भारतीय किसानों को दशकों से एक गंभीर और लगातार बनी रहने वाली समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वह है घटिया गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट। नकली कीटनाशक, मिलावटी उर्वरक और घटिया बीज लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, किसानों का पैसा बर्बाद कर रहे हैं और कृषि इनपुट व्यवस्था पर उनका भरोसा कमजोर कर रहे हैं। हाल के वर्षों में ई-कॉमर्स कृषि (agri commerce) इनपुट की पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखला का एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है। हालांकि यह कोई पूर्ण समाधान नहीं है, लेकिन यह किसानों को भरोसेमंद उत्पादों तक पहुंच दिलाने के तरीके को निश्चित रूप से बदल रहा है।
भारतीय कृषि में ई-कॉमर्स
कृषि क्षेत्र में ई-कॉमर्स (agri commerce) से आशय ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से है, जो किसानों को वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सीधे मशीनरी, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और अन्य कृषि इनपुट खरीदने की सुविधा देते हैं। ये प्लेटफॉर्म स्थानीय विक्रेताओं और बिचौलियों पर निर्भरता कम करते हैं, जो कई बार बिना उचित लेबलिंग या प्रामाणिकता की जांच के उत्पाद बेचते हैं।
आज अनेक किसान अपने मोबाइल फोन के जरिये इनपुट उत्पादों की जानकारी जांचते हैं, कीमतों की तुलना करते हैं और सामान को सीधे अपने गांव या समुदाय तक मंगवा रहे हैं। डिजिटल कृषि को अपनाने पर किए गए शोध बताते हैं कि स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच से किसानों को इनपुट की खरीद, सलाह सेवाओं तक पहुंच और कीमतों की तुलना करने में मदद मिल रही है, जिससे स्थानीय बिचौलियों पर निर्भरता घट रही है। कृषि नवाचार और उत्पादकता पर OECD के अध्ययनों में भी यह रेखांकित किया गया है कि इनपुट की डिलीवरी और सलाह सेवाओं के साथ एकीकृत डिजिटल उपकरण कृषि में सस्टेनेबिलिटी और खेत स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे भारत में कृषि इनपुट की आपूर्ति को अधिक डेटा-आधारित और संगठित बना रहा है।
खराब गुणवत्ता वाले इनपुट किसानों को कैसे प्रभावित करते हैं
खराब गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट सीधे तौर पर फसलों को मिलने वाले पोषक तत्वों को प्रभावित करते हैं। अंकुरण न करने वाले बीज, कम पोषक तत्व वाले उर्वरक और निष्क्रिय रसायनों से मिलावटी कीटनाशक उपज में नुकसान और बार-बार छिड़काव पर अतिरिक्त खर्च का कारण बनते हैं। कई मामलों में शुरुआत में फसल सामान्य दिखाई देती है, जिससे किसानों को गलत भरोसा मिल जाता है। असली नुकसान तब सामने आता है जब फसल के महत्वपूर्ण विकास चरण निकल जाते हैं, सुधार की गुंजाइश कम रह जाती है और किसानों को दोबारा नए इनपुट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
उपज में कमी के अलावा, खराब इनपुट किसानों पर गंभीर आर्थिक दबाव भी डालते हैं। किसान आमतौर पर बेहतर उत्पादन की उम्मीद में मौसमी ऋण लेते हैं, लेकिन फसल खराब होने पर उन्हें बार-बार कर्ज लेना पड़ता है। दोबारा छिड़काव, पुनः बुवाई और अतिरिक्त मजदूरी पर होने वाला खर्च लागत और बढ़ा देता है, जबकि फसल संभलने की कोई गारंटी नहीं होती। समय के साथ घटिया रसायनों और उर्वरकों के बार-बार इस्तेमाल से मिट्टी की संरचना कमजोर होती है, पोषक तत्वों की उपलब्धता घटती है और फसलें कीटों व तनावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे दीर्घकालीन उत्पादकता भी कम होती है।
इस दुष्चक्र का सबसे अधिक असर छोटे और सीमांत किसानों पर पड़ता है। सीमित भूमि, पूंजी और विशेषज्ञ सलाह तक कम पहुंच के कारण उनके पास प्रयोग करने या नुकसान सहने की गुंजाइश बहुत कम होती है। महज एक खराब मौसम पूरे परिवार की आय को प्रभावित कर सकता है, कर्ज चुकाने में देरी हो सकती है और खेती से जुड़े फैसलों पर भरोसा कमजोर पड़ जाता है। इसलिए बड़े किसानों की तुलना में छोटे किसानों के लिए खराब गुणवत्ता वाले इनपुट का प्रभाव कहीं अधिक गंभीर होता है।
इनपुट गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएं क्यों बनी रहती हैं
पारंपरिक कृषि इनपुट की आपूर्ति श्रृंखला अत्यधिक बिखरी हुई है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों तक उत्पाद पहुंचने से पहले वे कई स्तरों से होकर गुजरते हैं, जिससे गुणवत्ता की निगरानी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। ढीली निगरानी व्यवस्था और अपर्याप्त परीक्षण के कारण नकली और घटिया उत्पादों की उपलब्धता आसान हो जाती है।
एक अन्य बड़ा कारण जागरूकता की कमी है। लेबल, बैच नंबर या प्रमाणपत्रों की जांच करने के बजाय अनेक किसान डीलरों की सलाह या केवल कीमत के आधार पर निर्णय लेते हैं। चूंकि खराब गुणवत्ता के बीज और अन्य इनपुट तनावपूर्ण परिस्थितियों में असफल हो जाते हैं, इसलिए जलवायु की अनिश्चितता इस समस्या को और गंभीर बना देती है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की भूमिका
एग्री-ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म इन कमियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि वे इनपुट की सोर्सिंग सीधे निर्माताओं या अधिकृत वितरकों से करते हैं। ये प्लेटफॉर्म सत्यापित सप्लायर, केंद्रीकृत वेयरहाउसिंग और बैच-स्तर की उत्पाद पहचान के माध्यम से उत्पादों की प्रामाणिकता और ट्रेसबिलिटी पर जोर देते हैं। यह मॉडल नकली इनपुट के प्रसार को कम करने के लिए भरोसेमंद ऑनलाइन कृषि इनपुट प्लेटफॉर्म द्वारा तेजी से अपनाया जा रहा है।
अधिकांश प्लेटफॉर्म स्पष्ट उत्पाद जानकारी उपलब्ध कराते हैं, सटीक इनवॉयस और जीएसटी बिलिंग करते हैं, तथा उत्पाद सूचीबद्ध करने से पहले आपूर्तिकर्ताओं की जांच करते हैं। यदि किसानों को खराब या गलत उत्पाद मिलते हैं, तो कई प्लेटफॉर्म आसान रिटर्न या रिप्लेसमेंट की सुविधा भी देते हैं। कुछ प्लेटफॉर्म ने सलाह सेवाओं को भी जोड़ा है। वे किसानों को उनकी फसल, क्षेत्र और मौसम के अनुसार उपयुक्त इनपुट चुनने में मदद करते हैं।
ई-कॉमर्स कैसे इनपुट की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जवाबदेही तय करते हैं। जब उत्पादों को पूरी जानकारी, बैच नंबर और उपयोगकर्ता फीडबैक के साथ प्रस्तुत किया जाता है, तो नकली इनपुट के लिए बाजार में टिके रहना कठिन हो जाता है। किसान ब्रांड की जांच करके और ग्राहकों की समीक्षाएं पढ़कर बिना सोचे-समझे खरीदारी करने से बच सकते हैं।
बीच के हैंडलिंग चरणों को कम करने और डायरेक्ट सोर्सिंग से मिलावट का जोखिम कम होता है। इसके अलावा, डिजिटल रिकॉर्ड के कारण शिकायतों को ट्रैक करना और अविश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करना आसान हो जाता है। इससे भरोसा बढ़ता है और गुणवत्ता को प्राथमिकता देने वाले विक्रेताओं को बढ़ावा मिलता है।
ई-कॉमर्स इनपुट की गुणवत्ता सुधारने के प्रमुख तरीके इस प्रकार हैं:
- बैच नंबर और उत्पाद विवरण प्रदर्शित करना, जिससे खरीद से पहले सत्यापन संभव होता है।
- किसानों को ब्रांड और कीमतों की तुलना करने की सुविधा देना, जिससे स्थानीय एकाधिकार कम होता है।
- उपयोगकर्ता की समीक्षा और फीडबैक दर्ज करना, जिससे खराब गुणवत्ता वाले उत्पाद जल्दी सामने आ जाते हैं।
- भौतिक हैंडलिंग कम करना और मिलावट के जोखिम को घटाना।
- डिजिटल लेनदेन का रिकॉर्ड बनाए रखना, जिससे शिकायतों की ट्रैकिंग और कार्रवाई आसान होती है।
- गैर-भरोसेमंद विक्रेताओं की पहचान करना और उच्च-गुणवत्ता इनपुट देने वाले व्यापारियों को आगे बढ़ाना।
ये प्रणालियां गुणवत्ता को प्राथमिकता देने वाले आपूर्तिकर्ताओं को पुरस्कृत करती हैं और डिजिटल इनपुट बाजारों में भरोसे को मजबूत करती हैं।
किसानों के लिए लाभ
किसानों के लिए सबसे तात्कालिक लाभ पारदर्शी कीमतों पर असली और प्रमाणित कृषि इनपुट तक पहुंच है। बिचौलियों की संख्या कम होने से लागत अक्सर कम होती है। समय पर आपूर्ति से किसानों बुवाई और छिड़काव की योजना आसानी से बना सकते हैं।
उतना ही महत्वपूर्ण भरोसा है। जब किसानों को इनपुट की गुणवत्ता पर विश्वास होता है, तो वे अपनी फसलों में उचित निवेश करने के लिए तैयार होते हैं। ऐप या कॉल सेंटर के माध्यम से मिलने वाली सलाह सेवाएं निर्णय प्रक्रिया को बेहतर बनाती हैं और उत्पादों के गलत उपयोग को कम करती हैं।
कृषि ई-कॉमर्स को मजबूत करने में सरकार की भूमिका
कृषि ई-कॉमर्स के विस्तार में सरकार का समर्थन अहम भूमिका निभाता है। डिजिटल कृषि को अपनाने पर किए गए शोध बताते हैं कि ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल भुगतान प्रणालियां और किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम इसे व्यापक रूप से अपनाने और संस्थागत भरोसे के लिए आवश्यक हैं (विश्व बैंक, डिजिटल विकास और कृषि अनुसंधान)। सब्सिडी और सरकारी योजनाओं को सत्यापित प्लेटफॉर्म से जोड़ने से नकली इनपुट के प्रसार को भी रोका जा सकता है। सरकार, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के बीच सहयोग से दूर-दराज के क्षेत्रों तक भी गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की आपूर्ति संभव हो सकती है।
कृषि ई-कॉमर्स की चुनौतियां
इन्फ्रास्ट्रक्चर और भरोसे के अलावा, संचालन और नीतिगत सीमाएं भी इसे व्यापक रूप से अपनाने में बाधक हैं। नकारात्मक अनुभव के बाद किसान दोबारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से हिचकते हैं, क्योंकि रिटर्न और शिकायत निवारण की व्यवस्थाएं कई बार धीमी या अस्पष्ट होती हैं। लास्ट-माइल डिलीवरी अक्सर बाहरी लॉजिस्टिक्स पर निर्भर करता है, जो कृषि की तात्कालिक जरूरतों के अनुरूप नहीं होता, जिससे छिड़काव या बुवाई जैसे महत्वपूर्ण समय में देरी हो जाती है। जब तक प्लेटफॉर्म, स्थानीय संस्थानों और कृषि विस्तार तंत्र के बीच बेहतर समन्वय के जरिए इन संरचनात्मक कठिनाइयों का समाधान नहीं किया जाता, तब तक कृषि में ई-कॉमर्स का उपयोग समान रूप से नहीं, बल्कि असमान तरीके से ही बढ़ता रहेगा।
आगे की राह
ई-कॉमर्स अकेले इनपुट की गुणवत्ता से जुड़ी सभी समस्याओं को समाप्त नहीं कर सकता, लेकिन यह उन्हें काफी हद तक कम जरूर कर सकता है। पारदर्शिता, ट्रेसेबिलिटी और सत्यापित उत्पादों तक पहुंच में सुधार करके यह किसानों को पारंपरिक बाजारों का एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षण और नीतिगत समर्थन के साथ, कृषि ई-कॉमर्स खराब गुणवत्ता वाले इनपुट से किसानों को बचाने और भारतीय कृषि को अधिक भरोसेमंद व टिकाऊ बनाने में दीर्घकालिक भूमिका निभा सकता है।
(लेखक AgriBegri में चीफ एग्रोनॉमी ऑफिसर हैं)