गुजरात में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का समापन: किसानों से सतत संवाद का संकल्प

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के समापन की औपचारिक घोषणा के साथ शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज बेशक अभियान समाप्त हो रहा है, लेकिन किसानों से संपर्क और संवाद की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी।

केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज गुजरात के बारडोली में एक विशाल किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए 15 दिवसीय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के औपचारिक समापन की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज भले की औपचारिक रूप से विकसित कृषि संकल्प अभियान’ समाप्त हो रहा है, लेकिन यह अंत नहीं है। एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीमकी भावना के साथ लगातार किसानों के साथ संपर्क और संवाद किया जाएगा।

यह अभियान 29 मई को ओडिशा से शुरू हुआ था जिसके तहत शिवराज सिंह चौहान ने देश के 13 राज्यों का दौरा कर किसान चौपालों, सम्मेलनों और पदयात्राओं के माध्यम से किसानों से संवाद किया। विज्ञान को किसान तक पहुंचाने यह अनूठा अभियान देश में कृषि अनुसंधान की दिशा तय करेगा।

बारडोली से ऐतिहासिक जुड़ाव

बारडोली की ऐतिहासिक धरती से किसानों को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “यह वही दिन है जब 1928 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बारडोली सत्याग्रह की रूपरेखा तैयार की थी। उन्हीं के संघर्षों के कारण आज भारत एक है।” 1928 में बारडोली की धरती से सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सत्याग्रह शुरू किया था। उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि आज वह इस ऐतिहासिक भूमि के किसानों के बीच हैं।  

शिवराज सिंह ने गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गुजरात में प्राकृतिक खेती के प्रयास शानदार हैं। गुजरात में धान, गेहूं, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन का उत्पादन होता है। अरंडी, जीरा, सौंप, खजूर जैसे विशिष्ट कृषि उत्पादों में गुजरात का स्थान प्रथम है। गुजरात से कई उत्पादों का निर्यात होता है। खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के जरिए भी गुजरात के किसान उन्नति कर रहे हैं।

एक करोड़ से अधिक किसानों से संवाद 

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘लैब टू लैंड’ विजन को जमीन पर उतारने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई।  इस अभियान में 16,000 वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गठित की गईं, जिन्होंने 1 लाख से अधिक गांवों में जाकर लगभग 1 करोड़ 12 लाख किसानों से सीधा संवाद किया।

किसानों को शोध आधारित सलाह, क्षेत्र विशेष की जलवायु व मिट्टी के अनुसार खेती के सुझाव, और संतुलित उर्वरक-कीटनाशक उपयोग की जानकारी दी गई। साथ ही, किसानों की समस्याएं जानकर भविष्य की शोध दिशा तय करने का प्रयास भी किया गया।

प्राकृतिक खेती पर जोर 

शिवराज सिंह चौहान ने देश के किसानों का आह्वान किया कि वे अपनी जमीन के कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती जरूर करें। उन्होंने गुजरात के बारडोली के राजपुर लुम्भा में किसान चौपाल में हिस्सा लिया और किसानों से प्राकृतिक तथा वैज्ञानिक खेती पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस साल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है और 18 लाख किसान इसके लिए तैयार भी हुए हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने गुजरात के किसानों ने सफल तरीके से प्राकृतिक खेती करके पूरे देश के किसानों को प्रेरित किया है। सही ढंग से प्राकृतिक खेती की जाये तो लागत घटती है, उत्पादन बढ़ता है और इसलिए पूरे हिस्से में न करें तो कुछ एकड़ में जरूर करें।

अभियान से मिली प्रेरणाएं

कृषि मंत्री ने कहा कि अभियान के दौरान ऐसे किसानों से मुलाकात हुई जिन्होंने सरकारी योजनाओं व नवाचारों से अपनी आय 10 गुना तक बढ़ाई। उन्होंने इन किसानों को "वैज्ञानिक किसान" बताते हुए कहा कि ऐसे प्रेरणादायी अनुभवों के आधार पर ही आगे की कृषि नीतियां तय की जाएंगी।

समापन अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल, श्रम मंत्री कुँवरजी हलपति, स्थानीय सांसद व विधायक, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस मौके पर वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें वर्चुअल रूप से जुड़ी रहीं।