पर्यावरण मंत्रालय ने जल संचय और वृक्षारोपण के जरिए ग्रीन क्रेडिट हासिल करने का ड्राफ्ट जारी किया

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जल संचय और वृक्षारोपण परियोजनाओं के माध्यम से ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने के तरीके का ड्राफ्ट जारी किया है। इस ग्रीन क्रेडिट को केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित प्लेटफॉर्म के माध्यम से खरीदा या बेचा जा सकेगा। सरकार ने कुछ दिनों पहले ही ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की अधिसूचना जारी की थी। 

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जल संचय और वृक्षारोपण परियोजनाओं के माध्यम से ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने के तरीके का ड्राफ्ट जारी किया है। इस ग्रीन क्रेडिट को केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित प्लेटफॉर्म के माध्यम से खरीदा या बेचा जा सकेगा। सरकार ने कुछ दिनों पहले ही ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की अधिसूचना जारी की थी। 

मंत्रालय ने ड्राफ्ट जारी करते हुए सभी हितधारकों से सुझाव या आपत्तियां मांगी हैं। मसौदे में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति, कोऑपरेटिव अथवा शहरी और ग्रामीण निकाय किस तरह के कार्यों को इसमें चुन सकते हैं। इनमें राज्य और जिला-वार मिट्टी के तालाब और पॉली टैंक जैसे जल संरक्षण और संचयन संरचनाएं शामिल हैं। इस मकसद के लिए पेड़-पौधों की विभिन्न प्रजातियां भी बताई गई हैं।

व्यक्तियों या संस्थाओं के कार्य का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। उसके बाद गणना के निर्दिष्ट तरीके से यह आकलन किया जाएगा कि कितना ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न हुआ है। उदाहरण के लिए, पात्र आवेदकों को 100 पेड़ों के लिए 10 वर्षों के लिए 100 ग्रीन क्रेडिट दिया जाएगा। वृक्षारोपण परियोजना से संबंधित मसौदे में कहा गया है कि ग्रीन क्रेडिट में क्वालिफाई करने के लिए कम से कम 100 पेड़ रोपने होंगे। प्रति हेक्टेयर न्यूनतम 100 पेड़ और अधिकतम 1,000 पेड़ लगाने की आवश्यकता होगी।

इसी प्रकार जल संचय संरचनाओं के लिए ग्रीन क्रेडिट गणना के तरीके बताए गए हैं। इसके मुताबिक जल संरक्षण/संचयन संरचना का आकार या भंडारण क्षमता कम से कम 100 घन मीटर (या 1 लाख लीटर) और अधिकतम आकार 10,000 घन मीटर होगा। व्यक्तियों और संस्थाओं को निर्धारित वर्ष पूरे होने के बाद प्रति 100 घन मीटर के लिए 75 ग्रीन क्रेडिट मिलेंगे।

इससे पहले मंत्रालय ने 13 अक्टूबर को पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली (LiFE) अभियान के तहत ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) और ईकोमार्क योजना की अधिसूचना जारी की थी। ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम एक बाजार-आधारित व्यवस्था है जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों और कंपनियों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें दो प्रमुख गतिविधियों को शामिल किया गया है- जल संरक्षण और वनीकरण। ग्रीन क्रेडिट प्राप्त करने के लिए, व्यक्तियों और संस्थाओं को केंद्र सरकार के  ऐप/वेबसाइट www.moefcc-gcp.in के माध्यम से अपनी गतिविधियों को पंजीकृत कराना होगा।

ईकोमार्क योजना का मकसद पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को प्रोत्साहन प्रदान करना है। इसके अंतर्गत मान्यता प्राप्त उत्पाद न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव सुनिश्चित करते हुए विशिष्ट मानदंडों का पालन करेंगे। यह पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करेगा। यह निर्माताओं को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन की ओर बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेगा।