पिंक बॉलवार्म और अल-नीनो का कहरः कपास उत्पादन 15 साल में सबसे कम रहने का अनुमान

राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कपास उत्पादक क्षेत्रों में पिंक बॉलवर्म के भयानक प्रकोप और अल-नीनो के असर से देश का कुल कपास उत्पादन 2023-24 में 15 साल में सबसे कम रहने का अनुमान लगाया गया है। कपास उद्योग के शीर्ष संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने चालू मार्केटिंग वर्ष में कपास का उत्पादन घटकर 295.1 लाख गांठ रहने का अनुमान लगाया है। इससे पहले 2008-09 में कपास का उत्पादन 290 लाख टन रहा था।

राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कपास उत्पादक क्षेत्रों में पिंक बॉलवर्म के भयानक प्रकोप और अल-नीनो के असर से देश का कुल कपास उत्पादन 2023-24 में 15 साल में सबसे कम रहने का अनुमान लगाया गया है। कपास उद्योग के शीर्ष संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने चालू मार्केटिंग वर्ष में कपास का उत्पादन घटकर 295.1 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) रहने का अनुमान लगाया है। इससे पहले 2008-09 में कपास का उत्पादन 290 लाख टन रहा था।

मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में कपास का घरेलू उत्पादन 318.9 लाख गांठ रहा था। सीएआई का अनुमान न सिर्फ पिछले साल के उत्पादन से 7.49 फीसदी कम है, बल्कि यह 2023-24 के लिए सरकार द्वार लगाए गए अनुमान से भी कम है। सरकार ने चालू मार्केटिंग वर्ष के लिए 316.5 लाख गांठ कपास का उत्पादन रहने का अनुमान लगाया है।

सीएआई ने चालू मार्केटिंग वर्ष का अपना पहला अनुमान जारी करते हुए कहा, ''2008-09 के बाद कपास का सबसे कम उत्पादन होने का अनुमान है। इस साल कपास की बुवाई का कुल रकबा 5.5 फीसदी कम रहा है। अल-नीनो के कारण प्रतिकूल मौसम और उत्तर भारत में पिंक बॉलवर्म के प्रकोप से उपज में भी 20 फीसदी तक की गिरावट आने की संभावना है।”

सीएआई ने उत्तर भारत में उत्पादन 62 लाख टन से घटकर 40 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। सीएआई के मुताबिक, 2023-24 में गुजरात में 85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 76 लाख गांठ, तेलंगाना में 30 लाख गांठ, कर्नाटक में 18.5 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 18 लाख गांठ और हरियाणा में 16 लाख गांठ कपास का उत्पादन होगा। 1 अक्टूबर को शुरुआती स्टॉक 28.9 लाख गांठ रहने का अनुमान है।

सीएआई ने कहा है कि 2023-24 में कपास का आयात 22 लाख गांठ और निर्यात 14 लाख गांठ होने का अनुमान है। इस वर्ष घरेलू मांग 311 लाख गांठ रहने का अनुमान है और अधिशेष लगभग 35 लाख गांठ रहेगा।