एफएओ की चेतावनी- खाद्य और कृषि संबंधी एसडीजी लक्ष्यों के आधे से भी कम में संतोषजनक प्रगति

22 सतत विकास लक्ष्यों (SDG) पर एफएओ की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया खाद्य, कृषि और सस्टेनेबिलिटी के कई लक्ष्यों से बहुत पीछे है। 2024 में लगभग 2.3 अरब लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे थे, महिलाओं को भूमि स्वामित्व में असमानता का सामना करना पड़ रहा है और खाद्य कीमतों में अस्थिरता बरकरार है। हालांकि डेटा की उपलब्धता और जल-उपयोग की दक्षता में सुधार हुआ है, फिर भी वनों का क्षरण और असंतुलित तरीके से मछली पकड़ना जारी है।

एफएओ की चेतावनी- खाद्य और कृषि संबंधी एसडीजी लक्ष्यों के आधे से भी कम में संतोषजनक प्रगति

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने चेतावनी दी है कि खाद्य, कृषि और सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों के मामले में वैश्विक प्रगति असमान बनी हुई है। यही नहीं, दुनिया 2030 तक कई सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने की राह से भटक रही है।

एफएओ की नवीनतम रिपोर्ट में छह सतत विकास लक्ष्यों - भुखमरी से निजात (2), लैंगिक समानता (5), स्वच्छ जल और स्वच्छता (6), जिम्मेदारीपूर्ण उपभोग और उत्पादन (12), जल में जीवन (14) और भूमि पर जीवन (15) के 22 इंडिकेटर पर प्रगति का मूल्यांकन किया गया है। इस मूल्यांकन में महिलाओं के लिए न्यूनतम आहार विविधता (एमडीडी-डब्ल्यू) पर एक नया संकेतक भी शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, केवल एक-चौथाई लक्ष्य हासिल होने के करीब हैं, जबकि एक-चौथाई लक्ष्य अभी बहुत दूर हैं। शेष आधे लक्ष्यों की दिशा में मध्यम प्रगति हुई है। एफएओ के चीफ स्टैटिसटिशियन जोस रोसेरो मोनकायो ने नए सिरे से प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हमें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करते हुए खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट उन क्षेत्रों की पहचान करती है जहां प्रगति सबसे अधिक पिछड़ रही है और जहां हस्तक्षेप की सबसे अधिक आवश्यकता है।”

मुख्य निष्कर्ष:
खाद्य असुरक्षा का बिगड़ना: वैश्विक जनसंख्या का लगभग 28% (2.3 अरब लोग) 2024 में मध्यम या गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षा की स्थिति में थे। वर्ष 2015 में यह अनुपात 21.4% था। पिछले वर्ष लगभग 8.2% लोगों को भूख के संकट का सामना करना पड़ा।

महिलाओं के पोषण और भूमि अधिकारों में पिछड़ापन: 2019 और 2023 के बीच, प्रजनन आयु वर्ग की केवल 65% महिलाओं ने न्यूनतम आहार विविधता हासिल की। उप-सहारा अफ्रीका और एशिया इस मामले में पीछे रहे। महिलाओं को भूमि स्वामित्व में भी भारी असमानता का सामना करना पड़ रहा है। सर्वेक्षण किए गए 80% देशों में पुरुषों के पास भूमि होने की संभावना दोगुनी है।

खाद्य कीमतों में बढ़ती अस्थिरता: 2023 में मामूली गिरावट के बावजूद, भू-राजनीतिक तनावों और जलवायु जोखिमों के कारण खाद्य कीमतों में विसंगतियां 2015-2019 के औसत से तीन गुना अधिक बनी हुई हैं।

छोटे किसानों को कम मेहनताना: निम्न और मध्यम आय वाले देशों में छोटे किसानों की आय बड़े किसानों की तुलना में आधी से भी कम होती है। उनकी आय अक्सर सालाना 1,500 डॉलर से भी कम होती है।

खतरे में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र: संरक्षण केंद्रों में पशु आनुवंशिक संसाधनों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन केवल 4.6% स्थानीय नस्लों को ही पर्याप्त रूप से संरक्षित किया जा रहा है। वन क्षेत्र लगातार घट रहा है। यह 2000 के 31.9% से घटकर 2020 में 31.2% रह गया है, जिसका मुख्य कारण कृषि का विस्तार है।

जल उपयोग में सुधार, लेकिन तनाव बरकरार: वर्ष 2015 और 2022 के बीच वैश्विक जल-उपयोग दक्षता में 23% की वृद्धि हुई, फिर भी पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्र अभी गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं।

अत्यधिक मत्स्य पालन जारी: अवैध और अन-सस्टेनेबल मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद, जैविक रूप से स्थायी स्तर के भीतर वैश्विक मत्स्य भंडार का हिस्सा 1974 के 90% से घटकर 2021 में 62.5% रह गया।

एफएओ की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि आंकड़े जुटाने, जल उपयोग में दक्षता और वन प्रबंधन जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रगति हुई है, फिर भी कई महत्वपूर्ण लक्ष्य अभी पहुंच से बाहर हैं। रिपोर्ट में नकारात्मक रुझानों को पलटने और वैश्विक खाद्य प्रणाली, पारिस्थितिकी तंत्र तथा प्राकृतिक संसाधनों को लचीला और टिकाऊ बनाए रखने के लिए तत्काल समन्वित कार्रवाई का आह्वान किया गया है।

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