प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के आगरा के सिंगना में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
इस केंद्र का उद्देश्य आलू और शकरकंद की उत्पादकता बढ़ाने, फसल कटाई के बाद प्रबंधन सुधारने और मूल्य संवर्धन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने के साथ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मजबूत करना है। इसके अलावा, इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उत्तर प्रदेश में आगरा और आसपास का क्षेत्र आलू की खेती के लिए जाना जाता है। यहां इस केंद्र की स्थापना से आलू उत्पादक किसानों को भी लाभ मिलेगा।
कैबिनेट ने निर्णय की जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उत्तरप्रदेश के आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना से आलू की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ेगी।
सरकार का मानना है कि आलू उत्पादन से जुड़े क्षेत्रों — उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, परिवहन और विपणन — में रोजगार की भारी संभावनाएं हैं। इसी को देखते हुए आगरा में इस अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना हो रही है।
यह केंद्र उच्च उत्पादकता वाली, पोषक तत्वों से भरपूर और जलवायु अनुकूल आलू व शकरकंद की किस्मों का विकास करेगा। इसका लाभ न केवल भारत को, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र को मिलेगा। इससे क्षेत्र में आलू और शकरकंद के सतत विकास और नवाचार को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।
क्या है इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP)?
इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) की स्थापना 1971 में रिसर्च फॉर डेवलपमेंट संगठन के रूप में की गई थी। यह आलू, शकरकंद और एंडियन जड़ व कंद फसलों पर केंद्रित अनुसंधान करता है। CIP का मुख्यालय लीमा, पेरू में है और इसकी अनुसंधान उपस्थिति अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के 20 से अधिक देशों में है।
यह केंद्र CGIAR का हिस्सा है, जो एक वैश्विक अनुसंधान भागीदारी है। CGIAR का मिशन खाद्य, भूमि और जल प्रणालियों को जलवायु संकट के बीच अधिक टिकाऊ और सुरक्षित बनाना है। इसके तहत 13 अनुसंधान केंद्र और गठबंधन काम करते हैं, जो दुनिया भर में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थानों, नागरिक संगठनों, शिक्षाविदों, विकास संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करते हैं।