10.36 करोड़ जनधन खातों में पिछले साल नहीं हुआ कोई लेनदेन

गरीबों और कमजोर तबके के लिए प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों में से 20 फीसदी से ज्यादा में कोई लेनदेन नहीं हो रहा है। ऐसे 10.36 करोड़ जनधन बैंक खाते हैं जिनमें पिछले साल कोई लोनदेन नहीं हुआ

बीस फीसदी से ज्यादा जनधन खातों में एक साल में कोई लेनदेन नहीं हुआ

गरीबों और कमजोर तबके के लिए प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों में से 20 फीसदी से ज्यादा में कोई लेनदेन नहीं हो रहा है। ऐसे 10.36 करोड़ जनधन बैंक खाते हैं जिनमें पिछले साल कोई लोनदेन नहीं हुआ। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है।

कराड ने अपने जवाब में कहा, ''पिछले वित्त वर्ष में 10.36 करोड़ बैंक खातों में एक भी लेनदेन नहीं हुआ है।'' सरकार के जवाब के बाद सीपीआई ने एक बयान में कहा कि यह चौंका देने वाली संख्या कुल जनधन खातों का 20 फीसदी से अधिक है जो वित्तीय समावेशन की सरकार की बयानबाजी के पीछे की सच्चाई को उजागर करती है। वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण पर वित्त मंत्रालय से किए गए सवाल के जवाब में बताया गया है कि देश भर में वित्तीय साक्षरता के लिए 1,621 केंद्र खोले गए हैं।

कराड ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जनधन बैंक खाताधारकों की वित्तीय साक्षरता के लिए कई पहल की हैं। इस पहल के तहत देशभर में जनता के बीच विभिन्न विषयों पर वित्तीय शिक्षा के संदेश का प्रचार करने के लिए 2016 से हर साल वित्तीय साक्षरता सप्ताह (एफएलडब्ल्यू) आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, बैंकों को सलाह दी गई है कि वे अपने वित्तीय साक्षरता केंद्रों के माध्यम से विभिन्न लक्षित समूहों जैसे किसानों, सूक्ष्म और लघु उद्यमियों, स्कूली बच्चों, स्वयं सहायता समूहों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष शिविर आयोजित करें।

वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि बैंकों की ग्रामीण शाखाओं को हर महीने एक शिविर आयोजित करने की आवश्यकता है जिसमें वित्तीय जागरूकता संदेश (FAME) पुस्तिका के सभी संदेशों को शामिल किया जाए। इसमें अन्य बातों के अलावा, डिजिटल वित्तीय साक्षरता पर संदेश शामिल हैं। हालांकि, लिखित जवाब में दिए गए प्रशिक्षणों की संख्या नहीं बताई गई है।

जनधन बैंक खाते में दुर्घटना बीमा का दावा करने का प्रावधान है। कराड ने बताया कि इस वर्ष 13 दावों का निपटान किया गया है, जबकि 4 वर्षों में निपटाए गए दावों की कुल संख्या 2,416 हैं।

बिनॉय विश्वम ने एक बयान में कहा कि सरकार के इस जवाब से प्रधानमंत्री के बढ़ाचढ़ा कर किए जा रहे दावों के पीछे का सच सामने आ गया है। यह सरकार सिर्फ कागज पर ही लक्ष्य पूरा करना चाहती है, जबकि लोगों की वास्तविक स्थिति कुछ और ही है।