India-UK FTA: ब्रिटेन में आयात पर शुल्क खत्म होने से भारत के सीफूड निर्यात में 70% वृद्धि का अनुमान

भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) भारत के सीफूड सेक्टर के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। सीईटीए के तहत भारतीय झींगा, स्क्विड, लॉबस्टर आदि पर ब्रिटेन में कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा। यह समझौता 24 जुलाई 2025 को हुआ था। इसमें भारत से 99% टैरिफ लाइन के आयात पर ब्रिटेन कोई शुल्क नहीं लगाएगा।

भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) भारत के सीफूड सेक्टर के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। सीईटीए के तहत भारतीय झींगा, स्क्विड, लॉबस्टर आदि पर ब्रिटेन में कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा। यह समझौता 24 जुलाई 2025 को हुआ था। इसमें भारत से 99% टैरिफ लाइन के आयात पर ब्रिटेन कोई शुल्क नहीं लगाएगा।

इस समझौते में समुद्री खाद्य उत्पादों की एक बड़ी श्रृंखला पर आयात शुल्क हटाया गया है, जिससे ब्रिटेन के बाजार में भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इससे विशेष रूप से झींगा, फ्रोजन मछली और मूल्यवर्धित समुद्री उत्पादों का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है। भारत से ब्रिटेन को किए जाने वाले प्रमुख समुद्री खाद्य निर्यातों में वन्नामेई झींगा (लिटोपेनियस वन्नामेई), फ्रोजन स्क्विड, झींगा मछली, फ्रोजन पॉम्फ्रेट और ब्लैक टाइगर झींगा शामिल हैं। सीईटीए के कारण इन सबकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।

समझौते में शामिल सीफूड एचएस कोड के हिसाब से इस प्रकार हैंः
एचएस कोड 03: मछली, क्रस्टेशियन, मोलस्क और अन्य जलीय अकशेरुकी (जैसे, झींगा, ट्यूना, मैकेरल, सार्डिन, स्क्विड, केकड़ा, कटलफिश, फ्रोजन पॉम्फ्रेट, लॉबस्टर)
एचएस कोड 05: मूंगा, कौड़ी, आर्टेमिया, आदि
एचएस कोड 15: मछली के तेल और समुद्री वसा
एचएस कोड 1603/1604/1605: तैयार या संरक्षित समुद्री भोजन, कैवियार, अर्क और रस
एचएस कोड 23: मछली का भोजन, मछली और झींगा का चारा, और पशु चारे में प्रयुक्त अवशेष
एचएस कोड 95: मछली पकड़ने का सामान (छड़, हुक, रील, आदि)

इन उत्पादों पर अब तक 0% से 21.5% तक का शुल्क लगता था, जो अब हटा दिया गया है। हालांकि, एचएस 1601 (सॉसेज और इसी तरह की वस्तुएं) के तहत आने वाले उत्पाद इस छूट में शामिल नहीं किए गए हैं।

भारत से सीफूड का निर्यात
2024-25 में भारत का कुल समुद्री खाद्य निर्यात 7.38 अरब डॉलर (60,523 करोड़ रुपए) तक पहुंच गया, जो 17.8 लाख मीट्रिक टन के बराबर था। 4.88 अरब डॉलर की आय और 66% हिस्सेदारी के साथ फ्रोजन झींगा सबसे बड़ा निर्यात प्रोडक्ट रहा। ब्रिटेन को समुद्री निर्यात 10.4 करोड़ डॉलर (879 करोड़ रुपए) का था, जिसमें अकेले फ्रोजन झींगा का योगदान 8 करोड़ डॉलर (77%) था। हालांकि ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री खाद्य आयात में भारत की हिस्सेदारी महज़ 2.25% है। अब सीईटीए लागू होने के साथ, उद्योग जगत का अनुमान है कि आने वाले सालों में ब्रिटेन को समुद्री निर्यात में 70% की वृद्धि होगी।

मत्स्य पालन क्षेत्र करीब 2.8 करोड़ भारतीयों की आजीविका में मददगार साबित हो रहा है और वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% का योगदान देता है। 2014-15 और 2024-25 के बीच, भारत का समुद्री खाद्य निर्यात, 10.51 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 16.85 लाख मीट्रिक टन (60% वृद्धि) हो गया, जबकि इसका मूल्य 33,441.61 करोड़ रुपए से बढ़कर 62,408 करोड़ रुपए हो गया (88% वृद्धि)। निर्यात गंतव्यों की संख्या भी 100 से बढ़कर 130 देशों तक हो गई। मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्यात तिगुना बढ़कर 7,666.38 करोड़ रुपए हो गया।

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे तटीय राज्य, जो पहले से ही समुद्री खाद्य निर्यात में बड़े खिलाड़ी हैं, सीईटीए का लाभ उठा सकते हैं। ब्रिटेन के स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) मानकों को पूरा करने के लिए लक्षित प्रयासों के साथ, ये राज्य अपने निर्यात का दायरा और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुपालन को बढ़ा सकते हैं।