चीनी मिलों पर बढ़ सकता है बकाया भुगतान का बोझ, चीनी के दाम 36 रुपये तक गिरे

अगर चीनी की कीमतों में सुधार नहीं होता है तो उद्योग के सामने बड़े पैमाने पर बकाया भुगतान का संकट खड़ा हो सकता है।

चीनी मिलों पर बढ़ सकता है बकाया भुगतान का बोझ, चीनी के दाम 36 रुपये तक गिरे

खपत से अधिक चीनी उत्पादन, एथेनॉल में कम हिस्सेदारी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात के प्रतिकूल माहौल के चलते देश का चीनी उद्योग बड़े गन्ना बकाया की स्थिति की ओर बढ़ रहा है। चालू पेराई सीजन (2025-26) में करीब 343 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जबकि घरेलू खपत लगभग 290 लाख टन रहने की संभावना है। सरकार ने निर्यात की अनुमति तो दे रखी है, लेकिन मौजूदा समय में निर्यात लाभदायक सौदा नहीं है। इसी स्थिति के चलते महाराष्ट्र में चीनी की एक्स-फैक्टरी कीमत 36 रुपये प्रति किलो तक गिर गई है, जो कई जगह अभी 36.50 रुपये प्रति किलो या उसके आसपास बनी हुई है। उद्योग सूत्रों ने रूरल वॉयस को बताया कि मौजूदा हालात गन्ना किसानों के बड़े बकाया भुगतान की ओर ले जा सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार, सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 37 रुपये प्रति किलो तय करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। वहीं उद्योग का कहना है कि एमएसपी कम से कम 41 रुपये प्रति किलो होना चाहिए और इसे गन्ने के फेयर एंड रेम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) से जोड़ दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि वर्ष 2019 के बाद से चीनी के एमएसपी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है और यह अभी भी 31 रुपये प्रति किलो है। उद्योग का कहना है कि चीनी की उत्पादन लागत 41.72 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है।

उद्योग की मांग को देखते हुए सरकार ने चालू सीजन में 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति भी दी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के मौजूदा भाव निर्यात को घाटे का सौदा बना रहे हैं। एथेनॉल को लेकर भी उद्योग की मांग है कि बी-हैवी शीरे और गन्ने के सीरप से बनने वाले एथेनॉल के दाम खाद्यान्न-आधारित एथेनॉल के बराबर किए जाएं। साथ ही उद्योग का कहना है कि चालू एथेनॉल आपूर्ति सीजन के लिए पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा जारी टेंडर में चीनी उद्योग की हिस्सेदारी केवल 27.5 फीसदी रखी गई है, जो क्षमता के अनुरूप नहीं है।

सरकार की एथेनॉल नीति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं, जिससे पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग को वर्तमान 20 फीसदी लक्ष्य (E20) से बढ़ाकर 24 फीसदी या उससे अधिक करने की संभावना कमजोर पड़ती दिख रही है। हालांकि अक्टूबर 2025 में पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण दर 19.97 फीसदी तक पहुंच गई थी।

चालू पेराई सीजन के अनुमानों के अनुसार गन्ना किसानों को करीब एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। ऐसे में, यदि चीनी कीमतों में सुधार नहीं हुआ तो उद्योग का संकेत है कि बड़े पैमाने पर बकाया खड़ा हो सकता है। उद्योग सूत्रों का यह भी कहना है कि जब तक किसानों को समय पर भुगतान मिलता रहता है, तब तक सरकार चिंतित नहीं होती, लेकिन यदि बकाया बढ़ा तो सरकार किसानों की नाराजगी से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर मजबूर हो सकती है।

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