योगी सरकार डेयरी क्षेत्र के जरिए बढ़ा रही ग्रामीण रोजगार के अवसर

उत्तर प्रदेश में डेयरी क्षेत्र में किए जा रहे नए निवेश से राज्य में दुधारू पशु पालन कर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले चार साल में अमूल समेत छह बड़ी कंपनियों ने राज्य में 172 करोड़ रुपये के निवेश से अपने कैप्टिव डेयरी प्लांट लगाए हैं, जबकि सात और यूनिट लगाने का काम चल रहा है. वहीं, राज्य सरकार द्वारा 15 नए निवेश प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है

लखनऊ, 24 अगस्त,  2021

उत्तर प्रदेश  दूध उत्पादन में  देश में  उंचा स्थान रखने  वाला राज्य है  और यहां पशुधन की संख्या भी सबसे अधिक है। अगले साल 2022 होने वाले उत्तर प्रदेश के विधान सभा  चुनाव में  ह महीने से भी कम समय बचा है, उसको देखते हुए राज्य सरकार  ग्रामीण रोजगार पैदा करने के लिए डेयरी क्षेत्र को गति दे रही है।

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दुधारू पशु पालन कर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके चलते उत्तर प्रदेश में डेयरी क्षेत्र में किए जा रहे नए निवेश ने ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।

पिछले चार साल में अमूल समेत छह बड़ी कंपनियों ने राज्य में 172 करोड़ रुपये के निवेश से अपने कैप्टिव डेयरी प्लांटलगाए हैं, जबकि सात और यूनिट लगाने का काम चल रहाहै. वहीं, राज्य सरकार द्वारा 15 नए निवेश प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश  का दूध उत्पादन सालाना औसतन 0.9 मिलियन टन से अधिक की दर से बढ़ रहाहै। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य का दूध उत्पादन 2016-17 में 27.77 मीट्रिक टन से बढ़कर 2019-20 में 31.86 मीट्रिक टन होगया है।

आज उत्तर प्रदेश कुल दूध उत्पादन में 17 प्रतिशत से अधिक का योगदान देकर देश के दूध चार्ट में सबसे ऊपर है। राज्य दुग्ध व्यवसाय में सुधार के लिए डेयरी सोसायटियों का और विकास कर रहा है। वर्तमान में, यूपी में 21,537 दुग्ध समितियां हैं। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने विशेष रूप से कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर,फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद जिलों में ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना के साथ दुधारू पशुओं को संरक्षित  करना शुरू कर दिया है। झांसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज में चार मौजूदा डेयरियों को अपग्रेड किया जा रहा है।

इसके अलावा, योगी सरकार ने सुनसान गोवंश के संरक्षणऔर रखरखाव के लिए 75 जिलों में गौ संरक्षण केंद्रों की  स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।

20वीं पशुगणना के अनुसार, यूपी में 2 करोड़ से से अधिक गोजातीय पशु हैं।उन्होंने कहा, इन सभी प्रयासों ने सामूहिक रूप से डेयरीउद्योग में  निवेशकों में काफी रुचि पैदा की है, जिनमें से कई  निवेषकों ने  पहले ही अपने संयंत्र स्थापित कर लिए हैं, जबकि कई अन्य इस पर काम कर रहे हैं।

यूपी में अब तक कई डेयरी प्लांट लग चुके हैं। इनमें गाजीपुर, बिजनौर, मेरठ, गोंडा, बुलंदशहर और लखनऊ में  क्रमशः पूर्वांचल एग्रीको, श्रेष्ठ फूड, देसी डेयरी, न्यू अमितफूड, क्रीमी फूड और सीपी मिल्क की इकाइयां शामिल हैं ।पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, राज्यने गोकुल पुरस्कार और नंद बाबा पुरस्कार की शुरुआत कीहै ताकि देशी गाय की नस्लों के दूध के उच्चतम उत्पादक को लाया जा सके।

ये किसी को बताने की जरूरत ही नही है क्योकि लगभग सभी लोग को  मालूम है कि उत्तर प्रदेश  दूध उत्पादन में  देश में  उंचा स्थान रखने  वाला राज्य है  और यहां पशुधन की संख्या भी सबसे अधिक है। अगले साल 2022 होने वाले उत्तर प्रदेश के विधान सभा  चुनाव  के  जो छह महीने से भी कम समय बचा है, उसको देखते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण रोजगार पैदा करने के लिए डेयरी क्षेत्र को गति दे रही है।

उत्तर प्रदेश ने डेयरी क्षेत्र में किए जा रहे नए निवेश ने ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। राज्यसरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुधारू पशु पालन कर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

पिछले चार साल में अमूल समेत छह बड़ी कंपनियों ने राज्य में 172 करोड़ रुपये के निवेश से अपने कैप्टिव डेयरी प्लांट लगाए हैं, जबकि सात और यूनिट लगाने का काम चल रहाहै. वहीं, राज्य सरकार द्वारा 15 नए निवेश प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश का दूध उत्पादन सालाना औसतन नौ लाख टन से अधिक की दर से बढ़ रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य का दूध उत्पादन 2016-17 में 277.7 लाख  टन से बढ़कर 2019-20 में 318.6 टन हो गया है।

आज उत्तर प्रदेश कुल दूध उत्पादन में 17 प्रतिशत से अधिक का योगदान देकर देश के दूध उत्पादन चार्ट में  सबसे ऊपर है। राज्य के दुग्ध व्यवसाय में सुधार के लिए डेयरी सोसायटियों का और विकास कर रहा है। वर्तमान में, यूपी में 21,537 दुग्ध समितियां हैं। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने विशेष रूप से कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर,फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद जिलों में ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना के साथ दुधारू पशुओं को संरक्षित  करना शुरू कर दिया है। झांसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज में चार मौजूदा डेयरियों को अपग्रेड किया जा रहा है।

इसके अलावा, योगी सरकार ने कम दूध देने वाले  गोवंश के संरक्षण और रखरखाव के लिए 75 जिलों में गौ संरक्षण केंद्रों की  स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।

20वीं पशुगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में दो करोड़ से से अधिक गौवंश पशु हैं। उन्होंने कहा, इन सभी प्रयासों ने सामूहिक रूप से डेयरी उद्योग में  निवेशकों में काफी रुचि पैदा की है, जिनमें से कई  निवेशकों ने  पहले ही अपने संयंत्र स्थापित कर लिए हैं, जबकि कई अन्य इस पर काम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में अब तक कई डेयरी प्लांट लग चुके हैं। इनमें गाजीपुर, बिजनौर, मेरठ, गोंडा, बुलंदशहर और लखनऊ में  क्रमशः पूर्वांचल एग्रीको, श्रेष्ठ फूड, देसी डेयरी, न्यू अमितफूड, क्रीमी फूड और सीपी मिल्क की इकाइयां शामिल हैं ।पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, राज्य ने गोकुल पुरस्कार और नंद बाबा पुरस्कार की शुरुआत की है ताकि देशी गाय की नस्लों से भी  दूध के उच्चतम उत्पादन लिया  जा सके।

( वीरेंद्र सिंह रावत, लखनऊ में कार्यरत जर्नलिस्ट हैं। वह इकोनॉमी, बजट, एग्रीकल्चर और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।)