एग्रीवोल्टेक: खेती और सौर ऊर्जा का संगम बढ़ाएगा किसानों की आमदनी, भूमि का बेहतर उपयोग भी संभव

एग्रीवोल्टेक यानी खेती और सौर ऊर्जा उत्पादन का संयोजन भूमि उपयोग की दक्षता बढ़ाने और किसानों की आय में विविधता लाने का नया समाधान बन रहा है। एक ही भूमि पर फसल और बिजली उत्पादन से यह मॉडल स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है। हालांकि लागत, उपकरण और फसल की उपज से जुड़ी चुनौतियां अभी बनी हुई हैं।

एग्रीवोल्टेक यानी कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन का संयोजन खेती और स्वच्छ ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने का एक टिकाऊ मॉडल बनकर उभर रहा है। इस प्रणाली में एक ही भूमि पर फसलें उगाई जाती हैं और सौर पैनलों से बिजली उत्पन्न की जाती है, जिससे भूमि का बेहतर उपयोग संभव होता है और किसानों की आय के नए रास्ते खुलते हैं।

अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार एग्रीवोल्टेक प्रणाली में फसलों, चरागाहों या वनस्पति के साथ सौर पैनल लगाए जाते हैं, जो रिन्यूएबल एनर्जी उत्पन्न करते हैं। हाल के वर्षों में भूमि उपयोग की चिंताओं ने इस दोहरे उपयोग की अवधारणा पर वैश्विक शोध को तेज किया है।

फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट फॉर सोलर एनर्जी सिस्टम्स के अनुसार, वैश्विक एग्रीवोल्टेक क्षमता 2012 में मात्र 5 मेगावाट थी जो 2021 में बढ़कर 14 गीगावाट तक पहुंच गई। वर्ल्ड ग्रेन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले अमेरिका में 2.8 गीगावाट से अधिक की एग्रीवोल्टेक परियोजनाएं हैं, जिनमें से अधिकतर पशुपालन या बागवानी के साथ संयोजन में हैं। यूरोप और एशिया भी इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। फ्रांस 2026 से हर साल 2 गीगावाट तक की नई एग्रीवोल्टेक परियोजनाएं जोड़ने की योजना बना रहा है। चीन में भी इस दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि एग्रीवोल्टेक किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और आय में विविधता लाने में मदद कर सकता है। सौर पैनल मिट्टी से पानी के वाष्पीकरण को कम करते हैं, जिससे सिंचाई की जरूरत घटती है और फसलों को सूखे या अत्यधिक गर्मी में सुरक्षा मिलती है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय और कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययनों के अनुसार इस मॉडल से भूमि उपयोग दक्षता 110 से 130 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है।

आर्थिक रूप से भी यह मॉडल फायदेमंद है। पोलैंड के एक अध्ययन में पाया गया कि एग्रीवोल्टेक से होने वाली वार्षिक आमदनी पारंपरिक गेहूं खेती की तुलना में 15 गुना अधिक हो सकती है। हालांकि ऊंचे पैनलों की स्थापना, उपकरण लागत और कुछ फसलों में पैनल की छाया से उपज में कमी जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं।

इसके बावजूद विशेषज्ञ मानते हैं कि दीर्घकालिक लाभ लागत से कहीं अधिक हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के ब्रूस ब्रानहम के अनुसार, “अगर हम एक ही भूमि से भोजन और ऊर्जा दोनों प्राप्त करें, तो भूमि उपयोग की दक्षता 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। यह भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा की बढ़ती मांग और सीमित कृषि भूमि के बीच, एग्रीवोल्टेक आने वाले वर्षों में टिकाऊ और संतुलित विकास का आधार बन सकता है।”