बीज विधेयक 2025 का ड्राफ्ट जारी, 30 लाख के जुर्माने और 3 साल तक सजा का प्रावधान

ड्राफ्ट के अनुसार नीति और नियामक संबंधी मामलों में सलाह-मशविरा देने के लिए राष्ट्रीय बीज समिति का गठन किया जाएगा। अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) बीजों के मामले में पर्यावरण और जैव सुरक्षा मानकों का पालन आवश्यक होगा। किसानों के जुड़े बीज विवादों के लिए शीघ्र समाधान की व्यवस्था की जाएगी।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को बीज विधेयक 2025 (Seeds Bill 2025) का ड्राफ्ट जारी कर दिया। इसमें बाजार में उपलब्ध बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, किसानों को किफायती दरों पर अच्छे बीज उपलब्ध कराने, नकली और घटिया बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाने, इनोवेशन को बढ़ावा देने, अच्छे इंपोर्टेड बीज किसानों को उपलप्ध कराने के लिए बीज आयात को उदार बनाने का प्रावधान है। सभी हितधारकों से ड्राफ्ट के प्रावधानों पर 11 दिसंबर 2025 तक सुझाव मांगे गए हैं। यह मौजूदा बीज अधिनियम, 1966 और बीज (नियंत्रण) आदेश, 1983 का स्थान लेगा। 

ड्राफ्ट के अनुसार नीति और नियामक संबंधी मामलों में सलाह-मशविरा देने के लिए राष्ट्रीय बीज समिति का गठन किया जाएगा। अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) बीजों के मामले में पर्यावरण और जैव सुरक्षा मानकों का पालन आवश्यक होगा। किसानों के जुड़े बीज विवादों के लिए शीघ्र समाधान की व्यवस्था की जाएगी।

बीज विधेयक 2025 के ड्राफ्ट में क्वालिटी संबंधी कई प्रावधान किए गए हैं। सभी प्रकार के बीजों का पहले रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। बीज वितरक और विक्रेता बिना लाइसेंस के व्यापार नहीं कर सकेंगे। किसानों को अपनी उपजाई गई फसल से बीज रखने और उनका इस्तेमाल करने की छूट होगी। उन्हें इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा। अगर बीज का प्रदर्शन कंपनी के विवरण के अनुसार नहीं होता है तो किसानों को उसके बदले मुआवजा पाने का अधिकार होगा।

बीज उत्पादकों को बीजों की गुणवत्ता और शुद्धता सुनिश्चित करनी होगी। मानदंडों के पालन के लिए अधिकृत एजेंसियां सर्टिफिकेशन उपलब्ध कराएंगी। बीजों की उचित लेबलिंग अनिवार्य की गई है। इसमें वैरायटी, स्रोत, गुणवत्ता और अंकुरण दर आदि बताना होगा। गलत विवरण देने या निम्न गुणवत्ता वाले बीजों की बिक्री पर कानूनी कार्रवाई एवं दंड का प्रविधान है। बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं भी स्थापित की जाएंगी। निर्धारित नियमों के अनुसार बीजों के आयात की अनुमति दी गई है ताकि खराब क्वालिटी के बीजों का आयात न हो सके।

ड्राफ्ट के अध्याय 9 में दंड से संबंधित प्रावधान बताए गए हैं। ‘नगण्य’ श्रेणी के अपराधों को डि-क्रिमिनलाइज किया जाना प्रस्तावित है, ताकि व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिले और अनुपालन का बोझ कम हो। हालांकि गंभीर उल्लंघन पर कड़े दंड प्रावधान रखे गए हैं। 

दंड के लिए तीन कैटेगरी निर्धारित की गई हैं- माइनर, मॉडरेट और मेजर। पहली बार माइनर अपराध करने पर लिखित नोटिस दिया जाएगा, ताकि व्यक्ति खुद को सुधार सके। तीन साल के भीतर दोबारा अपराध करने पर 50,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। मॉडरेट यानी मध्यम श्रेणी में पहली बार अपराध करने वाले पर एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। तीन साल के भीतर दोबारा अपराध करने पर दो लाख रुपये जुर्माना लगेगा।

बड़े अपराध करने पर पहली बार 10 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। पांच साल के भीतर दोबारा अपराध करने पर जुर्माना 20 लाख रुपये होगा। उसके पांच साल में अगर फिर अपराध किया तो 30 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। ऐसे डीलरों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। जुर्माने के साथ/अथवा तीन साल तक कैद की सजा का भी प्रावधान किया गया है।

सक्षम न्यायालय की अनुमति से निर्धारित अधिकतम जुर्माने का दोगुना भुगतान करके अपराध को कंपाउंड किया जा सकता है। केंद्र सरकार के पास दंड बढ़ाने का भी प्रावधान होगा। किसी कंपनी के दोषी पाए जाने पर कंपनी के भीतर के जिम्मेदार व्यक्ति भी उत्तरदायी माने जाएंगे। हालांकि उल्लंघन की जानकारी न होने या उचित सावधानी बरतने का प्रमाण देकर वे दंड से बच सकते हैं। सरकार खराब क्वालिटी के बीज को जब्त कर सकेगी। दंड के मामलों में आरोपी को सुनवाई का अवसर देने के बाद ही दंड का निर्णय लिया जाएगा। नामित बीज निरीक्षक की शिकायत के अलावा कोई भी न्यायालय किसी अपराध का संज्ञान नहीं ले सकेगा। 

सार्वजनिक हित में केंद्र सरकार के पास कुछ बीजों को नियंत्रित अथवा प्रतिबंधित करने का अधिकार होगा। बीज इंस्पेक्टर संदिग्ध बीजों की जांच के लिए नमूने ले सकेंगे या जब्त कर सकेंगे। नई बीज वैरायटी के लिए बौद्धिक संपदा सुरक्षा (IPR) की गारंटी सुनिश्चित की गई है। ड्राफ्ट में बीज कंपनियों के लिए पारदर्शी रिकॉर्ड रखना और नियमित ऑडिटिंग को अनिवार्य किया गया है।