केंद्र सरकार ने 15 लाख टन चीनी निर्यात कोटा का आदेश जारी किया

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 14 नवंबर, 2025 को कोटा आवंटन का आदेश जारी किया। इसे घरेलू बाजार में चीनी उपलब्धता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अवसरों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सरकार ने 2025-26 के चीनी सत्र के लिए 15 लाख टन चीनी निर्यात को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सुचारू और नियमित शिपमेंट सुनिश्चित करने के लिए मिल के हिसाब से कोटा और परिचालन दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। आदेश के मुताबिक निर्धारित मात्रा तक चीनी मिल/रिफाइनरी/निर्यातक सभी ग्रेड की चीनी का निर्यात कर सकेंगे।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 14 नवंबर, 2025 को कोटा आवंटन का आदेश जारी किया। इसे घरेलू बाजार में चीनी उपलब्धता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अवसरों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

उत्पादन के आधार पर आनुपातिक आवंटन
पिछले तीन चीनी सत्रों (2022-23, 2023-24 और 2024-25) के दौरान चीनी के औसत उत्पादन को ध्यान में रखते हुए, चीनी मिलों के बीच आनुपातिक आधार पर 15 लाख मीट्रिक टन का निर्यात कोटा आवंटित किया गया है। सभी चालू चीनी मिलों को उनके तीन वर्षों के औसत उत्पादन का 5.286% निर्यात कोटा आवंटित किया गया है। इस आवंटन में 16 चीनी उत्पादक राज्यों की 583 चीनी मिलें शामिल हैं। इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक बड़े उत्पादन आधार के कारण प्रमुख लाभार्थी के रूप में उभरे हैं।

निर्यात व्यवस्था में लचीलापन
सरकार ने निर्यात संचालन को सुचारू बनाने के लिए कई लचीली व्यवस्थाएं शुरू की हैं। चीनी मिलें 30 सितंबर, 2026 तक सीधे या व्यापारी निर्यातकों/रिफाइनरियों के माध्यम से निर्यात कर सकती हैं। अंतिम बिल ऑफ लैडिंग (बीएल) की तारीख उस तारीख को या उससे पहले निर्धारित की जाएगी।

निर्यात न करने की इच्छुक मिलें 31 मार्च, 2026 तक अपना कोटा सरेंडर कर सकती हैं। विभाग ऐसे अप्रयुक्त कोटे को बेहतर निर्यात प्रदर्शन वाली मिलों या इच्छुक मिलों को पुनः आवंटित कर सकता है।

मिलें 31 मार्च, 2026 तक अपने निर्यात कोटे का (आंशिक या पूर्ण रूप से) अन्य मिलों के घरेलू कोटे के साथ विनिमय कर सकती हैं। इस प्रावधान का उद्देश्य परिवहन लागत को कम करना है, विशेष रूप से बंदरगाहों से दूर स्थित मिलों को लाभ पहुंचाना।

उदाहरण के लिए, पंजाब या उत्तर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों में स्थित कोई मिल अपने निर्यात कोटे का आदान-प्रदान बंदरगाहों के नजदीक स्थित किसी मिल की मासिक घरेलू रिलीज़ मात्रा के साथ कर सकती है। इससे ऊंची परिवहन लागत से बचा जा सकता है।

कोटा अदला-बदली का विकल्प चुनने वाली मिलों को विभाग के साथ संयुक्त समझौता साझा करना होगा। इनमें समायोजन 30 सितंबर, 2026 तक पूरा किया जाना है। अदला-बदली किया गया घरेलू कोटा पांच मासिक किस्तों में जारी किया जाएगा।

मॉनिटरिंग और जुर्माना
जिन मिलों ने पिछले मासिक स्टॉकहोल्डिंग सीमा आदेशों (28 मार्च, 2025 के आदेश के अनुसार) का उल्लंघन किया है, उन्हें इस सीजन में कोई निर्यात कोटा नहीं मिलेगा। जिन मिलों पर 2024-25 तक निर्यात-स्वैपिंग समायोजन लंबित हैं, उन्हें समाधान होने तक आगे स्वैपिंग करने से रोक दिया गया है। मिलों से एसईजेड-आधारित रिफाइनरियों को की जाने वाली आपूर्ति को निर्यात माना जाएगा। एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम (एएएस) के तहत निर्यात मौजूदा नियमों के अनुसार जारी रहेगा।

सभी मिलों को विभाग के एनएसडब्ल्यूएस (NSWS) पोर्टल पर फॉर्म पी-II के माध्यम से मासिक निर्यात विवरण अपलोड करना होगा। निर्यात दिशानिर्देशों का कोई भी उल्लंघन, कोटा का दुरुपयोग या गैर-अनुपालन होने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और विदेशी व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1992 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

चीनी निर्यात का यह आवंटन ऐसे समय में हुआ है जब भारत घरेलू चीनी उपलब्धता और अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अवसरों के बीच संतुलन बना रहा है। 2025-26 के सीजन में विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में, चीनी उत्पादन में वृद्धि होने का अनुमान है। निर्यात के लिए 15 लाख मीट्रिक टन का कोटा उद्योग को पर्याप्त घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करता है।