इस्मा और IFGE ने सरकार से ई-20 के बाद का रोडमैप जारी करने की अपील की
संयुक्त बयान में दोनों संगठनों ने सरकार से फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स (FFVs) और स्मार्ट हाइब्रिड वाहनों पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने तथा उपभोक्ताओं को ईवी जैसी प्रोत्साहन योजनाओं (जैसे FAME) का लाभ देने की मांग की है।

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) और इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी (IFGE) ने केंद्र सरकार से ‘नेशनल इथेनॉल मोबिलिटी रोडमैप’ जारी करने की अपील की है, ताकि 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण के बाद अब अगले चरणों की रूपरेखा स्पष्ट की जा सके।
संयुक्त बयान में दोनों संगठनों ने सरकार से फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स (FFVs) और स्मार्ट हाइब्रिड वाहनों पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने तथा उपभोक्ताओं को ईवी जैसी प्रोत्साहन योजनाओं (जैसे FAME) का लाभ देने की मांग की है।
भारत ने 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण (ई-20) का लक्ष्य निर्धारित समय से पांच साल पहले ही हासिल कर किया है। लेकिन इस उपलब्धि के साथ ही सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को लेकर विवादों से घिर गई। हालिया विवाद के बाद इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के भविष्य को लेकर संदेह बढ़ गया है।
इथेनॉल उत्पादन क्षमता में अग्रणी भूमिका निभाने वाला चीनी उद्योग अब तक लगभग 40,000 करोड़ रुपये का निवेश कर 900 करोड़ लीटर प्रति वर्ष से अधिक उत्पादन क्षमता स्थापित कर चुका है। ऐसे में अगर इथेनॉल मिश्रण 20 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ता है तो उद्योग को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
पिछले दिनों तेल कंपनियों (ओएमसी) ने 10,50 करोड़ लीटर इथेनॉल के लिए टेंडर निकाला था जिस पर 17,76 करोड़ लीटर इथेनॉल आपूर्ति की पेशकश की गई। कुल प्रस्तावों में से, 471 करोड़ लीटर गन्ना आधारित इकाइयों द्वारा और 1304 करोड़ लीटर से अधिक अनाज आधारित इथेनॉल निर्माताओं द्वारा पेश किया गया।
सरकारी तेल कंपनियों (ओएमसी) द्वारा इथेनॉल की खपत कम होने के कारण कई इथेनॉल प्लांट ठप हो सकते हैं, जिसका असर निवेश और ऋण पर पड़ सकता है। इसलिए इंडसट्री की ओर से पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण की मात्रा को वर्तमान 20% से अधिक बढ़ाने की मांग की जा रही है।
इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा, “भारतीय चीनी उद्योग ने समय से पहले इथेनॉल वादे को पूरा किया है। अब इस क्रांति को जारी रखने के लिए नीति में निरंतरता जरूरी है। उद्योग फिलहाल 1,776 करोड़ लीटर इथेनॉल आपूर्ति के लिए तैयार है, जबकि तेल विपणन कंपनियों की जरूरत 1,050 करोड़ लीटर की है। इससे स्पष्ट है कि उद्योग 27% मिश्रण तक समर्थन देने में सक्षम है। लेकिन यदि ई-20 के बाद का रोडमैप तय नहीं हुआ, तो उत्पादन क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाएगा, जिससे निवेश ठप पड़ सकता है और नवाचार पर असर पड़ेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि बी-हैवी मोलासेस और गन्ने के रस से बने इथेनॉल की खरीद कीमत तीन साल से नहीं बढ़ाई गई है, जिससे वित्तीय दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में स्पष्ट और चरणबद्ध रोडमैप आवश्यक है ताकि इथेनॉल उद्योग की गति बनी रहे और किसानों की आय में निरंतर वृद्धि होती रहे।
IFGE के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद चौधरी ने कहा, “भारत की इथेनॉल सफलता उद्योग और सरकार के मजबूत सहयोग का परिणाम है। अब जरूरत है कि नेशनल इथेनॉल मोबिलिटी रोडमैप 2030 घोषित किया जाए, जिसमें ई-20 के आगे के स्पष्ट लक्ष्य हों। इसमें वाहनों के अनुकूलन मानक, उन्नत जैव ईंधनों (जैसे 2G/3G इथेनॉल, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल, ग्रीन केमिकल्स) के प्रोत्साहन और अनुसंधान को भी शामिल किया जाना चाहिए।”
संयुक्त अपील में कहा गया है कि फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स और स्मार्ट हाइब्रिड कारें भारत के पारंपरिक इंजन आधारित परिवहन से स्वच्छ ऊर्जा वाहनों की ओर संक्रमण में सेतु का काम कर सकती हैं। ये वाहन E-100 तक के मिश्रण पर भी कुशलता से चल सकते हैं और पेट्रोलियम निर्भरता व उत्सर्जन दोनों को घटा सकते हैं।