ग्रामीण रोजगार को लेकर राजनीतिक टकराव शनिवार को और तेज हो गया, जब केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) अधिनियम पर कांग्रेस की आलोचनाओं का कड़ा जवाब दिया। वहीं, कांग्रेस ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को “बचाने” के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा की।
चौहान ने कांग्रेस पर ग्रामीण रोजगार, ग्राम पंचायतों की भूमिका और श्रमिकों के अधिकारों को लेकर “भ्रम और गलत सूचना” फैलाने का आरोप लगाया। कांग्रेस द्वारा 5 जनवरी से पूरे देश में अभियान शुरू करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष का विरोध मजदूरों की चिंता से नहीं, बल्कि राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मांग-आधारित रोजगार को कमजोर नहीं किया है, बल्कि नए कानून के माध्यम से श्रमिकों के अधिकारों को और मजबूत किया है।
चौहान के अनुसार, VB-G RAM G अधिनियम पहले से कहीं अधिक मजबूत कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें 125 दिनों की रोजगार गारंटी, समय पर काम न मिलने की स्थिति में अनिवार्य बेरोजगारी भत्ता और मजदूरी भुगतान में देरी होने पर मुआवजे का प्रावधान शामिल है। उन्होंने कहा कि ये प्रावधान पहले की व्यवस्था की तुलना में अधिक पारदर्शी और सशक्त हैं। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में मनरेगा भ्रष्टाचार से ग्रस्त था और महात्मा गांधी का नाम योजना से केवल राजनीतिक लाभ के लिए जोड़ा गया।
ग्राम सभाओं और ग्राम पंचायतों के अधिकार सीमित किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए चौहान ने कहा कि उनकी भूमिका वास्तव में और मजबूत की गई है। उन्होंने बताया कि स्थानीय निकाय पहले की तरह कार्यों की पहचान और प्राथमिकता तय करेंगे, गुणवत्ता की निगरानी करेंगे, सामाजिक लेखा-परीक्षा करेंगे और जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे। महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और समुदाय की भागीदारी को विशेष रूप से बढ़ाया गया है। साथ ही, शिकायत निवारण व्यवस्था को सशक्त किया गया है और डिजिटल निगरानी शुरू की गई है, लेकिन स्थानीय निर्णय प्रक्रिया को प्राथमिकता दी गई है।
कांग्रेस का 5 जनवरी से देशव्यापी अभियान
दूसरी ओर, कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने 5 जनवरी से “मनरेगा बचाओ अभियान” शुरू करने की घोषणा की। खड़गे ने कहा कि मनरेगा को खत्म करना संविधान द्वारा दिए गए “काम के अधिकार” को छीनने जैसा है और पार्टी लोकतांत्रिक तरीकों से इसका विरोध करेगी, गांव-गांव तक अपनी आवाज पहुंचाएगी।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “एकतरफा तरीके से” मनरेगा को खत्म करने का आरोप लगाया और इसकी तुलना नोटबंदी से की। उन्होंने इसे राज्यों, गरीबों और भारत के संघीय ढांचे पर हमला बताया। गांधी ने दावा किया कि मनरेगा खत्म होने से ग्रामीण बुनियादी ढांचा कमजोर होगा, राज्यों की शक्तियां छीनी जाएंगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचेगा, जिसका सबसे ज्यादा असर आदिवासियों, दलितों, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर वर्गों पर पड़ेगा। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि इस बदलाव का उद्देश्य गरीबों से संसाधन छीनकर उन्हें दूसरे वर्गों की ओर मोड़ना है।
कांग्रेस नेतृत्व ने कहा कि पार्टी ग्रामीण मजदूरों की गरिमा, रोजगार सुरक्षा और समय पर मजदूरी भुगतान के लिए सामूहिक रूप से संघर्ष करेगी और ग्राम सभाओं की शक्तियों तथा मांग-आधारित रोजगार व्यवस्था की रक्षा करेगी।