अनुकूल मौसम व चीन की मांग से भारत में सरसों की बुवाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद

देश में सरसों व राई की बुवाई का क्षेत्र 7-8% तक बढ़ सकता है। अभी तक किसानों ने करीब 41.7 लाख हेक्टेयर में बुवाई कर ली है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 13.5% अधिक है।

भारत में इस साल सरसों और राई की बुवाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। इसके पीछे चीन की ओर से सरसों खली की रिकॉर्ड खरीद और अधिक बारिश को वजह माना जा रहा है। सरसों का उत्पादन बढ़ने से खाद्य तेलों से आयात पर देश की निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।

इस साल सरसों और राई की कुल बुवाई का रकबा 7% से 8% तक बढ़ने की उम्मीद है।

  • वर्तमान बुवाई: किसानों ने अब तक 41.7 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में 13.5% अधिक है।
  • पिछले साल का आंकड़ा: पिछले साल देश में 89.3 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई थी, जो पांच साल के औसत (79 लाख हेक्टेयर) से अधिक थी।

चीन से बढ़ी मांग

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता के अनुसार, इस वर्ष घरेलू स्तर पर सरसों के तेल की मांग अच्छी रही है, जबकि चीन से सरसों की खली के लिए मजबूत निर्यात मांग आई है। गत मार्च में चीन द्वारा कनाडा से सरसों की खली और तेल के आयात पर 100% जवाबी टैरिफ लगाने के बाद चीन ने भारत से सरसों की खली खरीदना शुरू कर दिया।

चालू वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में, चीन ने भारत से रिकॉर्ड 4.88 लाख टन सरसों की खली का आयात किया, जबकि पिछले पूरे वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा केवल 60,759 टन था। इस साल चीन से सरसों खली की डिमांड अधिक रही है।

बेहतर भाव का असर

मजबूत मांग के चलते पिछले सीजन में रेपसीड का बाजार भाव एमएसपी 5,950 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर बना रहा। नए सीजन के लिए सरकार ने एमएसपी बढ़ाकर 6,200 रुपये कर दिया है। किसानों को सरसों का अच्छा भाव मिलने से भी वे अधिक बुवाई के लिए प्रेरित हुए हैं।