उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में लंपी स्किन रोग से 5823 पशु प्रभावित

दुधारू पशुओ में लंपी स्किन रोग गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के 563 गांवों फैल चुका है। राज्य में अब तक लंपी स्किन रोग से 5823 पशु प्रभावित हुए हैं

दुधारू पशुओं में लंपी स्किन रोग गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब  के बाद उत्तर प्रदेश के 15  जिलों के 563 गांवों फैल चुका है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग के अपर मुख्य  सचिव रजनीश दुबे ने दो दिन पहले दी । उन्होंने बताया कि लंपी स्किन रोग से राज्य में 5823 पशु प्रभावित हुए हैं। राज्य में तेजी फैल रहे इस रोग से सरकार और पशुपालक चिंतित हैं  क्योंकि राजस्थान में इससे दुधारू पशुओं की भारी क्षति हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार इसके प्रसार को रोकने के लिए अलर्ट मोड़ में आ चुकी है। पशुपालन विभाग की तरफ से जानकारी दी गई है कि राजस्थान, हरियाणा से सटे उत्तर प्रदेश के जिलों में इसका प्रभाव है और अलीगढ़, सहारनपुर, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, आगरा मंडल के जिलों के पशुओं में  लंपी स्किन रोग देखने को मिल रहा है।

इस रोग के संक्रमण और नुकसान को देखते हुए अपर मुख्य सचिव पशुधन एवं डेयरी विकास डॉ. रजनीश दुबे ने कहा कि पशु पालन विभाग उत्तर प्रदेश की तरफ से  17.50 लाख वैक्सीन की आपात व्यवस्था की जा रही है। उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों के साथ-साथ पैरावेट और गौ सेवकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पशुपालन निदेशालय में कंट्रोल रूम बनाया गया है। पशुपालन निदेशालय में कंट्रोल रूम बनाया गया है। जिनका नंबर 0522-2741191, टोल फ्री नंबर 18001805141 और मोबाइल नंबर 7880776657 है।

लंपी स्किन रोग की निगरानी के लिए पशुपालन विभाग पशुधन और दुग्ध उत्पादन मंत्री धर्मपाल सिंह  के नेतृत्व मे  टीम -9 का गठन किया है  जो राज्य के सभी मंडलों की निगरानी करेगी। पशुधन और दुग्ध उत्पादन मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभागीय अधिकारियों को ढेलेदार रोग नियंत्रण के लिए मिशन मोड में इस छह दिवसीय अभियान को पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा कि लंपी स्किन रोग की रोकथाम के लिए उपचार, टीकाकरण, जन जागरूकता एवं प्रशिक्षण गतिविधियों की नियमित रूप से समीक्षा की जाए और दवाओं, उपकरणों एवं पशुओं के चारे की व्यवस्था की जाए। पशुपालन निदेशालय में स्थापित नियंत्रण कक्ष में प्राप्त शिकायतों, सुझावों एवं सूचनाओं की नियमित रूप से समीक्षा की जाये। दुग्ध समितियों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें। 

 रूरल वॉयस ने नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज  के सहायक प्रध्यापक और पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजपाल दिवाकर से बात की तो उन्होंने बताया कि यह रोग गायों एवं भैंसों में कैंप्री पॉक्स वायरस के संक्रमण से होता है। यह मच्छरमक्खी के पशुओं को लार,जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। संक्रमित पशु के शरीर पर बैठने वाली किलनीमच्छर व मक्खी  से भी यह फैलता है। इससे सिर और गर्दन के हिस्सा में काफी तेज दर्द होता है। पशुओं की दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है। बीमार पशुओं को एक दूसरे जगह ले जाने या उसके संपर्क में आने वाले स्वस्थ पशु भी संक्रमित हो जाते हैं। गायों और भैंसों के एक साथ तालाब में पानी पीने-नहाने और एकत्रित होने से भी रोग का प्रसार हो सकता है।

डॉ. दिवाकर ने बताया कि लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप गर्म एवं नमी वाले मौसम में अधिक होता है। मौजूदा समय में जिस तरह से गर्मी व उमस बढ़ रही है उससे रोग फैलने का खतरा भी बढ़ा है। हालांकि ठंड के मौसम में स्वतः इसका प्रभाव कम हो जाता है।

वेटनरी हास्पिटल हरसौली, जयपुर  के प्रभारी औऱ पशु चिकित्सक डॉ. बंशीधर यादव ने चिकित्सा के दौरान अपने फील्ड के  अनुभव के बारे में बताया कि इसमें पहले पशु  लंगड़ा कर चलते हैं, फिर पैरो में सूजन, शरीर पर गांठ बन रही। पशु को 105 डिग्री तेज बुखार हो जा रहा है। इसके साथ पशु के मुंह से लार गिरने लगती है और वह खाना-पीना छोड़ देता है। उन्होंने बताया था कि रोग लक्षण दिखाई देने पर पशु का इलाज कराए . और जिन पशु में रोग का लक्षण नही है उनका तुरन्त  वैक्सीनेशन कराए ।

डॉ. बंशीधर ने बताया कि अगर प्रकार कोई भी लक्षण दिखने पर किसान तुरन्त घरेलू इलाज शुरू कर दें। 500 ग्राम हल्दी, 500 ग्राम काली जीरी, 100 ग्राम काली मिर्च, 300 ग्राम अजवायन, नीम के पत्ते, गिलोय पत्ते और एक किलो गुड़ को पांच लीटर पानी में मिलाकर गर्म करके करके बीमार पशु को सुबह-शाम 150 मिलीलीटर देने से पशुओं में सुधार देखा गया है। अगर सुधार नहीं हो रहा है तो तुरन्त पशु चिकित्सक की सलाह लें।