उत्तराखंड में ‘महक क्रांति नीति’ का शुभारंभ, एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में सुगंधित पौधों की खेती और एरोमा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड महक क्रांति नीति 2026–36 का शुभारंभ किया है। इस नीति के तहत सात एरोमा वैलियों के विकास, 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती विस्तार और करीब एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। अगले दस वर्षों में सुगंधित फसलों के कारोबार को 100 करोड़ से बढ़ाकर 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना है।

उत्तराखंड में ‘महक क्रांति नीति’ का शुभारंभ, एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में सुगंधित पौधों की खेती और इससे जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में नई पहल की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के सेलाकुई स्थित सुगंध पौधा केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड महक क्रांति नीति 2026–36 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने सैटेलाइट सेंटर भाऊवाला का लोकार्पण तथा एएमएस प्रयोगशाला का शिलान्यास किया। साथ ही पाँच सैटेलाइट सेंटर—परसारी (चमोली), रैथल (उत्तरकाशी), भैसोड़ी (अल्मोड़ा), खतेड़ा (चंपावत) एवं विषाड़ (पिथौरागढ़)—का शिलान्यास भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड महक क्रांति नीति के शुभारंभ को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस नीति के तहत राज्य में सात एरोमा वैलियों के विकास की शुरुआत की जाएगी। प्रथम चरण में पिथौरागढ़ में तिमूर वैली, चमोली एवं अल्मोड़ा में डैमस्क रोज वैली, ऊधमसिंह नगर में मिंट वैली, चंपावत और नैनीताल में सिनेमन वैली तथा हरिद्वार और पौड़ी में लेमनग्रास एवं मिंट वैली विकसित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि नीति के अंतर्गत पौधशाला विकास सहयोग, खेती हेतु अनुदान, प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास, फसल बीमा, तथा पैकेजिंग और ब्रांडिंग जैसी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस नीति के तहत राज्य में लगभग 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की खेती विकसित कर करीब एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। आगामी दस वर्षों में सुगंधित फसलों के कारोबार का टर्नओवर सौ करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग 1,200 करोड़ रुपये तक पहुँचाने का लक्ष्य है, जिससे किसानों के साथ-साथ राज्य की आय में भी अभूतपूर्व वृद्धि होगी।

किसानों के लिए कई योजनाएं 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान और समृद्धि के लिए संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। राज्य में किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि उपकरणों की खरीद के लिए फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान किया जा रहा है, जबकि गन्ने के मूल्य में 30 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस निर्माण हेतु 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत अब तक लगभग 115 करोड़ रुपये की सहायता से करीब 350 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को समर्थन देने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये की लागत से उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट को भी स्वीकृति दी गई है। राज्य सरकार सब्जियों के साथ-साथ फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रही है।

बागवानी को बढ़ावा 

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने 1,200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति सहित कई योजनाएँ लागू की हैं। इन नीतियों के तहत किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है। सुगंध उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए काशीपुर में 40 एकड़ क्षेत्र में लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से एरोमा पार्क विकसित किया जा रहा है। ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के माध्यम से सुगंध तेलों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। साथ ही धौलादेवी, मुनस्यारी और बेतालघाट के चाय बागानों को जैविक चाय बागानों के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान सुगंध पौधा केंद्र और डाबर इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए। एमओयू पर कैप की ओर से निदेशक नृपेन्द्र सिंह चौहान तथा डाबर इंडिया लिमिटेड की ओर से कार्यकारी निदेशक डॉ. सौरभ लाल उपस्थित रहे।

 

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