पहली छमाही में कृषि निर्यात में 8.8 फीसदी की बढ़ोतरी

वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल–सितंबर 2025 के बीच कृषि निर्यात 25.9 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 23.8 अरब डॉलर की तुलना में 8.8 फीसदी अधिक है। हालांकि, अगली छमाही में यह वृद्धि दर बनी रहेगी या नहीं, यह देखना अभी बाकी है।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर 2025) के दौरान कृषि उत्पादों का निर्यात देश के कुल वस्तुओं के निर्यात की तुलना में काफी बेहतर रहा है। इस अवधि में कृषि निर्यात में 8.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कुल वस्तु निर्यात में केवल 2.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात सर्वाधिक रहा, जबकि समुद्री उत्पाद और बफेलो मीट का प्रदर्शन भी मजबूत रहा। वहीं बासमती चावल के निर्यात में 3.71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बासमती, श्रिम्प और मसालों का अमेरिका को निर्यात ‘ट्रम्प टैरिफ’ के चलते प्रभावित हुआ है।

वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल–सितंबर 2025 के बीच कृषि निर्यात 25.9 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 23.8 अरब डॉलर की तुलना में 8.8 फीसदी अधिक है। हालांकि, अगली छमाही में यह वृद्धि दर बनी रहेगी या नहीं, यह देखना अभी बाकी है।

चालू साल की पहली छमाही में कुल गुड्स निर्यात 213.7 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.9 फीसदी अधिक है। पिछले वर्ष (2024–25) में भी कृषि निर्यात का प्रदर्शन बेहतर रहा था, जिसकी वृद्धि दर 6.4 फीसदी रही और कुल कृषि निर्यात 52 अरब डॉलर तक पहुंचा था। वहीं कुल मर्चेंडाइज निर्यात मात्र 0.1 फीसदी बढ़कर 437.7 अरब डॉलर रहा था।

गैर-बासमती चावल के निर्यात में पहली छमाही में 27.53 फीसदी की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई। यह निर्यात पिछले वर्ष के 2.25 अरब डॉलर से बढ़कर 2.87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि बासमती चावल का निर्यात 2.86 अरब डॉलर से घटकर 2.76 अरब डॉलर रह गया। बफेलो मीट का निर्यात भी 21.09 फीसदी बढ़कर 1.80 अरब डॉलर से 2.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

‘ट्रम्प टैरिफ’ के बावजूद मरीन उत्पाद सबसे ज्यादा निर्यात श्रेणी में रहे। इनमें पिछले वर्ष की तुलना में पहली छमाही में 17.40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वर्ष में मरीन उत्पादों का निर्यात 3.38 अरब डॉलर से बढ़कर 3.97 अरब डॉलर हो गया।

इनके अलावा फल और सब्जियों तथा कॉफी के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई—फल और सब्जियों में 11.79 फीसदी, कॉफी में 12.47 फीसदी, जबकि प्रसंस्कृत फल व सब्जियों में 7.69 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि ऑयलमील और कैस्टर ऑयल के निर्यात में कमी देखी गई। मसालों का निर्यात 2.67 फीसदी बढ़कर 2.14 अरब डॉलर रहा। अमेरिका को बासमती, मसालों और मरीन उत्पादों के निर्यात में गिरावट ‘ट्रम्प टैरिफ’ के सीधे प्रभाव को दर्शाती है। हालांकि, हाल ही में अमेरिका द्वारा कुछ खाद्य उत्पादों पर टैरिफ में कटौती से मसालों और सब्जियों के निर्यात को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।

देश में खाद्य उत्पादों का आयात भी तेजी से बढ़ रहा है। पहली छमाही में खाद्य आयात में 5.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। फल और सूखे मेवे का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आयात हो रहा है। खाद्य तेलों का आयात चालू साल की पहली तिमाही में 13.5 फीसदी बढ़ा है। खाद्य तेल ही खाद्य आयात का सबसे बड़ा हिस्सा बनाते हैं और इस साल इनका आयात 20 अरब डॉलर तक जा सकता है।

सरकार द्वारा चीनी निर्यात की अनुमति देने से कृषि निर्यात में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। फिलहाल चालू चीनी सत्र के लिए 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी गई है। पिछले वर्ष 10 लाख टन की अनुमति के बावजूद, घरेलू और वैश्विक बाजार के अंतर के कारण निर्यात 8 लाख टन से कम रहा था। वैश्विक बाजार में खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट का रुझान जारी है। ऐसे में यह कहना कठिन है कि चालू वर्ष की दूसरी छमाही में कृषि निर्यात की ऊंची दर बनी रह पाएगी। पिछले वर्ष कृषि निर्यात 52 अरब डॉलर रहा था, जबकि 2022–23 में 53.2 अरब डॉलर के साथ अब तक का सबसे ऊंचा स्तर दर्ज किया गया था।