यमन में हूती के ठिकानों पर अमेरिका ने फिर किया हमला, इस संकट से भारत का निर्यात भी प्रभावित

अमेरिका ने यमन स्थित हूती विद्रोहियों पर लगातार दूसरे दिन हवाई हमले किए हैं। एक दिन पहले अमेरिका और इंग्लैंड ने मिलकर हूती के 28 ठिकानों पर हमले किए थे। लेकिन शनिवार की सुबह सिर्फ अमेरिका ने हूती की रडार फैसिलिटी पर टॉमहॉक मिसाइलें दागीं। इन हमलों के बाद दुनिया की कई बड़ी शिपिंग कंपनियों ने रेड सी के रास्ते अपने जहाज भेजना बंद कर दिया है। इससे भारत से बासमती चावल तथा अन्य वस्तुओं का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन पहले ही खराब चल रहा है।

अमेरिका ने यमन स्थित हूती विद्रोहियों पर लगातार दूसरे दिन हवाई हमले किए हैं। एक दिन पहले अमेरिका और इंग्लैंड ने मिलकर हूती के 28 ठिकानों पर हमले किए थे। लेकिन शनिवार की सुबह सिर्फ अमेरिका ने हूती की रडार फैसिलिटी पर टॉमहॉक मिसाइलें दागीं। इन हमलों के बाद दुनिया की कई बड़ी शिपिंग कंपनियों ने रेड सी (लाल सागर) के रास्ते अपने जहाज भेजना बंद कर दिया है। इससे भारत से बासमती चावल तथा अन्य वस्तुओं का निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन पहले ही खराब चल रहा है।
इजरायल-हमास युद्ध में हमास का समर्थन करने के नाम पर हूती विद्रोही पिछले साल नवंबर से ही इस इलाके में मालवाहक जहाजों पर हमले कर रहे हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार इन हमलों में करीब 40 देशों को जाने वाले जहाज प्रभावित हुए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों में शामिल एमएससी और मर्स्क ने फिलहाल रेड सी के रास्ते अपने जहाज भेजने से मना कर दिया है। नए हमले के बाद कुछ कंपनियों ने तो बीच रास्ते से अपने जहाज वापस मोड़ लिए।
रेड सी और स्वेज नहर के रास्ते भारत से जिन वस्तुओं का निर्यात होता है उनमें पेट्रोलियम पदार्थ के अलावा बासमती चावल और चाय प्रमुख हैं। भारत का करीब एक-तिहाई कंटेनर एक्सपोर्ट और कुल निर्यात का 15% इस मार्ग से होता है। भारत से यूरोप और अमेरिका के पूर्वी तट पर निर्यात के लिए यह रास्ता सबसे छोटा पड़ता है। निर्यातकों के संगठन फियो के अनुसार हूती के हमले शुरू होने के बाद भारत से कुछ जगहों के लिए ढुलाई का रेट दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। 
192 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा मार्ग है। दूसरे वैकल्पिक मार्ग अफ्रीका के दक्षिणी छोर पर स्थित केप ऑफ गुड होप के रास्ते जाने पर 12 से 14 दिन ज्यादा लगते हैं। इससे ढुलाई का खर्च और जहाजों का बीमा प्रीमियम बढ़ गया है। इसलिए जहाजों की सुरक्षा के लिए अमेरिका की अगुवाई में कुछ देशों ने साझा ऑपरेशन ‘ऑपरेशन प्रोस्पेरिटी गार्डियन’ शुरू किया है।  
अमेरिका के नए हमलों का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने काह कि रेड सी इलाके में स्थिरता कायम करने के लिए ये हमले किए गए हैं। अमेरिका इस क्षेत्र में और युद्ध नहीं देखना चाहता, लेकिन किसी भी देश के जहाज पर हमला स्वीकार्य नहीं होगा। राष्ट्रपति जो बाइडेन के अनुसार यह हमला ईरान और यमन के लिए एक संदेश है। अगर हूती के हमले जारी रहे तो आगे और कार्रवाई की जाएगी। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार इन हमलों के बाद हूती विद्रोहियों ने एक मिसाइल दागी थी, लेकिन वह किसी जहाज को नहीं लगी। हालांकि हूती के ठिकानों पर बमबारी के बाद माना जा रहा है कि युद्ध का दायरा बढ़ सकता है। विद्रोहियों का कहना है कि दो दिन के हमले में उनके पांच लोग मारे गए हैं।