कर्नाटक में कामयाब रहा किसान आंदोलन, 3300 रुपये प्रति टन मिलेगा गन्ना का भाव

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने घोषणा की है कि किसानों को प्रति टन गन्ने का भाव 3,300 रुपये दिया जाएगा, जिसमें 3,250 रुपये चीनी मिलें देंगी और 50 रुपये का योगदान राज्य सरकार करेगी। यह दाम 11.25% चीनी रिकवरी पर मिलेगा।

कर्नाटक में कामयाब रहा किसान आंदोलन, 3300 रुपये प्रति टन मिलेगा गन्ना का भाव

कर्नाटक में गन्ने के दाम को लेकर पिछले 8 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन अब समाप्ति की ओर है। शुक्रवार को चीनी मिल मालिकों और किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने घोषणा की है कि किसानों को प्रति टन गन्ने का भाव 3,300 रुपये दिया जाएगा, जिसमें 3,250 रुपये चीनी मिलें देंगी और 50 रुपये का योगदान राज्य सरकार करेगी। यह दाम 11.25% चीनी रिकवरी पर मिलेगा।

बैठक में, मिल मालिकों ने 11.25 प्रतिशत उपज वाले गन्ने के लिए ₹3,200 प्रति टन भुगतान करने के निर्णय पर सहमति व्यक्त की थी। इस पर राज्य सरकार और मिल मालिकों ने 50-50 रुपये अतिरिक्त जोड़कर किसानों को 3,300 रुपये प्रति टन भुगतान करने का निर्णय लिया है। 

आंदोलनकारी किसानों ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए आंदोलन वापस लेने पर सहमति जता दी है। उन्होंने इसे किसान आंदोलन की जीत बताया। राज्य में गन्ना किसान दाम बढ़ाने की मांग कर रहे थे और 3,500 रुपये प्रति टन कीमत की मांग रख रहे थे।

आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे किसान नेता और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि किसानों ने सरकार को सुबह 8 बजे तक निर्णय लेने का अल्टीमेटम दिया था। कल मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक में मिलों ने दाम बढ़ाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद यह संदेश किसानों तक पहुंचने पर आज किसानों ने पुणे-बेंगलुरु हाईवे जाम कर दिया। इसके बाद सरकार ने 3,300 रुपये प्रति टन का दाम देने का फैसला किया। 

गौरतलब है कि कर्नाटक में किसानों को अपेक्षाकृत कम कीमत मिल रही थी और सरकार की उदासीनता के चलते यह आंदोलन खड़ा हुआ। आंदोलन का परिणाम गन्ने की कीमत बढ़ोतरी के रूप में सामने आया। कर्नाटक में गन्ना बेल्ट महाराष्ट्र से लगते क्षेत्रों में काफी अहम मानी जाती है। राजू शेट्टी महाराष्ट्र के हातकणंगले से दो बार सांसद रह चुके हैं और राज्य के गन्ना किसानों के लिए लगातार आंदोलन करते रहे हैं। कर्नाटक की महाराष्ट्र से लगती गन्ना बेल्ट में भी उनका प्रभाव है।

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