देश की कई मंडियो में सरसों का भाव 7000 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर पहुंचा

देश की कई मंडियो में सरसों का भाव 7000 से 7500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। जबकि चालू मार्केटिंग सीजन के लिए सरसों का एमएसपी 5050 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल की तुलना में  किसानों को मंडियों में सरसों का दाम सवा से डेढ़ गुना ज्यादा मिल रहा है

पिछले एक सप्ताह से सरसों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। देश की कई मंडियो में सरसों का भाव 7000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया, जबकि चालू मार्केटिंग सीजन के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5050 रुपये प्रति क्विंटल है। कुछ किसान  सरसों की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं इसका फायदा लेने की उम्मीद में उन्होंने अपनी सरसों का भंडारण कर लिया है।

अनाज मंडियो सरसों का भाव लगातार तेज बना हुआ है। कोटा सलोनी में 7550 रुपये प्रति क्विंटल, जयपुर में सरसों का भाव 7100  रुपये प्रति क्विटंल और आगरा में 7300 रूपये पर चल रहा है। दिल्ली मे 6850 रुपये हिसार में 6500 रुपये और मध्य प्रदेश के विदिशा में सरसों के दाम  6440 रूपये कुंतल हैं। किसान घर बैठे ही व्यापारियों को 6300 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से सरसों बेच रहे है। पिछले साल  की तुलना में  किसानों को मंडियों से सवा से डेढ़ गुना दाम मिल रहा है। पिछले साल इस समय सरसों की कीमत 5,000 रुपये से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल पर थी। 

वहीं मध्य प्रदेश के दतिया जिले के कामत गांव के किसान शैलेंद्र सिंह डांगी ने पांच एकड़ के खेत में सरसों की खेती की है। रूरल वॉयस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि अभी हमारे  बाजार में सरसों को 6500 रुपये प्रति क्विंटल का दाम चल रहा है लेकिन पिछले साल मई माह में हमने सरसों की उपज 8000 रुपये प्रति क्विंटल बाजार में बेची थी। इसलिए हम सरकारी क्रय केंद्र पर सरसों की उपज नहीं बेच रहे हैं। डांगी ने कहा कि हमें उम्मीद है  कि सरसों के दाम में बढ़ोत्तरी होगी इसलिए थोड़ा इंतजार करके सरसों की फसल बेचेंगे।

व्यापारियों का कहना है कि इस बार सरसों मिलों में सरसों की काफी मांग है। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने स्वास्थ्य कारणों से पिछले साल से सरसों के तेल में मिलावट पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस समय बाजार में सरसों का तेल 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जिससे सरसों की मांग बढ़ गई है। कई ब्रांड ने सरसों के एक लीटर तेल का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 250 रुपये प्रति लीटर से अधिक कर दिया है।

दूसरी ओर,रूस और यूक्रेन भी बड़े तेल उत्पादक देश हैं। लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण वहां से सूरजमुखी के तेल का निर्यात नहीं हो पा रहा है। जिससे वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। इसलिए आने वाले दिनों में भी कीमतों में तेजी की संभावना के चलते कंपनियां और निजी खरीदार सरसों की अधिक खरीद कर रहे हैं।

पिछले साल खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों के कारण किसानों ने इस बार अधिक क्षेत्रों में सरसों की खेती की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन में तिलहन का रकबा 18.30 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। तेल कारोबारियों के संगठन कॉएट  के अनुसार 2021-22 में सरसों का उत्पादन 29 प्रतिशत बढ़कर 109.5 लाख टन होने का अनुमान है। भारत को करीब 250 लाख टन घरेलू खाद्य तेल की जरूरत है जबकि इसका घरेलू उत्पादन 111.6 लाख टन है।