गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध, डीजीएफटी ने जारी की अधिसूचना, सेला चावल पर रोक नहीं

घरेलू बाजार में चावल कीमतों में बढ़ोतरी और कमजोर मानसून के चलते उत्पादन की पैदा आशंका के बीच सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने गैर बासमती चावल पर रोक लगाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। डीजीएफटी द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि गैर बासमती व्हाइट राइस जिसमें पूरी तरह से मिल्ड और सेमी मिल्ड दोनों चावल शामिल हैं उसके निर्यात की नीति को मुक्त से बदलते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया गया है। इसके साथ ही सरकार ने साफ किया है कि गैर बासमती सेला चावल (पारबॉयल्ड राइस) का निर्यात जारी रहेगा। सरकार ने चावल की जिस श्रेणी गैर बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है पिछले साल उसका निर्यात 68.93 लाख टन रहा था। भारत से निर्यात होने वाले इस श्रेणी के पांच से 25 फीसदी तक के ब्रोकन राइस की कीमत 475 से 495 डॉलर प्रति टन तक मिल रही है

घरेलू बाजार में चावल कीमतों में बढ़ोतरी और कमजोर मानसून के चलते उत्पादन की पैदा आशंका के बीच सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने गैर बासमती चावल पर रोक लगाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। डीजीएफटी द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि गैर बासमती व्हाइट राइस जिसमें पूरी तरह से मिल्ड और सेमी मिल्ड दोनों चावल शामिल हैं उसके निर्यात की नीति को मुक्त से बदलते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया गया है। इसके साथ ही सरकार ने साफ किया है कि गैर बासमती सेला चावल (पारबॉयल्ड राइस) का निर्यात जारी रहेगा। सरकार ने चावल की जिस श्रेणी गैर बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है पिछले साल उसका निर्यात 68.93 लाख टन रहा था। भारत से निर्यात होने वाले इस श्रेणी के पांच से 25 फीसदी तक के ब्रोकन राइस की कीमत 475 से 495 डॉलर प्रति टन तक मिल रही है।
इसके साथ ही कहा गया है कुछ शर्तों के साथ चावल का वह कंसाइनमेंट निर्यात हो सकता है जिसकी इस नोटिफिकेशन के जारी होने के पहले लोडिंग हो चुकी है। इसके साथ ही सरकार की अनुमति से  उन देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात हो सकता है जिनकी सरकारें भारत सरकार से खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर चावल आयात की गुजारिश करेगी। 
साल 2022-23 में 223 लाख टन चावल के निर्यात के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश रहा है। पिछले वित्त वर्ष में कुल 177.87 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था। गैर बासमती चावल निर्यात में 78.46 लाख टन सेला चावल (पारबॉयल्ड राइस) निर्यात किया गया था। जबकि गैर-बासमती व्हाइट चावल की मात्रा 99.41 लाख टन थी। जिसमें 30.48 लाख टन ब्रोकन राइस शामिल था। इस तरह से चावल की जिस गैर बासमती चावल की श्रेणी का निर्यात प्रतिबंधित किया गया है उसकी मात्रा पिछले साल 68.93 लाख टन रही थी।  इस समय भारत से निर्यात होने वाले गैर बासमती व्हाइट राइस के पांच फीसदी ब्रोकन राइस के लिए 495 डॉलर प्रति टन और 25 फीसदी ब्रोकन गैर बासमती व्हाइट राइस के लिए 475 डॉलर प्रति टन की कीमत मिल रही है। एक तरह से भारत से निर्यात होने वाले इस चावल के लिए करीब 40 रुपये किलो की कीमत मिल रही है। 
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक चावल के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी रही है। केंद्रीय पूल में 1 जुलाई को खाद्यान्न निर्यात 711 लाख टन के साथ पांच साल के निचले स्तर पर है। इसी सप्ताह खाद्यान्न स्टॉक को लेकर रूरल वॉयस ने एक विस्तृत खबर की थी जिसमें चावल निर्यात पर प्रतिबंध जैसे फैसले लेने की संभावना जताई गई थी।
वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होे रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के फूड प्राइस इंडेक्स के तहत चावल का मूल्य सूचकांक जून 2023 में 13.9 फीसदी बढ़कर 126.2 पर पहुंच गया था। भारत सरकार के इस फैसले के चलते वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं दो दिन पहले 17 जुलाई को रूस ने यूक्रेन के बंदरगाह से गेहूं के निर्यात के लिए संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से की गई ब्लैक सी ग्रेन डील को आगे बढ़ाने से इनकार करते हुए खुद को इससे अलग कर लिया था। वहीं यूक्रेन से गेहूं निर्यात वाले सबसे बड़े बंदरगाह ओडेसा बंदरगाह पर हमला भी किया है। इसके चलते बुधवार को वैश्विक बाजार में फ्चूचर ट्रेड में गेहूं की कीमतों मेंं 9 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई।
इसके पहले पिछले साल सरकार ने ब्रोकन राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद गैर बासमती व्हाइट चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का शुल्क लगा दिया था। सरकार का ताजा फैसला चालू खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन को लेकर पैदा हुई आशंका के तहत लिया गया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में धान का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले करीब 10 फीसदी पीछे चल रहा है और चावल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और बंगाल में मानसून की बारिश अब तक सामान्य से कम रही है।
सरकार पहले ही गेहूं की कीमतों को लेकर मुश्किल का सामना कर रही है। केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक पिछले कई बरसों के न्यूनतम स्तर पर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद सरकारी खरीद में रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में केवल 262 लाख टन गेहुू की ही खरीद हो पाई। पिछले साल अनुमान से कम उत्पादन होने और सरकारी खरीद में भारी कमी के चलते मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। वहीं इस साल 12 जून, 2023 को जारी एक नोटिफिकेशन के जरिये सरकार ने गेहूं पर 31 मार्च, 2024 तक की अवधि के लिए स्टॉक लिमिट लागू कर रखी है। 
इसके बाजवूद महंगाई के जून माह के आंकड़ों के मुताबिक खाद्यान्न महंगाई दर दो अंकों में बनी हुई है। गेहूं और चावल की कीमतों की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार किसी भी तरह का राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसलिए गैर बासमती चावल के मामले में निर्यात पर प्रतिबंध जैसा कदम उठाया गया है। 
इसके साथ ही सरकार गेहूं और चावल की कीमतों पर नियंत्रण के मकसद से खुले बजाार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत दोनों खाद्यान्नों की ई-नीलामी कर रही है। अभी तक की नीलामी के तहत जहां गेहूं की खरीदारी के लिए बोलियां आई हैं वहीं चावल के मामले में बोली के लिए तय मात्रा के एक फीसदी से भी कम की बोली लगी, जबकि बाजार में इसके दाम बढ़ रहे हैं।