उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का चौखुटिया क्षेत्र। गेवाड़ घाटी में इन दिनों जनाक्रोश की गूंज सुनाई दे रही है। चौखुटिया के बाजार में बड़ी तादाद में महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सड़कों पर उतर आए। लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ लोगों ने आंदोलन छेड़ दिया। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की मांग को लेकर चल रहे इस आंदोलन को ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ नाम दिया गया है।
चौखुटिया क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली अब एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही आवश्यक जांच उपकरण। मरीजों को अक्सर अल्मोड़ा या हल्द्वानी रेफर कर दिया जाता है, जहां तक पहुंचते-पहुंचते कई बार रास्ते में ही जान चली जाती है। इसी लाचारी ने लोगों को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया है।
आंदोलन तेज होता देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चौखुटिया सीएचसी को उपजिला अस्पताल में अपग्रेड करने का प्रस्ताव शासन को भेजने और एक महीने के भीतर शासनादेश जारी करने की घोषणा की है।
ऑपरेशन स्वास्थ्य बना जन आंदोलन
आंदोलन की अगुवाई दो पूर्व सैनिक भुवन कठायत और हीरा सिंह पटवाल कर रहे हैं। अग्रणी मोर्चे पर महिलाओं की भागीदारी ने इस आंदोलन को ऐतिहासिक बना दिया है। आंदोलन का स्वरूप अब तक शांतिपूर्ण रहा है। बीते दिनों हीरा सिंह पटवाल ने रामगंगा नदी के तट पर “जल सत्याग्रह” कर अपनी मांगों को उठाया।
चौखुटिया अस्पताल को अपग्रेड करने, विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, 24 घंटे इमरजेंसी सुविधा और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता की मांग को लेकर ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ आंदोलन 2 अक्टूबर से लगातार जारी है।
सड़कों पर दिखा जनाक्रोश
15 अक्टूबर का दिन इस आंदोलन में ऐतिहासिक साबित हुआ। सुबह से ही आसपास के गांवों से हजारों लोग चौखुटिया बाजार में जुटने लगे। व्यापारियों ने समर्थन में अपनी दुकानें बंद रखीं। पूर्व सैनिकों ने भी आंदोलन को पूरा समर्थन दिया। हजारों लोगों ने अपनी मांगों के समर्थन में चौखुटिया बाजार से तहसील कार्यालय तक विशाल जनाक्रोश रैली निकाली। चौखुटिया बाजार “डॉक्टर दो, अस्पताल बचाओ” और “रेफर नहीं, इलाज चाहिए” जैसे नारों से गूंज उठा।
खास बात यह है कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा नहीं चलाया जा रहा है। बरसों से स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और डॉक्टरों की कमी ने लोगों को आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है। पहाड़ के अस्पताल बुनियादी सुविधाओं के अभाव में केवल “रेफर सेंटर” बनकर रह गए हैं।
टकराव नहीं सुधार चाहिए
चौखुटिया निवासी धीरज सिंह नेगी कहते हैं, “इस रैली के माध्यम से हमने सरकार तक अपनी बात पहुँचाने की कोशिश की है। हमारी बस इतनी-सी मांग है कि स्वास्थ्य केंद्र को सशक्त बनाया जाए, ताकि हमारे लोग इलाज के लिए दूर-दूर न भटकें। हम टकराव नहीं, सुधार चाहते हैं।”
आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक सीएचसी को अपग्रेड नहीं किया जाता, विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं होती और अस्पताल में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। धरनास्थल पर प्रदर्शनकारियों ने अनशन भी शुरू कर दिया है। बीते हफ्ते अनशन पर बैठे भूपाल सिंह बोरा को पुलिस ने जबरन धरना स्थल से हटाया, जिससे माहौल और गरमा गया।
असल मुद्दों की बजाय प्रचार पर जोर
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार का कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार जल्द ही मांगों को पूरा करें अन्यथा चौखुटिया के अलावा प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में इस प्रकार के जनांदोलन शुरू होंगे। चेहरा चमकने के लिए खर्च किए गए 1000 करोड़ का यदि 50% भी स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए खर्च होता तो आज तस्वीरें कुछ और होती। यह आंदोलन सिर्फ चौखुटिया का नहीं, बल्कि उत्तराखंड के हर उस क्षेत्र की आवाज है जो विकास के दावों के बीच पीछे छूट गया है।