वैश्विक कृषि अब केवल मांग और आपूर्ति की गतिशीलता से संचालित नहीं हो रही है। इसके बजाय, भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, व्यापार अवरोध और सरकारी हस्तक्षेप कृषि उत्पादन, कीमतों और व्यापार को तेजी से आकार दे रहे हैं। इस समय वैश्विक कृषि उद्योग स्टैगफ्लेशन के एक लंबे चरण का सामना कर रहा है। इसे मांग में कमजोर वृद्धि, लगातार अधिक आपूर्ति और ऊंची उत्पादन लागत से समझा जा सकता है। यह स्थिति वर्ष 2026 में भी जारी रहने के आसार हैं।
वर्ष 2026 के लिए रैबो बैंक (Rabobank) तथा अन्य संस्थाओं की रिपोर्ट बताती है कि प्रमुख आर्थिक ब्लॉक, विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव ने कृषि जिंसों को आर्थिक नीति के रणनीतिक उपकरणों में बदल दिया है। टैरिफ, जवाबी टैरिफ और निर्यात प्रतिबंध वैश्विक खाद्य बाजारों को खंडित कर रहे हैं, क्षेत्र-विशिष्ट मूल्य विकृतियां पैदा कर रहे हैं और पारंपरिक व्यापार मार्गों को कमजोर कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, कृषि भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा में उलझ गई है, जहां व्यापार प्रवाह में बाजार की दक्षता पर नीतियां भारी पड़ रही हैं।
अधिक आपूर्ति से कीमतों और कृषि लाभप्रदता पर दबाव
वैश्विक कमोडिटी बाजारों में अत्यधिक उत्पादन एक प्रमुख चुनौती बना हुआ है। अनाज का ऊंचा भंडार, तिलहनों की अधिकता और बागवानी फसलों व सब्जियों की अतिरिक्त आपूर्ति लगातार कीमतों पर दबाव डाल रही है। यहां तक कि जैविक उत्पाद, जो कभी प्रीमियम कीमतें हासिल करता था, उन्हें भी बेहतर रिटर्न आकर्षित करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
मजबूत उत्पादन स्तरों के बावजूद, उपभोग वृद्धि गति नहीं पकड़ पाई है। अमेरिका, यूरोप और एशिया-प्रशांत सहित प्रमुख उपभोक्ता क्षेत्रों में मांग अगले दो वर्षों में स्थिर रहने की उम्मीद है। आबादी के बूढ़े होने, वैश्विक माइग्रेशन की गति धीमी पड़ने और पुनरुत्पादन स्तर से नीचे जन्म दर जैसे संरचनात्मक जनसांख्यिकीय रुझान दीर्घकालिक खाद्य खपत वृद्धि में बाधक बन रहे हैं।
अमेरिका में मांग के पैटर्न जीवनशैली और नीतिगत बदलावों से भी प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों पर बढ़ता जोर और मोटापे से जुड़ी दवाओं का बढ़ता उपयोग शामिल है, जिससे कुल कैलोरी खपत कम हो सकती है।
आपूर्ति श्रृंखला में स्टैगफ्लेशन का दबाव तेज
स्थिर मांग और बढ़ती लागत ने कृषि उद्योग को स्टैगफ्लेशन के माहौल में धकेल दिया है। जहां उत्पादन ऊंचा बना हुआ है, वहीं खेत-स्तर की कीमतों पर दबाव है और इनपुट, श्रम और ऊर्जा की ऊंची लागत के कारण मार्जिन सिमट रहे हैं।
हालांकि कुछ आपूर्तिकर्ताओं को सीमित मार्जिन राहत मिली है, लेकिन अधिकांश अब भी परिचालन खर्चों पर महंगाई के दबाव का सामना कर रहे हैं। इनपुट कीमतों के कुछ हद तक ऊंचे बने रहने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक टैरिफ, व्यापार प्रतिशोध और भूराजनीतिक अनिश्चितता अल्पकालिक उतार-चढ़ाव पैदा करती है।
अनेक देशों में सरकारों के स्तर पर हस्तक्षेप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जो प्रक्रिया टैरिफ-आधारित व्यापार विवादों से शुरू हुई थी, वह अब वैश्विक सब्सिडी प्रतिस्पर्धा में बदल गई है, जिसमें अमेरिका, यूरोप और एशिया के देश घरेलू उत्पादकों की रक्षा के लिए प्रत्यक्ष भुगतान, न्यूनतम मूल्य की गारंटी और जैव ईंधन अनिवार्यताएं लागू कर रहे हैं। ये उपाय किसानों को कम कीमतों से कुछ हद तक बचाते हैं, लेकिन साथ ही उत्पादन में कटौती को हतोत्साहित करते हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति ऊंची बनी रहती है और कीमतें दबाव में रहती हैं।
वैश्विक कीमतों पर चीन की भूमिका का दबाव
चीन की आर्थिक चुनौतियां और उसका औद्योगिक पैमाना जटिलता की एक और परत जोड़ रहे हैं। उसकी विशाल कीटनाशक निर्माण क्षमता वैश्विक फसल इनपुट कीमतों पर लगातार दबाव डाल रही है। इससे किसानों को इनपुट लागत कम होने का लाभ मिलता है, लेकिन आपूर्तिकर्ताओं और वितरकों के मार्जिन घट रहे हैं, जिससे उनकी तकनीक, सेवाओं और अवसंरचना में पुनर्निवेश की क्षमता सीमित हो रही है।
आपूर्ति चैनल में कम लाभप्रदता कई बाजारों में पुनर्गठन को मजबूर कर रही है, क्योंकि कंपनियां अपने संचालन का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं और कम-मार्जिन वाले माहौल में टिके रहने के उपाय खोज रही हैं।
श्रमिकों की समस्या वैश्विक
श्रम की कमी और मजदूरी में महंगाई बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां ऑटोमेशन को अपनाने की गति धीमी रही है। उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण और लॉजिस्टिक्स तक पूरी आपूर्ति श्रृंखला में ऑटोमेशन में निवेश दक्षता बढ़ाने और लागत नियंत्रित करने के लिए बेहद अहम होता जा रहा है। उपकरण निर्माता तकनीकी उन्नयन को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल वित्तीय शर्तें देकर इस बदलाव का समर्थन कर रहे हैं।
इसके साथ ही, अपेक्षाकृत स्थिर या बेहतर मार्जिन वाले विकासशील क्षेत्रों में विविधीकरण की गति बढ़ रही है। जैव ईंधन, नवीकरणीय इनपुट और अन्य मूल्यवर्धित कृषि प्रयोगों को कमजोर पारंपरिक कमोडिटी बाजारों के खिलाफ महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में देखा जा रहा है।
खंडित लेकिन टिकाऊ वैश्विक खाद्य प्रणाली
2026 की ओर देखें तो वैश्विक कृषि उद्योग एक ऐसे परिदृश्य का सामना कर रहा है जो खंडित हो रहा है तथा अनिश्चितता की ओर बढ़ रहा है। व्यापार व्यवधान, क्षेत्रीय मूल्यों में अंतर, भारी सरकारी भागीदारी और अप्रत्याशित झटकों का जोखिम नई सामान्य स्थिति बनते जा रहे हैं। जैसे-जैसे भूराजनीति और अर्थशास्त्र का मेल बढ़ता जा रहा है, वैश्विक कृषि एक ऐसी प्रणाली में ढल रही है जहां उत्पादकता जितना ही महत्व रेजिलिएंस का हो गया है।