खेती वाले यूरिया के औद्योगिक इस्तेमाल पर होगी जेल, केंद्र ने डायवर्जन रोकने को बनाई व्यापक कार्य योजना

खेती में इस्तेमाल होने वाले सब्सिडी वाले यूरिया के प्लाइवुड और अन्य उद्योगों में इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने व्यापक कार्य योजना तैयार की है। सब्सिडी वाले यूरिया के डायवर्जन पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के साथ-साथ राज्यों के साथ समन्वय करेगा और इसके लिए संयुक्त अभियान शुरू करने की भी योजना है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि कृषि ग्रेड यूरिया के औद्योगिक इस्तेमाल पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी और पकड़े जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है।

कई उद्योगों में तकनीकी ग्रेड यूरिया की बजाय कृषि ग्रेड यूरिया का धड़ल्ले से होता अवैध इस्तेमाल।

खेती में इस्तेमाल होने वाले सब्सिडी वाले यूरिया के प्लाइवुड और अन्य उद्योगों में इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने व्यापक कार्य योजना तैयार की है। सब्सिडी वाले यूरिया के डायवर्जन पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के साथ-साथ राज्यों के साथ समन्वय करेगा और इसके लिए संयुक्त अभियान शुरू करने की भी योजना है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि कृषि ग्रेड यूरिया के औद्योगिक इस्तेमाल पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी और पकड़े जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है।

इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कृषि ग्रेड यूरिया के उद्योगों को डायवर्जन पर अंकुश लगाने के लिए कहा है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को नीम कोटेड यूरिया 266 रुपये प्रति बैग (45 किलो) की रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाता है जो औद्योगिक उपयोग के तकनीकी-ग्रेड यूरिया से काफी सस्ता है। कृषि वाले यूरिया के सस्ता होने की वजह से गोंद, प्लाईवुड, क्रॉकरी, मोल्डिंग पाउडर, पशु चारा और औद्योगिक खनन विस्फोटक बनाने वाले उद्योगों में अवैध रूप से इसका काफी इस्तेमाल होता है।

उर्वरक विभाग ने यूरिया सब्सिडी के दुरुपयोग को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसका फायदा किसानों को ही मिले, खेती वाले यूरिया के डायवर्जन को रोकने के लिए "व्यापक कार्य योजना" तैयार की है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे मामले सामने आए हैं कि कृषि वाले यूरिया की नीम कोटिंग को कुछ रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से हटा दिया जाता है और उसका औद्योगिक इस्तेमाल किया जाता है। उर्वरक विभाग कृषि ग्रेड यूरिया का उपयोग करने वाले उद्योगों पर नकेल कसने के लिए वित्त और वाणिज्य सहित विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ समन्वय करेगा। इसमें जीएसटी इंटेलीजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की भी मदद ली जाएगी। केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा एक संयुक्त अभियान भी जल्द ही शुरू किया जाएगा।

इसके अलावा, विभाग तकनीकी ग्रेड यूरिया के घरेलू उत्पादन और आयात दोनों की कुल आपूर्ति की निगरानी करेगा। साथ ही उन उद्योगों द्वारा उत्पादित कुल उत्पादों पर भी नजर रखेगा जिन्हें कच्चे माल के रूप में यूरिया की आवश्यकता होती है। इन उपायों से सरकार को तकनीकी ग्रेड यूरिया की आपूर्ति और उपयोग का आकलन करने और कृषि ग्रेड यूरिया के डायवर्जन रोकने में मदद मिलेगी।

सूत्रों के मुताबिक, विभाग नीम कोटिंग यूरिया का इस्तेमाल करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, उर्वरक नियंत्रण आदेश और कालाबाजारी रोकथाम अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई करेगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार उद्योगों से अपने प्लांटों में यूरिया की खपत और कुल उत्पादन से संबंधित डाटा विभाग को आवश्यक रूप से देने का निर्देश देने पर भी विचार कर रही है।

पिछले साल जुलाई में उर्वरक विभाग ने खेती वाले यूरिया के डायवर्जन को रोकने के लिए देशव्यापी कार्रवाई शुरू की थी। इसके लिए एक विशेष टीम 'उर्वरक फ्लाइंग स्क्वाड' का गठन किया गया था। उस समय एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि लगभग 10 लाख टन खेती वाले यूरिया का डायवर्जन उद्योगों और कुछ पड़ोसी देशों को किया गया। इसकी वजह से लगभग 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का दुरुपयोग हुआ।

औद्योगिक उपयोग के लिए सालाना लगभग 13-14 लाख टन तकनीकी-ग्रेड यूरिया की आवश्यकता है जिसमें से केवल 1.5 लाख टन का ही उत्पादन देश में होता है। बाकी का या तो आयात किया जाता है या फिर खेती वाले यूरिया का अवैध रूप से इस्तेमाल किया जाता है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 284.95 लाख टन यूरिया का उत्पादन किया और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 75 लाख टन यूरिया का आयात किया।