डेयरी और वनस्पति तेल के दाम बढ़ने से वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक बढ़ा, लेकिन अनाज और चीनी की कीमतों में गिरावट

जून 2025 में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (FAO Global food prices) में हल्की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण दुग्ध उत्पादों, मांस और वनस्पति तेलों की बढ़ती कीमतें थीं। अनाज और चीनी की कीमतों में बेहतर फसल और आपूर्ति के कारण गिरावट आई। दुग्ध और मांस की कीमतें सीमित उपलब्धता के चलते नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। जैव-ईंधन क्षेत्र से मांग बढ़ने के कारण वनस्पति तेलों के दाम बढ़े।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की तरफ से जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार जून 2025 में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI) में हल्की वृद्धि दर्ज की गई। मीट, दुग्ध उत्पादों और वनस्पति तेलों की बढ़ती कीमतों के चलते सूचकांक 128.0 अंकों पर पहुंच गया, जो मई की तुलना में 0.7 अंक (0.5%) अधिक है। हालांकि यह जून 2024 से 5.8% अधिक है, फिर भी मार्च 2022 में दर्ज उच्चतम स्तर से 20.1% कम बना हुआ है।

अनाज की कीमतों में गिरावट जारी
हालांकि समग्र सूचकांक में वृद्धि हुई, लेकिन अलग-अलग खाद्य समूहों में मिश्रित रुझान देखने को मिले। अनाज मूल्य सूचकांक जून में 1.5% गिरकर 107.4 अंक पर आ गया और यह साल-दर-साल 6.8% कम रहा। लगातार दूसरे महीने मक्का की वैश्विक कीमतों में तीव्र गिरावट दर्ज की गई, जिसका कारण अर्जेंटीना और ब्राजील से मौसमी आपूर्ति में वृद्धि और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना रहा।

ज्वार और जौ की कीमतों में भी गिरावट आई, जबकि गेहूं की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई। इसकी वजह रूस, यूरोपीय संघ और अमेरिका में मौसम संबंधी चिंता रही, जो कटाई के मौसम के बावजूद कीमतों पर असर डाल रही है। मुख्यतः इंडिका किस्मों की मांग में कमी के कारण चावल की कीमतें 0.8% गिरीं।

वनस्पति तेल की कीमतों में तेज वृद्धि
वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक जून में 2.3% बढ़कर 155.7 अंक पर पहुंच गया। पाम, रेपसीड और सोया तेल की कीमतों में वृद्धि इसका प्रमुख कारण रही। वैश्विक आयात मांग के कारण पाम तेल की कीमतों में लगभग 5% की वृद्धि हुई। सोया तेल की कीमतों को ब्राज़ील और अमेरिका में जैव-ईंधन नीति की घोषणाओं से बल मिला। रेपसीड तेल की कीमतें वैश्विक आपूर्ति में संभावित कमी के कारण बढ़ीं। दूसरी ओर सूरजमुखी तेल के दाम गिरे क्योंकि काला सागर क्षेत्र में इसकी अच्छी फसल की उम्मीद है।

दुग्ध उत्पादों की कीमतों में मजबूती
दुग्ध मूल्य सूचकांक जून में 0.5% बढ़कर 154.4 अंक पर पहुंच गया, जो जून 2024 से 20.7% अधिक है। मक्खन की कीमतों में सबसे अधिक 2.8% की वृद्धि हुई और यह 225 अंकों के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इसका कारण ओशिनिया और यूरोपीय संघ में आपूर्ति की कमी और एशिया तथा निकट पूर्व से मजबूत आयात मांग रहा।

यूरोपीय संघ में पर्यावरण नियमों के चलते पशुधन में कमी और ब्लूटंग वायरस के प्रभावों ने दूध उत्पादन को बाधित किया। अमेरिका में मक्खन उत्पादन कम रहा और स्टॉक पिछले साल की तुलना में घट गए, जिससे कीमतों पर दबाव बना। पनीर की कीमतों में तीसरे महीने भी वृद्धि हुई, जबकि स्किम्ड मिल्क पाउडर में 0.6% और फुल क्रीम मिल्क पाउडर में 2.3% की गिरावट आई, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति प्रचुर और मांग कमजोर रही।

चीनी की कीमतों में गिरावट
चीनी मूल्य सूचकांक जून में 5.2% गिरकर 103.7 अंक पर आ गया, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है। यह लगातार चौथा महीना है जब इसमें गिरावट दर्ज की गई। ब्राजील में शुष्क मौसम के चलते गन्ने की कटाई और प्रोसेसिंग तेज हुई, जिससे उत्पादन उम्मीद से अधिक हुआ और कीमतों पर दबाव आया। भारत और थाईलैंड में सामान्य से बेहतर मानसून और बढ़े हुए रोपाई क्षेत्र ने 2025-26 सीजन के लिए अच्छी फसल की उम्मीदें बढ़ा दीं, जिससे वैश्विक कीमतों में और गिरावट आई।