समुद्र प्रभावित हुआ महासागर जो वैश्विक महासागर सतह का लगभग दसवां हिस्सा है।

बढ़ते समुद्र और पिघलते ग्लेशियर
उत्तरी अरब सागर, उत्तरी हिंद महासागर और जापान तथा पूर्वी चीन सागर के पास के पानी में गर्मी विशेष रूप से तीव्र थी। एशिया में औसत समुद्री सतह का तापमान प्रति दशक 0.24 डिग्री सेल्सियस बढ़ा, जो वैश्विक दर 0.13 डिग्री सेल्सियस से लगभग दोगुना है। एशिया के हिंद और प्रशांत महासागर के तटों पर समुद्र का स्तर 1993 और 2024 के बीच वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ा है, जिससे निचले इलाकों और घनी आबादी वाले तटीय क्षेत्रों के लिए ख़तरा बढ़ गया है।

क्रायोस्फीयर में भी गिरावट जारी रही। उच्च पर्वतीय एशिया में तिब्बती पठार पर केंद्रित एक क्षेत्र जिसे तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है, ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सबसे ज्यादा बर्फ है, जो लगभग 100,000 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।

2023-24 में जिन 24 ग्लेशियरों की निगरानी की गई, उनमें से 23 में बड़े पैमाने पर कमी आई है। यह सर्दियों में बर्फबारी में कमी और गर्मियों में अत्यधिक गर्मी के कारण हुआ है। खास तौर पर मध्य हिमालय और तियान शान पर्वतमाला में। पूर्वी तियान शान में उरुमकी ग्लेशियर नंबर 1 पर 1959 में निगरानी शुरू होने के बाद से अब तक का सबसे निगेटिव मास बैलेंस दर्ज किया गया, जिससे लाखों लोगों के लिए ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़, भूस्खलन और लंबे समय तक पानी की असुरक्षा का जोखिम बढ़ गया है। 

विनाशकारी मौसमी घटनाएं 
जलवायु संकट ने आपदाओं की झड़ी भी लगा दी। अत्यधिक वर्षा, बाढ़, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और सूखे ने पूरे क्षेत्र में समुदायों को तबाह कर दिया। उष्णकटिबंधीय चक्रवात यागी, जो वर्ष का सबसे शक्तिशाली तूफान था, ने वियतनाम, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार और चीन को प्रभावित किया, जिससे तबाही हुई। मध्य एशिया में, भयंकर बर्फ पिघलने और रिकॉर्ड बारिश ने 70 वर्षों में सबसे बड़ी बाढ़ ला दी, जिसके कारण कजाकिस्तान और दक्षिणी रूस में 118,000 सुरक्षित जगहों पर ले जाने की नौबत आई।

पश्चिम एशिया भी तबाह हो गया
संयुक्त अरब अमीरात ने केवल 24 घंटों में 259.5 मिमी बारिश दर्ज की, जो 1949 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से सबसे चरम घटनाओं में से एक है। भारत में, उत्तरी केरल में 30 जुलाई को 48 घंटों में 500 मिमी की अत्यधिक वर्षा के बाद बड़े भूस्खलन हुए, जिसके परिणामस्वरूप 350 से अधिक मौतें हुईं। नेपाल में, सितंबर के अंत में रिकॉर्ड तोड़ बारिश के कारण भयंकर बाढ़ आई, जिसमें कम से कम 246 लोग मारे गए और 12.85 अरब नेपाली रुपये (9.4 करोड़ डॉलर) से अधिक का नुकसान हुआ। हालांकि, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और पूर्वानुमानित कार्रवाई ने 130,000 से अधिक लोगों को जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने में मदद की, जिससे मौतों में उल्लेखनीय कमी आई।

इसके विपरीत, चीन के कुछ हिस्सों में 2024 में भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा, जिससे 48 लाख लोग प्रभावित हुए, 3,35,200 हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा और 40 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान हुआ।

WMO की चेतावनियां
WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, “यह रिपोर्ट एशिया में सतह के तापमान, ग्लेशियर मास और समुद्र तल जैसे प्रमुख जलवायु संकेतकों में परिवर्तनों को उजागर करती है। इन बदलावों का इस क्षेत्र के निवासियों, अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी तंत्रों पर बड़ा असर पड़ेगा।

रिपोर्ट न केवल बढ़ते जोखिमों की ओर, बल्कि तैयारी के महत्व पर भी ध्यान आकर्षित करती है। नेपाल की एक केस स्टडी ने दिखाया कि कैसे मजबूत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और सक्रिय योजना समुदायों को जलवायु प्रभावों के अनुकूल होने में मदद कर सकती है, जिससे जीवन और आजीविका की सुरक्षा हो सकती है।

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