भारत के इथेनॉल उत्पादकों में से एक और बायो-आधारित केमिकल के क्षेत्र में प्रमुख कंपनी, गोदावरी बायोरिफाइनरीज लिमिटेड (GBL) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। इस तिमाही के दौरान कुछ क्षेत्रों में मौसमी चुनौतियों का सामना करते हुए कंपनी ने 534 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 522.5 करोड़ रुपये था।
इस तिमाही में कंपनी का EBITDA 6.5 करोड़ रुपये रहा। बायो-आधारित केमिकल क्षेत्र में साल-दर-साल 43% की मज़बूत EBITDA वृद्धि दर्ज की गई और यह 12.53 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, कर-पश्चात लाभ (PAT) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 26.1 करोड़ से घटकर 16 करोड़ रुपये रह गया।
इस तिमाही के दौरान इथेनॉल उत्पादन 26,057 किलोलीटर तक पहुंच गया। इसमें इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) के तहत बी-हैवी मोलेसेज आधारित इथेनॉल उत्पादन की बहाली से सहायता मिली। कंपनी ने अनाज-आधारित इथेनॉल क्षमता में प्रगति की भी घोषणा की है, जिससे ग्रोथ को नया बल मिलने की उम्मीद है।
नवाचार के मोर्चे पर, जीबीएल ने दवा खोज में उल्लेखनीय प्रगति की है। एक नए कैंसर-रोधी मॉलिक्यूल के लिए इसके यूरोपीय पेटेंट को स्पेन, यूके और यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों में एकात्मक पेटेंट (Unitary Patent) के रूप में मान्य किया गया है। इसके सेफ्टी ट्रायल विषाक्तता के बिना संपन्न हुए।
इसके अतिरिक्त, कंपनी ने एक अन्य कैंसर-रोधी कंपाउंड हाइड्रॉक्सी-1,4-नेफ्थैलेनडायोन (HYDROXY-1,4-NAPHTHALENEDIONE) के लिए चीनी पेटेंट हासिल किया। इसने स्तन, प्रोस्टेट और अन्य कैंसर के खिलाफ मजबूत इन-विट्रो प्रभाव दिखाया है।
जीबीएल के सीएमडी समीर सोमैया ने बताया कि जीबीएल का रणनीतिक ध्यान डीबॉटलनेकिंग के माध्यम से अपने बायो-आधारित केमिकल पोर्टफोलियो को मजबूत करने, विशेष रसायनों के विकास, मल्टी-फीडस्टॉक इथेनॉल क्षमताओं का विस्तार करने और सस्टेनेबल, दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने पर है।